AZIZ BURNEY |
हवाई अड्डा, शाॅपिंग माॅल, सिनेमा हाॅल, फाइव स्टार होटल, हर जगह सुरक्षा व्यवस्थाएं अत्यंत सख़्त हो गई हंै। आप समाज में भले ही एक बड़ा स्थान रखते हों, परंतु सुरक्षा के मामले में कोई समझौता नहीं, आपको इससे गुज़रना ही होगा, यह इसलिए कि आतंकवाद आज समाज तथा राष्ट्र के सामने एक बड़ी समस्या है। इसलिए क्या यह सही समय नहीं है, जब हम इस दिशा में विचार करें कि विस्फोटक पदार्थों की खुलेआम बिक्री को भी वर्जित घोषित कर दिया जाए या फिर इतने कठोर नियम बनाये जाएं कि किसी असमाजिक तत्व के लिए इसका अवैध प्रयोग असंभव बन जाए। दीवाली का त्यौहार हमारे लिए एक बड़ा और आकर्षक त्यौहार है, जिसे हम अत्यंत उल्लास के साथ मनाते हैं, रोशनी करते हैं, आतिशबाज़ी का प्रयोग करते हैं और मिठाइयां भी बांटते हैं। जैसे जैसे समय बदल रहा है हमारा ख़ुशियों को मनाने का तरीक़ा भी बदल रहा है। पहले क़ंदील और मिट्टी के दियों में सरसों का तेल डाल कर रोशनी किया करते थे, अब उसकी जगह रंग बिरंगी लाइटों ने ले ली है। मिठाई के चलन में भी थोड़ी कमी आई है और उसके स्थान पर चाॅक्लेट के डब्बे आ गए हैं। ड्राई फ्ऱूट का दस्तूर अपनी जगह क़ायम है, लेकिन आतिशबाज़ी के मामले में हमने अभी आधुनिकता से काम नहीं लिया है या इस दिशा में कारगर विकल्प अभी ईजाद नहीं हुआ है। शायद अब इस दिशा में सोचे जाने की आवश्यकता है कि त्यौहार की शान भी बाक़ी रहे परंतु किसी तरह के ख़तरे की संभावना भी न हो।
पटाख़ों में धमाके कोई नई बात नहीं है और यह भी कोई ढकी छुपी बात नहीं है कि जो पदार्थ पटाख़े बनाने में प्रयोग होते हैं, लगभग वही बम बनाने में भी प्रयोग हो सकते हैं। अब ख़ुराफ़ाती मस्तिष्क इसका क्या प्रयोग करे इसका पहले से अनुमान लगाना आसान नहीं है। कानपुर की हालिया घटना ने हमें एक बार फिर गंभीरता से इस संबंध में सोचने का अवसर दिया है। क्योंकि पहले दिन के समाचारों में हमने उसे पटाख़ों के ढेर में लगी आग ही माना था लेकिन जब राजेश के पास से जीवित बम बरामद हुए तो मालूम हुआ कि बात इतनी साधारण नहीं थी जितनी कि पहले दिन समझी जा रही थी और अब हम अपनी ख़ुफ़िया एजेंसियों तथा सरकार का ध्यान इस ओर भी दिलाना चाहते हैं कि यह अपने प्रकार की अकेली घटना नहीं है, पेशे से तो वह सरकारी अस्पताल में वार्ड ब्वाय था फिर उसने इतनी बड़ी मात्रा में बम बनाने के लिए विस्फोटक पदार्थ कहां से प्राप्त किया। इसलिए हम निम्न में कुछ ऐसे समाचारों के अंश अपने पाठकों, गुप्तचर ऐजेंसियों प्रशासन तथा भारत सरकार की सेवा में प्रस्तुत करना चाहते हैं जिनसे स्पष्ट होता है कि पिछले दो तीन वर्षों की अवधि में कितना विस्फोटक पदार्थ ग़ायब हुआ है। अब उसमें से कितना ग़लत हाथों में पड़ा, उसका क्या प्रयोग हुआ या हो सकता है, यह सोचने से ही आत्मा कांप जाती है। अत्यंत अचरज की बात है कि एक पिस्तौल का गुम हो जाना भी जहां बहुत बड़ी बात होती हो, किसी प्रसिद्ध व्यक्ति के सामान से ग़लती से चली गई पिस्तौल की एक गोली भी अगर हवाई अड्डे पर बरामद हो जाए तो न केवल सख़्त पूछताछ की जाती है बल्कि पूरी जांच की जाती है कि यह क्योंकर संभव हुआ, जो कि सही