Saturday, January 01, 2011

मुहम्मद (सल्ल॰) का भाषण हज के दौरान ‘अरफ़ात’ के मैदान में(9 मार्च 632 ई॰)

भाषण
आपने पहले ईश्वर की प्रशंसा, स्तुति और गुणगान किया, मन-मस्तिष्क की बुरी उकसाहटों और बुरे कामों से अल्लाह की शरण चाही; इस्लाम के मूलाधार ‘विशुद्ध एकेश्वरवाद’ की गवाही दी और फ़रमाया :

● ऐ लोगो! अल्लाह के सिवा कोई पूज्य नहीं है, वह एक ही है, कोई उसका साझी नहीं है। अल्लाह ने अपना वचन पूरा किया, उसने अपने बन्दे (रसूल) की सहायता की और अकेला ही अधर्म की सारी शक्ति को पराजित किया।

● लोगो मेरी बात सुनो, मैं नहीं समझता कि अब कभी हम इस तरह एकत्र हो सकेंगे और संभवतः इस वर्ष के बाद मैं हज न कर सकूँगा।

● लोगो, अल्लाह फ़रमाता है कि, इन्सानो, हम ने तुम सब को एक ही पुरुष व स्त्री से पैदा किया है और तुम्हें गिरोहों और क़बीलों में बाँट दिया गया कि तुम अलग-अलग पहचाने जा सको। अल्लाह की दृष्टि में तुम में सबसे अच्छा और आदर वाला वह है जो अल्लाह से ज़्यादा डरने वाला है। किसी अरबी को किसी ग़ैर-अरबी पर, किसी ग़ैर-अरबी को किसी अरबी पर कोई प्रतिष्ठा हासिल नहीं है। न काला गोरे से उत्तम है न गोरा काले से। हाँ आदर और प्रतिष्ठा का कोई मापदंड है तो वह ईशपरायणता है।

● सारे मनुष्य आदम की संतान हैं और आदम मिट्टी से बनाए गए। अब प्रतिष्ठा एवं उत्तमता के सारे दावे, ख़ून एवं माल की सारी मांगें और शत्रुता के सारे बदले मेरे पाँव तले रौंदे जा चुके हैं। बस, काबा का प्रबंध और हाजियों को पानी पिलाने की सेवा का क्रम जारी रहेगा। कु़रैश के लोगो! ऐसा न हो कि अल्लाह के समक्ष तुम इस तरह आओ कि तुम्हारी गरदनों पर तो दुनिया का बोझ हो और दूसरे लोग परलोक का सामन लेकर आएँ, और अगर ऐसा हुआ तो मैं अल्लाह के सामने तुम्हारे कुछ काम न आ सकूंगा।

● कु़रैश के लोगो, अल्लाह ने तुम्हारे झूठे घमंड को ख़त्म कर डाला, और बाप-दादा के कारनामों पर तुम्हारे गर्व की कोई गुंजाइश नहीं। लोगो, तुम्हारे ख़ून, माल व इज़्ज़त एक-दूसरे पर हराम कर दी गईं हमेशा के लिए। इन चीज़ों का महत्व ऐसा ही है जैसा तुम्हारे इस दिन का और इस मुबारक महीने का, विशेषतः इस शहर में। तुम सब अल्लाह के सामने जाओगे और वह तुम से तुम्हारे कर्मों के बारे में पूछेगा।

● देखो, कहीं मेरे बाद भटक न जाना कि आपस में एक-दूसरे का ख़ून बहाने लगो। अगर किसी के पास धरोहर (अमानत) रखी जाए तो वह इस बात का पाबन्द है कि अमानत रखवाने वाले को अमानत पहुँचा दे। लोगो, हर मुसलमान दूसरे मुसलमान का भाई है और सारे मुसलमान आपस में भाई-भाई है। अपने गु़लामों का ख़्याल रखो, हां गु़लामों का ख़्याल रखो। इन्हें वही खिलाओ जो ख़ुद खाते हो, वैसा ही पहनाओ जैसा तुम पहनते हो।

