बीबी ना होने से चली गई मेरी रेपुटेशन : सुबह 10 बजे ठंड के मारे रजाई से निकलने का मन नहीं हो रहा था। तभी अचानक मेरे फोन की घंटी बजी टाटा के नंबर 9208897615 से मेरे पास फोन आया, पहले तो वो कट गया मतलब कि मिस काल में कर्न्वट हो गया फिर दुबारा आया, मैने समझा कोई दुर्घटना हो गयी है चलो कर लो न्यूज की तैयारी। काल रिसीव करते ही आवाज आई ‘‘गुड मार्निंग सर मैं कोटक महिंद्रा से पूजा बोल रही हूं क्या मैं आप का नाम जान सकती हूं मैंने भी अपना परिचय दिया। उधर से दूसरा जवाब था सर आप सिटी के 500 रेपुटेड लोगों में चुने गए हैं, जिनके काल डिटेल के आधार पर हमने आपसे संपर्क किया है।’’ अपनी रेपुटेशन को देखते हुए मैने भी मोहतरमा का आभार जताया। उन्होंने बात आगे बढ़ाई, ‘‘सर सिर्फ चुनिंदा लोगों में से आपको हमारी कंपनी एक लाख तक का बीमा फ्री में दे रही हैं। आपको दोपहर 3 बजे अपनी बीबी के साथ अमुक जगह पर आना है। एक लाख का मुफ्त बीमा सुनकर तो दिल गार्डेंन गार्डेन हो गया, पर सवाल था बीबी बोले तो लुगाई कहां से लाया जाए। मन में आया कि कोई तैयार हो तो 3 बजे से पहले शादी करके मुफ्त बीमे का लाभ उठाया जाए। फिलहाल जाने क्या सोचकर मैंने मैडम से क्षमा मांगी कि मेरी शादी नहीं हुई है, अगर एक लाख मिल जाए तो शादी कर लूंगा। पर मैंडम ने बड़ी ही बेरहमी से मेरा रेपुटेशन घटाते हुए ‘‘सॉरी’’ कहा और फोन कट हो गया।
सवाल पत्रकारिता का है, जहां किसी की शादी होना मुश्किल है, ऐसे में शादी करने से एक लाख का मुनाफा है तो क्या कहना, पर शायद मेरा बैड लक खराब था और मैं शहर के 500 रेपुटेड लोगों की लिस्ट से कुंवारा होने की वजह से बाहर कर दिया गया। 10 मिनट बाद मिस सीमा का मेरे दूसरे नंबर पर काल आया ‘‘सर क्या मैं आपका नाम जान सकती हूं। वही प्रोसेस फिर से दोहराया गया पर मैंने उन्हें मिस पूजा से हुई बात को बताया तो उन मोहतरमा ने मुझसे सॉरी कहा और फिर से लखपति का काल ‘‘इंड’’ हो गया। 15 मिनट बाद फिर से मेरे ‘‘तीसरे’’ नंबर पर मिस पूजा ने फिर काल किया, इस बार मैंने उनसे काल करने का मकसद पूछा तो फिर से लखपति बनने का आफर ‘‘लुगाई’’ की शर्त पर बताया। मैंने मिस पूजा को बताया कि अब मेरे पास चौथा नंबर नहीं है लिहाजा वो मुझे इस नंबर तक ही आफर दे सकती हैं। पर लुगाई की शर्त इस बार भी बरकरार रही। मैंने एक लाख रूपए मुफ्त बीमा गंवा दिया क्योंकि मेरे पास लुगाई नहीं थी।
जनाब मेरा रेपुटेशन सिटी के 500 लोगों में सिर्फ इसलिए घट गया कि मैं ‘‘कुंवारा’’ हूं। मेरे मन ने फिर से सवाल किया कि क्या शादी रेपुटेशन का प्रतीक है? इस सवाल के हल पर मुझे मेरे एक मित्र के साथ हुए वाकए ने कुछ उलझा दिया। दो माह पूर्व मेरे एक मित्र की धर्मपत्नी का इंतकाल एक अस्पताल में इलाज के दौरान हो गया। उनके 9 माह का बच्चा भी है। मायके पक्ष ने दहेज हत्या का आरोप लगया पर पुलिसिया जांच में मामला फर्जी निकला। फिर मायके वालों ने 156 (3) में कोर्ट में वाद दायर किया और सास, ससुर और ननद को मुजरिम बनाया। अपनों के जेल जाने के डर से मेरे मित्र ने ससुराल पक्ष से समझौता किया और लाखों रूपए ससुरालियों को दहेज स्वरूप दिए। तब जाकर कहीं मामला शांत हो सका।
दहेज हत्या के मामले से बचने के लिए इस मुददे पर मेरे एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने अपनी कानूनी राय दी है, उनकी राय कुछ ऐसी है, ‘‘जब आप शादी करें तो 7 सालों तक बीबी की हर इच्छा पूरी करें, वो बेलन, जूते, चप्पल चलाए तो मार खा लें, उसें कुल मिलाकर सिर आंखों पर रखें, अगर आप नहीं सह सकते तो बीबी किसी भी कंडीशन में मरे तो निश्चित आप दहेज हत्या के दानव के चुंगल में हैं।’’ पर मेरा सवाल है कि 7 साल तक ही सहना है, क्या उसके बाद मर्दानगी हिलोरे ले सकती है जूते चप्पलों के बदले।’’ इस पर भी मेरे अधिवक्ता मित्र का जवाब तुरंत ही मिला, ‘‘यार 7 साल तक मार खाते-खाते आदत पड़ जाएगी।’’ उनके जवाब से मैं पूरी तरह संतुष्ट रहा। पूरब की कहावत सही ही कही गई है ‘‘भितरा के मार दहिजरवै जानै’’।
तो जनाब लुगाई की कथा के दो अलग-अलग पात्र हैं, पहला लुगाई न हो तो एक लाख गंवाओं। लुगाई गंवाई तो दहेज हत्या में फंसों ही और समझौते में गंवाओं भी, अगर लुगाई ला दी है तो मरते दम तक मार खाओ। तो जनाब लुगाई का मामला ऐसा है कि जो करे वो पछताए और जो न करे वो रेपुटेशन से भी जाए। वैसे पत्रकारों की शादियां तो होती ही नहीं, पहला सवाल - लड़का करता क्या है? जी पत्रकार है। हां वो तो ठीक है पर करता क्या है? लिहाजा पत्रकारों की शादी भी बडी मुश्किल से होती है, अब तो सवाल फिर से खड़ा हो गया कि लुगाई कहां से लायें?
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