भी है। जब कि पिस्टल के बिना वह एक गोली कितनी घातक सिद्ध हो सकती हैै, यह समझा जा सकता है और इसके विपरीत इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटक पदार्थ जो सैकड़ों ट्रकों में लदा हो, गायब हो जाए और उसे हम बहुत गंभीरता से न लें, केवल इतना समाचार सुनने को मिले कि विस्फोटक पदाथों से लदे इतने ट्रक जो अमुक स्थान से अमुक स्थान पर जा रहे थे, रास्ते से ग़ायब हो गए या उनमें से कितने ट्रक इस स्थिति में बरामद हुए, क्या इतना पर्याप्त है, क्या हमें नहीं विचार करना चाहिए कि इस समय देश जिन परिस्थितियों से गुज़र रहा है, बम धमाके तथा आतंकवादी कार्रवाइयां आम बात हो गई हैं। वहंा विस्फोटक पदार्थ का ग़ायब हो जाना कितने बड़े ख़तरे का प्रतीक हो सकता है। आतंकवाद के लिए इसका प्रयोग देश तथा राष्ट्र के लिए कितना ख़तरनाक सिद्ध हो सकता है, क्योंकि इस संबंध में अभी बहुत कुछ लिखना है, इसलिए भूमिका समाप्त, पहले ऐसी घटनाओं और समाचारों के अंश, उसके बाद कुछ वाक्य लेखा के क़लम से:
विस्फोटक पदार्थों की रहस्यमय गुमशुदगी की घटनाओं का सिलसिला
26 जुलाई 2008 के 21 बम धमाकों में जिनमें 56 व्यक्ति हताहत तथा 200 से अधिक घायल हुए थे और अगले ही दिन अर्थात 27 जुलाई 2008 को गुजरात के एक अन्य नगर सूरत में बड़ी मात्रा में विस्फोटक पदार्थ बरामद हुआ था, जिसको विशेषज्ञों ने समय रहते निष्क्रिय बना दिया था, यह निष्क्रिय बनाया गया विस्फोटक पदार्थ राजस्थान एक्सप्लोसिव लिमिटेड ;त्ंरंेजींद म्गचसवेपअम ब्ीमउपबंस स्पउपजमकद्ध की फ़ैक्ट्री का बना हुआ था। उस समय राजस्थान सरकार की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया थीं और गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया थे। अगर पाठकों को स्मरण हो तो सोहराबुद्दीन शेख़ फ़र्ज़ी एन्काउन्टर में जेल की सलाख़ों के पीछे पहुंचने वाले गुजरात के पूर्व गृह राज्य मंत्री अमित शाह का जो गैंग सोहराबुद्दीन जैसे मोहरों का प्रयोग करता था, उसमें गुलाब चंद कटारिया का नाम भी लिया जा रहा था। बहरहाल मैं चर्चा कर रहा था राजस्थान कैमिकल फ़ैक्ट्री के विस्फोटक पदार्थ की जिसका प्रयोग सूरत धमाकों में हुआ था और जिसकी जांच का काम नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने अपने हाथ में ले लिया था। यह ट्रक राजस्थान के रास्ते मध्य प्रदेश जाने वाले थे और यह विस्फोटक पदार्थों से भरे हुए थे। जिस राज्य के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चैहान थे और हैं। यह भी ध्यान रहे कि दोनों सरकारें उन्हीं लोगों की थीं जो अजमेर बम धमाकों में इंद्रेश का नाम आने पर आसमान सर पर उठा रहे हैं।
बहरहाल इस समय इस मामले की जांच राजस्थान एटीएस कर रही है। गृह मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि 13 अगस्त 2010 तक 900 टन विस्फोटक पदार्थ के बारे में कुछ पता नहीं चल सका है। इन ट्रकों में अधिकतर जिलेटिन की छड़ें और डेटोनेटर्स हैं। 