● जाहिलियत (अज्ञान) का सब कुछ मैंने अपने पैरों से कुचल दिया। जाहिलियत के समय के ख़ून के सारे बदले ख़त्म कर दिये गए। पहला बदला जिसे मैं क्षमा करता हूं मेरे अपने परिवार का है। रबीअ़-बिन-हारिस के दूध-पीते बेटे का ख़ून जिसे बनू-हज़ील ने मार डाला था, मैं क्षमा करता हूं। जाहिलियत के समय के ब्याज (सूद) अब कोई महत्व नहीं रखते, पहला सूद, जिसे मैं निरस्त कराता हूं, अब्बास-बिन-अब्दुल मुत्तलिब के परिवार का सूद है।

● लोगो, अल्लाह ने हर हक़दार को उसका हक़ दे दिया, अब कोई किसी उत्तराधिकारी (वारिस) के हक़ में वसीयत न करे।

● बच्चा उसी के तरफ़ मन्सूब किया जाएगा जिसके बिस्तर पर पैदा हुआ। जिस पर हरामकारी साबित हो उसकी सज़ा पत्थर है, सारे कर्मों का हिसाब-किताब अल्लाह के यहाँ होगा।

● जो कोई अपना वंश (नसब) परिवर्तन करे या कोई गु़लाम अपने मालिक के बदले किसी और को मालिक ज़ाहिर करे उस पर ख़ुदा की फिटकार।

● क़र्ज़ अदा कर दिया जाए, माँगी हुई वस्तु वापस करनी चाहिए, उपहार का बदला देना चाहिए और जो कोई किसी की ज़मानत ले वह दंड (तावान) अदा करे।

● किसी के लिए यह जायज़ नहीं कि वह अपने भाई से कुछ ले, सिवा उसके जिस पर उस का भाई राज़ी हो और ख़ुशी-ख़ुशी दे। स्वयं पर एवं दूसरों पर अत्याचार न करो।

● औरत के लिए यह जायज़ नहीं है कि वह अपने पति का माल उसकी अनुमति के बिना किसी को दे।

● देखो, तुम्हारे ऊपर तुम्हारी पत्नियों के कुछ अधिकार हैं। इसी तरह, उन पर तुम्हारे कुछ अधिकार हैं। औरतों पर तुम्हारा यह अधिकार है कि वे अपने पास किसी ऐसे व्यक्ति को न बुलाएँ, जिसे तुम पसन्द नहीं करते और कोई ख़्यानत (विश्वासघात) न करें, और अगर वह ऐसा करें तो अल्लाह की ओर से तुम्हें इसकी अनुमति है कि उन्हें हल्का शारीरिक दंड दो, और वह बाज़ आ जाएँ तो उन्हें अच्छी तरह खिलाओ, पहनाओ।

● औरतों से सद्व्यवहार करो क्योंकि वह तुम्हारी पाबन्द हैं और स्वयं वह अपने लिए कुछ नहीं कर सकतीं। अतः इनके बारे में अल्लाह से डरो कि तुम ने इन्हें अल्लाह के नाम पर हासिल किया है और उसी के नाम पर वह तुम्हारे लिए हलाल हुईं। लोगो, मेरी बात समझ लो, मैंने तुम्हें अल्लाह का संदेश पहुँचा दिया।

● मैं तुम्हारे बीच एक ऐसी चीज़ छोड़ जाता हूं कि तुम कभी नहीं भटकोगे, यदि उस पर क़ायम रहे, और वह अल्लाह की किताब (क़ुरआन) है और हाँ देखो, धर्म के (दीनी) मामलात में सीमा के आगे न बढ़ना कि तुम से पहले के लोग इन्हीं कारणों से नष्ट कर दिए गए।

● शैतान को अब इस बात की कोई उम्मीद नहीं रह गई है कि अब उसकी इस शहर में इबादत की जाएगी किन्तु यह संभव है कि ऐसे मामलात में जिन्हें तुम कम महत्व देते हो, उसकी बात मान ली जाए और वह इस पर राज़ी है, इसलिए तुम उससे अपने धर्म (दीन) व विश्वास (ईमान) की रक्षा करना।

