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आजादी के बाद से ही यह कौतुहल का विषय रहा है कि भारत में कितने % लोग बेईमान हैं.हर आदमी के पास अपने-अपने आंकड़े हैं.लेकिन कल तो हद ही हो गई.भारत सरकार के अटोर्नी जनरल ने खुद अपने मुखारविंद से सर्वोच्च न्यायालय में भारत के लोगों पर आरोप लगाया कि भारत की शत-प्रतिशत जनता बेईमान हो गई है. इसका तो सीधा मतलब जनता ने यह निकाला कि श्री वाहनवती भी बेईमान हैं. उनके इस आरोप ने इस बहस को और भी तेज कर दिया है.साथ ही एक नई दिशा भी दे दी है. चूंकि राजीव गांधी के काल में १०% ईमानदार लोग देश में बचे हुए थे इसलिए राजीव ने संसद में स्वीकार किया था कि दिल्ली से चले पैसे का मात्र १०% ही जनता तक पहुँच पाता है.यह भी एक अनुमान ही था क्योंकि इस सम्बन्ध में सरकार के पास कोई विश्वस्त आंकड़े नहीं थे. हालांकि फ़िर भी राजीव ने मेरा भारत महान का महान नारा दिया और पहले भूतपूर्व और बाद में अभूतपूर्व हो गए.लेकिन इसके कुछ ही समय बाद यशवंत फिल्म में भी नाना पाटेकर ने इसकी पुष्टि की कि १०० में ९० भारतीय बेईमान हैं फ़िर भी मेरा भारत महान है.अब वर्तमान काल में कितना पैसा जनता तक पहुँच पा रहा है यह पता करने का सरकार ने कोई प्रयास नहीं किया है और न ही प्रधानमंत्री ने लम्बे समय से इस सम्बन्ध में कोई बयान ही दिया है.अगर अटोर्नी जनरल के आरोप को सही मान लें तो फ़िर जनता तक एक भी पैसा नहीं पहुंचना चाहिए. लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा हो नहीं पा रहा है.इसलिए सरकार को यह पता लगाने के लिए कि देश में कितने लोग बेईमान और कितने लोग ईमानदार हैं बेईमानी को भी चल रही जनगणना में शामिल करना चाहिए.इससे सबसे पहले तो यही फायदा होगा कि यह अनुमान लगाने में सुविधा होगी कि योजनाओं की कितनी राशि जनता तक पहुँच पा रही है.चूंकि ईमानदारों की संख्या का % जनता तक पहुंचे धन % के समानुपाती होता है इसलिए सरकार यह मालूम हो जाने के बाद अलग से घोटाले के लिए राशि का प्रावधान कर सकेगी.इस जनगणना में मैं बेईमानों की ग्रेडिंग की अनुशंसा करता हूँ ए,बी,सी,डी आदि में.इसका भी अपना लाभ होगा.जिस पद के लिए जिस श्रेणी का बेईमान चाहिए उस पद के लिए उसी श्रेणी के बेईमान की नियुक्ति की जा सकेगी. जैसे राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्यों के लिए, दूरसंचार मंत्री के पद के लिए आसानी से ए ग्रेड के बेईमान ढूंढें जा सकेंगे.इसके साथ ही होशियार और मूर्ख बेईमानों की भी अलग-अलग श्रेणी बनानी पड़ेगी. होशियार बेईमानों में उन्हें शामिल किया जाना चाहिए जो घोटाला करने के बावजूद मामले को उजागर नहीं होने देने में माहिर हैं.आज देश को ऐसे बेईमानों की सख्त जरुरत है. वैसे भी इसका सबसे ज्यादा लाभ स्वयं कांग्रेस पार्टी को ही होगा क्योंकि उसके शासन में ही सबसे ज्यादा घोटाले होते हैं.वर्तमान में भी मूर्ख बेईमानों के मंत्री बन जाने के चलते मामला प्रकाश में आ जा रहा है और सरकार की किरकिरी हो रही है.वैसे तो हमारी सरकारें सत्येन्द्र दूबे, अभयानंद और किरण बेदी सरीखे ईमानदारों को पहले से ही उनकी ईमानदारी के लिए दण्डित करती रही हैं. लेकिन जनगणना के बाद ईमानदारों को और भी आसानी से चिन्हित करके दण्डित किया जा सकेगा. इसके साथ ही सरकार को उत्कृष्ट कोटि के बेईमानों के लिए बेईमान रत्न और उच्च कोटि के बेईमानों के लिए बेईमान विभूषण, बेईमान भूषण, बेईमान श्री पुरस्कार देने की व्यवस्था करनी चाहिए. इससे लाभ यह होगा कि ईमानदार अपनी ईमानदारी भरी व्यवस्था विरोधी गतिविधियों के प्रति हतोत्साहित होंगे और भारत को पूरी दुनिया में प्रथम शत-प्रतिशत बेईमान देश बनने का गौरव प्राप्त हो सकेगा. इसके साथ ही ईमानदारों के लिए कठोर कानून बनाया जाना चाहिए जिससे कोई भूलकर भी इस गलत और अपने और अपने परिवार के लिए दुखदायी मार्ग पर चलने की भूल नहीं करे. इन्हीं चंद ईमानदारों के चलते भारत प्रसन्न देशों की सूची में लगातार नीचे खिसक रहा है. लोकतंत्र बहुमत से चलता है यह तो सरकार जानती ही है. हम बेईमानों को भी अपनी जनसंख्या के अनुपात में सत्ता में भागीदारी चाहिए. जिसकी जितनी हिस्सेदारी उतनी उसकी भागेदारी. मैं अंत में सरकार को चेतावनी देता हूँ कि अगर वह हमारी बेईमानों की जनगणना की मांग को नहीं मानती है तो हम न सिर्फ संसद बल्कि पूरे देश को ठप्प कर देंगे क्योंकि देश में प्रत्येक जगह हमारा बहुमत है और सरकार भी यह बात जानती है.
- ब्रज की दुनिया
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