5 सितम्बर तक भीलवाड़ा पुलिस 164 लापता ट्रकों में से केवल 26 का पता लगा पाई है। मध्य प्रदेश पुलिस केवल अगस्त तक उनको राजगढ़ में ट्रेस कर पाई। लेकिन उसके बाद की कोई सूचना नहीं है। मध्य प्रदेश पुलिस ने राजेंद्र चैबे को गिरफ़्तार किया जो जय किशन (भोपाल) का साथी बताया जाता था। जय किशन अश्विनि आरईसीएस (राजस्थान एक्सप्लोसिव कैमिकल लिमिटेड त्ंरंेजींद म्गचसवेपअम ब्ीमउपबंस स्पउपजमक) संगम एक्सप्लोसिव ;ैंदहंउ म्गचसवेपअमद्ध चंदेरी, मध्य प्रदेश का स्वामी जयकिशन अश्विनि ही है। जय किशन अश्विनि ने आरईसीएल को 61 ट्रक विस्फोटक पदार्थ के लिए एक आर्डर गनेश एक्सप्लोसिव (सागर) को दिया और यह माल अपने रिश्तेदारों शिव चरण हेडा (भ्मकं) तथा उसकी पत्नी दीपा हेडा को हस्तांतरित कर दिया। इन दोनों की रायगढ़ (राजस्थान), अहमद नगर (महाराष्ट्र) और राजकोट (गुजरात) में कंपनियां हैं। अश्विनि, गनेश एक्सप्लोसिव ;ळंदमेी म्गचसवेपअमद्ध के लाएसेंस का प्रयोग करता रहा, जो उसके असल मालिक धीरेन्द्र सिंह ठाकुर ;क्ीपतमदकतं ैपदही ज्ींानतद्ध के नाम से था। दिलचस्प बात यह है कि यह लाएसंेस 31 मार्च 2010 को समाप्त हो चुका था जबकि यह सभी विस्फोटक पदार्थ अप्रैल और जुलाई में भेजे गए।
अश्विनि 103 ट्रकों में भरे विस्फोटक पदार्थ के ग़ायब होने के घोटाले में शामिल था। आरईसीएल से संगम एस्क्प्लोसिव अशोक नगर (मध्य प्रदेश) को भेजा गया था। यह म्गचसवेपअम रास्ते में ही ग़ायब हो गया था। राजस्थान पुलिस ने हेडा तथा उसकी पत्नी के बारे में मध्य प्रदेश पुलिस ने दीपा तथा ठाकुर के बारे में सूचना देने के लिए दस-दस हज़ार रुपए के इनाम की घोषणा की थी। इसी बीच भीलवाड़ा पुलिस ने हेडा की कंपनी पी॰एम ट्रेडर्स के गोदामों से डेढ़ हज़ार डेटोनेटर, जेलेटिन की छड़ें और फ़्यूज़ वायर बरामद किए। भीलवाड़ा के सर्किल आॅफ़िसर (अध्यक्ष) राजकुमार कास्वा का कहना है कि इनको अभी ग़ायब हुए माल का कोई सामान नहीं मिला है। भीलवाड़ा पुलिस अश्वनी कुमार और हेडा के बीच व्यापारिक मामलों की जांच कर रही है। अभी बहुत से ट्रकों से विस्फोटक पदार्थों की गुमशुदगी की जांच चल रही है। अगर यह म्गचसवेपअम विस्फोटक पदार्थ बम बनाने वालों के हाथों पड़ गया तो इसका प्रयोग कितना भयानक हो सकता है इसका केवल अनुमान ही किया जा सकता है। इस प्रकार का यह पहला और एक मात्र मामला नहीं है। आइए अब कुछ और ऐसे ही मामलों पर आपका ध्यान आकर्षित करते हैं।
स 19 सितम्बर 2010, जयपुर, धोलपुर की एक अदालत में आरईसीएल के चारों अधिकारियों की ज़मानत की अर्ज़ी रद्द कर दी गई। यह लोग 900 टन विस्फोटक पदार्थों की रहस्यमय गुमशुदगी के मामले में गिरफ़्तार हुए थे।
स 6 अक्तूबर 2010, अलवर (राजस्थान): आरईसी धौलपुर राजस्थान एक्सक्लोसिव कैमिकल लिमिटेड ;त्ंरंेजींद म्गचसवेपअम ब्ीमउपबंस स्पउपजमकद्ध के 4 अधिकारियों को लापता विस्फोटक पदार्थों की जांच के मामले में सागर के मैनेजिंग डायरेक्टर को (मध्य प्रदेश) ले जाया गया। (टाइम्स आॅफ इंडिया)।
स यह चारों अधिकारी, मैनेजिंग डायरेक्टर बीडी अग्रवाल, यूनिट हैड एडवर्ड कैली, सीनियर मैनेजर वीके गर्ग और मार्केटिंग मैनेजर राजेश अग्रवाल शामिल थे।
स 26 अगस्त 2010, अलवर (राजस्थान): आरसीईएल के चार अधिकारियों के विरुद्ध 61 ट्रकों के ग़ायब होने पर लापरवाही और सांठगांठ करने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई। (टाइम्स आॅफ़ इंडिया)।