● लोगो, अपने रब की इबादत करो, पाँच वक़त की नमाज़ अदा करो, पूरे महीने के रोज़े रखो, अपने धन की ज़कात ख़ुशदिली के साथ देते रहो। अल्लाह के घर (काबा) का हज करो और अपने सरदार का आज्ञापालन करो तो अपने रब की जन्नत में दाख़िल हो जाओगे।

● अब अपराधी स्वयं अपने अपराध का ज़िम्मेदार होगा और अब न बाप के बदले बेटा पकड़ा जाएगा न बेटे का बदला बाप से लिया जाएगा ।

● सुनो, जो लोग यहाँ मौजूद हैं, उन्हें चाहिए कि ये आदेश और ये बातें उन लोगों को बताएँ जो यहाँ नहीं हैं, हो सकता है, कि कोई अनुपस्थित व्यक्ति तुम से ज़्यादा इन बातों को समझने और सुरक्षित रखने वाला हो। और लोगो, तुम से मेरे बारे में अल्लाह के यहाँ पूछा जाएगा, बताओ तुम क्या जवाब दोगे? लोगों ने जवाब दिया कि हम इस बात की गवाही देंगे कि आप (सल्ल॰) ने अमानत (दीन का संदेश) पहुँचा दिया और रिसालत (ईशदूतत्व) का हक़ अदा कर दिया, और हमें सत्य और भलाई का रास्ता दिखा दिया।

यह सुनकर मुहम्मद (सल्ल॰) ने अपनी शहादत की उँगुली आसमान की ओर उठाई और लोगों की ओर इशारा करते हुए तीन बार फ़रमाया, ऐ अल्लाह, गवाह रहना! ऐ अल्लाह, गवाह रहना! ऐ अल्लाह, गवाह रहना।

2 comments:

  1. एक मां के आंसू जो इरादों में बदल गये .....
    दोस्तों यह कोई कालपनिक कहानी नहीं
    एक हकीकत हे
    जी हाँ दोस्तों यह एक मां के आंसू थे
    जो थोड़ी सी देर में ही सख्त इरादे में बदल गये ।
    नये साल के एक दिन पहले में अदालत में अपनी सीट पर बेठा था के आँखों में आंसू लियें
    एक महिला याचक की तरह मेरे पास आई और फिर अपनी बात बताने के पहले ही फुट फुर कर रोने लगी
    मेरे आस पास के टाइपिस्ट , वकील और मुशी उसे देखने लगे महिला मेरी पूर्व परिचित थी इसलियें उसे दिलासा दिलाया जम महिला शांत हुई तो उससे उसकी परेशानी पूंछी महिला ने दोहराया के आपको तो पता हे मेरे पति के
    तलाक लेने के बाद केसे मेने जिंदगी गुजर बसर कर अपने बच्चों को पाला हे उन्हें बढा किया हे और उनका विवाह किया हे में आज भी दोनों लडकों के विवाह के बाद उनके कुछ नहीं कमाने के कारण उनका खर्चा चला रही हूँ और बच्चे हे के शादी और डिलेवेरी के खर्च के वक्त उधार ली गयी राशी को चुकाने का प्रयास ही नही कर रहे हें जबकि पति तलाक के बात लकवाग्रस्त हो जाने से मेरे घर आ गया हे ओऊ उसका इलाज भी मुझे ही करवाना पढ़ रहा हे मेरा भी हाथ तंग हे इसलियें में बेबस हूँ मेने एक कर्ज़ के पेटे कर्ज़ लेने वाले को चेक दिया था उसने मेरे खिलाफ मुकदमा कर दिया और अदालत से मेरे खिलाफ जमानती वारंट आया हे हमने महिला के हाथ में से जमानती वारंट लेकर देखा वारंट केवल पांच हजार रूपये के चेक के मामले को लेकर भेजा गया था मेने और मेरे साथियों ने उस महिला की आँख में आंसू और चेहरे पर बेबसी देखी तो उसे हिम्मत दिलाई मुकदमें में उसका कुछ नहीं बिगड़ेगा इस का उसे दिलासा दिलाया महिला ने राहत की सांस ली और बेठ गयी इसीस बीच लगभग एक आठ साल का बच्चा हाथ में थेला और ब्रुश लिए आया और कहने लगा वकील साहब पोलिश , यकीन मानिए में कभी भी इन बच्चों से पोलिश नहीं कराता हूँ लेकिन उस दिन ना जाने क्या दिमाग में आया के मेने चुपचाप जूते उतार कर उसके आगे बढ़ा दिए बच्चा नादाँ सा सभी दुःख दर्द से बेखबर होकर जूतों पर पोलिश करने के लियें जुट गया मेने उससे मजाक किया के बेटा पोलिश तो तू आज कर दे पोलिश के पेसे तू कल ले जाना बच्चे ने नजर उठाई और कहा के नहीं सर कल तो जुम्मा हे में नमाज़ पढूंगा पेसे तो आज ही लूंगा , में दुसरा सवाल करता इस के पहले ही उस बेचें पीड़ित महिला के दोनों बेटे भी पास ही आकर बेठ गये थे , मेने फिर उस पोलिश वाले बच्चे से दूसरा सवाल किया के बेटे तुम पढ़ते नहीं उसने कहा सर दिन में पढ़ता हूँ अभी में स्कुल से ही तो आया हूँ और घर से बस्ता रख कर इधर आ गया , बच्चे से पूंछा के तुम कहां रहते हो तो उसने उद्योग नगर वेम्बे योजना में रहना बताया , जब बच्चे से दिन भर की कमिया का ब्यौरा लिया तो बच्चे ने वही शालीनता से जवाब दिया सर पचास से सत्तर रूपये तक रोज़ कम लेता हूँ , बच्चे से फिर मेने सवाल किया के तुम इन रुपयों का क्या करते हो तो बच्चे ने फिर सहज और मासूमियत भरा जवाब दिया सर मेरे पापा को घर पर लेजाकर दे देता हूँ वोह अकेले ढोलक बेचते हें जिससे घर का खर्च ठीक से नहीं चलता पुराना कर्जा हे इसलियें कर्जा उतारने के लियें में भी कमाई कर रहा हूँ , बच्चे की बात सुनकर उस पीड़ित महिला के दोनों बच्चे बगले झाँकने लगे मेने पोलिश वाले बच्चे से फिर वही सवाल किया और उसने फिर वही जवाब दोहराया बस फिर किया था जो महिला आँखों में आंसू और चेहरे पर बेबसी लेकर आई थी उसके आंसू सुख गये थे और वोह अपने बच्चों के इस छोटे से बच्चे की सीख से आचरण में बदलाव महसूस कर रही थे इसलियें उस महिला के आंसू मजबूत इरादों में बदल गये और दोनों बच्चों ने महिला का हाथ पकड़ा और कहा चल मम्मी घबरा मत देखते हें हम और तुइम मिलजुल के कुछ करेगे तो कर्जा तो उतर ही जाएगा परेशानी बेबसी और आंसुओं के बाद एक छोटा सा पोलिश करने वाला बच्चा एक मां के बिगड़े बच्चों को इतनी बढ़ी सीख और बेबस मां को हिम्मत दे जायेगा में सोच ही रहा था के पोलिश वाले बच्चे ने कहा के सर पोलिस के पेसे मेने जेब में हाथ डाला तो खुल्ले नहीं थे पचास का नोट था बच्चे ने कहा सर में खुल्ले करवा कर लाता हूँ लेकिन मेने कहा बेटा बस खुल्लों की जरूरत नहीं हे पुरे के पुरे तू ही रख ले यकीन मानिये उस बच्चे को जबरन पचास रूपये देने के लियें मुझे काफी जद्दो जहद करना पढ़ी तब वोह जाने को तयार हुआ लेकिन कहकर गया हे के अब में बकाया पैसों की रोज़ आपके जूतों की पोलिश करा करूंगा .......... तो ऐसे एक मासूम से बच्चे ने जिंदगी का एक बहुत बढ़ा सबक सिखा दिया जो शायद कभी भुलाया नहीं जा सकेगा । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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  2. @ अख्तर भाई, सही मे ये बच्चा तो नये साल मे सिखने का सौगात दे गया.

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