मनुस्मृति एक ग्रन्थ के रूप में दलितों और महिलाओं के लिए एक अमानवीय दर्शन का वाहक है। मनुस्मृति में शूद्रों/अछूतों व महिलाओं को पशुओ की श्रेणी में रखा गया है। उनके अधिकारों का हनन किया गया है आरएसएस भी दलितों और महिलाओं के प्रति वैसे ही अमानवीय विचार रखता है।
हिन्दू दक्षिणपंथी मनुस्मृति को भारतीय संविधान के स्थान पर लागू करना चाहता है। मनुस्मृति इनके लिए कितना पवित्र है, पर हिंदुत्व के दार्शनिक तथा पथ प्रदर्शकवी.डी सावरकर और आरएसएस के निम्नलिखित कथनों से अच्छी तरह स्पष्ट हो जाता है। सावरकर के अनुसार:
"मनुस्मृति एक ऐसा धर्मग्रन्थ है जो हमारे हिन्दू राष्ट्र के लिए वेदों के बाद सर्वाधिक पूजनीय है और जो प्राचीन काल से ही हमारी संस्कृति रीति-रिवाज, विचार तथाआचरण का आधार हो गया है। सदियों से इस पुस्तक ने हमारे राष्ट्र के अध्यात्मिक एवं दैविक अभियान को संहिताबद्ध किया है। आज भी करोड़ो हिन्दू अपने जीवनतथा आचरण में जिन नियमो का पालन करते हें, वे मनुस्मृति पर आधारित है। आज मनुस्मृति हिन्दू विधि है।"
"मनुस्मृति एक ऐसा धर्मग्रन्थ है जो हमारे हिन्दू राष्ट्र के लिए वेदों के बाद सर्वाधिक पूजनीय है और जो प्राचीन काल से ही हमारी संस्कृति रीति-रिवाज, विचार तथाआचरण का आधार हो गया है। सदियों से इस पुस्तक ने हमारे राष्ट्र के अध्यात्मिक एवं दैविक अभियान को संहिताबद्ध किया है। आज भी करोड़ो हिन्दू अपने जीवनतथा आचरण में जिन नियमो का पालन करते हें, वे मनुस्मृति पर आधारित है। आज मनुस्मृति हिन्दू विधि है।"
-आरएसएस को पहचानें किताब से साभार
-लो क सं घ र्ष !
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