स 27 अगस्त 2010, एनडीटीवी ने समाचार दिया कि विस्फोटक पदार्थ के जो ट्रक ग़ायब हुए थे उनकी संख्या 60 नहीं बल्कि 163 थी। पुलिस ने आगे कहा कि यह संख्या और बढ़ सकती है और हो सकता है कि ग़ायब होने वाले ट्रक कई सौ हों।
स 7 सितम्बर 2010, आरईसीएल अधिकारियों के विरुद्ध म्गचसवेपअम ।बजए 2008 के अंतर्गत मामला दर्ज कर लिया गया है।
स 10 अक्तूबर 2010, शिवचरण हेडा जोकि राजस्थान धौलपुर का रहने वाला है, ने स्वीकार किया है कि 571 ट्रक जिनमें विस्फोटक पदार्थ भरा हुआ था, संगम एक्सपलोसिव एजेंसी ;ैंदहंउ म्गचसवेपअम ।हमदबलद्ध को बेचे गए थे। यह बात सागर रेंज के इंस्पेक्टर जनरल आॅफ़ पुलिस इन्नोवेशन बंगम ने दी। (ष्ूमइपदकपं123ण्बवउष्10 अक्तूबर 2010)
स 18 सितम्बर 2010, जोधपुर, पुलिस ने शिवचरण हेडा जोकि भूमि इंटरप्राइजे़ज़ के मालिक जय किशन अश्वनी का संबंधी है, के यहां छापा मारा गया, उसके यहां से 70 टन विस्फोटक पदार्थ बरामद किया। भूमि इंटरप्राइजे़ज ;ठीनउप म्दजमतचतपेमेद्ध राजकोट में स्थापित होने वाली अपनी कंपनी का नाम हेडा की बेटी ‘भूमि’ पर रखा था। (भास्कर न्यूज़ 18 सितम्बर 2010)।
स सूचनाओं के अनुसार 13 अगस्त 2010, केंद्र ने मध्य प्रदेश सरकार से राजस्थान से भेे जाने वाले 600 टन विस्फोटक पदार्थ को जिसे मध्य प्रदेश पहुंचना था और जो रास्ते में ही ग़ायब हो गया था, के मामले में रिपोर्ट मांगी और कहा कि यह एक बहुत गंभीर मामला है। गृहमंत्रालय के सूत्रों के हवाले से यह बात स्वीकार की है।
स मध्य प्रदेश के गृह मंत्री ने कहा कि इस सिलसिले में पुलिस टीम राजस्थान, आंध्र प्रदेश तथा महाराष्ट्र भेजी गई है। (पीटीआई)
स टेलीवीजन चैनल आईबीएन 7 की रिपोर्ट के अनुसार 61 ट्रकों में जो माल गायब हो गया था, उसके बारे में सागर के आई जी ने चिंता व्यक्त की थी कि यह ट्रक गलत हाथों में पहुंच सकते हैं। मध्य प्रदेश पुलिस ने आरंभिक रिपोर्ट के बाद बताया कि यह विस्फोटक पदार्थ राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के प्राइवेट डीलरों तथा फर्मों के हाथों बेचा गया है। (14 अगस्त 2010, अपेपवदउचण्बवउ न्यूज़ सर्विस)
घटनाऐं अभी और भी हैं, परंतु आजके लेख में केवल इतना ही हमने आजके इस लेख में विस्फोटक पदार्थों की संख्या तथा संबंधित व्यक्तियों के नाम अंडर लाइन कर दिए हैं। वह केवल इसलिए कि हमारी गुप्तचर एजेंसियां एक बार फिर इन घटनाओं के विस्तार में जाकर तथ्यों का पता लगाएं और जानने का प्रयास करें कि अगर इस विस्फोटक पदार्थ की कुछ मात्रा का प्रयोग भी देश की फ़िज़ा बिगाड़ने के लिए हुआ है, साफ़ कहें तो बम धमाकों में हुआ है तो फिर तलाश करना होगा कि वह नेटवर्क क्या है जो विस्फोटक पदार्थ सप्लाई करने वाली फ़ैक्ट्रियों से निकले हुए ट्रकों को रास्ते में ही ग़ायब कर देता है और फिर उसका प्रयोग किन देश विरोधी, राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए करता है। ...................................................................................(जारी)
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