मुंबई के कोलाबा में नौसेना की भूमि को सफेदपोश अपराधियों ने नेताओं और अपराधियों की साठ-गाँठ से आदर्श कोपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी के नाम करा ली और उस पर 31 मंजिला ईमारत नियमो और उपनियमो को धता बताकर बना दी। रक्षा विभाग सहित पूरे देश में सरकारी जमीनों पर बिल्डर्स, नौकरशाहों, और राजनेताओं की मिलीभगत से कब्जे हो गए हैं और उन पर निर्माण कार्य भी हो गए हैं। दूसरी तरफ समाज में कमजोर तबकों की अपनी व्यक्तिगत प्रोपर्टी इन्ही तत्वों के कारण बचनी मुश्किल हो गयी है। उनकी जमीनों के फर्जी बैनामे हो जाते हैं और फिर अधिकारीयों और गुंडा तत्वों की मदद से निर्माण कार्य भी हो जाते हैं। कमजोर व्यक्तियों की सुनवाई नहीं हो पाती है। जब रक्षा विभाग अपनी जमीनें नहीं बचा पा रहा है तो गरीब आदमियों की संपत्ति कैसे बचेगी।
कोलाबा स्तिथ रक्षा विभाग की भूमि में बहुमंजिला ईमारत बन जाने के कारण नौसेना का हेलिपैड व अन्य मिलिट्री संसथान नहीं बनाये जा सकते हैं। इस मामले में रक्षा विभाग की आपत्तियों के बावजूद भी महाराष्ट्र सरकार ने हाउसिंग सोसाइटी वालों की ही मदद की है। ऐसा लगता है कि देश में विधि का शासन नहीं है। संविधान के तहत कार्य करने वाली संस्थाओं पर सफ़ेदपोश अपराधियों का कब्ज़ा हो गया है। संविधान के तहत प्रत्येक नागरिक को संपत्ति रखने का अधिकार है और अब इस अधिकार का हनन तेजी से हो रहा है।
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