Saturday, January 01, 2011

भारत मे फिर राम-राज्य स्थापित हुआ तो..?

आजकल बहुत लोग भारत मे रामराज्य स्थापित हो ऐसी अपेक्षा रखते नजर आते है. सचमुच रामराज्य मे ऐसी कौन सी विशेषताए थी की, जिसके कारण आज भी लोकराज्य के बदले कुछ लोग रामराज्य की अपेक्षा रखते है. श्री राम के प्रति आदरभाव रखने वाले ऐसे लोगो से जब पुछा जाता है तब पता चलता है की, ज्यादातर ऐसे रामभक्तो ने तो रामायण पढी ही  नहीं  होती..!! राम और रामायण के प्रति रामभक्तो की ऐसी अज्ञानता रूपी उदासीनता देखकर दु:खद आश्चर्य होता है.

ऐसे रामभक्तो के पास जो भी कुछ प्राथमिक माहिती होती है, वह भी कोइ कथाकार द्वारा कही गयी रामकथा से ही प्राप्त की गयी होती है. विद्वानो के मंतव्यो के अनुसार विश्व मे करीब दो हजार प्रकार की रामायण है. जिनमे से महर्षि वाल्मिकी रचित रामायण को सबसे पुरानी मानी जाती है. किंतु भारत मे आज कथाकार ऐसी प्राचीन और मुख्य मानी जाने वाली महर्षि वाल्मिकी रचित रामायण की कथा क्यों नही  करते..?!! वर्तमान समय मे ज्यादातर रामकथाकार तुलसीदास द्वारा रचित ‘रामचरित मानस’ की ही कथा क्यों कर रहे है..?!! महर्षि वाल्मिकी रचित रामायण की कथा न करने वाले ऐसे कथाकारो को श्री राम और रामभक्तो के द्रोहि कहा जा सकता है या नही..?!!

आज भारत मे रामराज्य प्रस्थापित होता है तो कैसा परिवर्तन आ सकता है..?!! इसका उत्तर तो हमे श्री राम के द्वारा की गयी शुद्र शंबूक की हत्या के प्रसंग से ही प्राप्त हो शकता है. धर्मशास्त्र मे चार युगो का वर्णन है, - सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग. ऐसे धर्म शास्त्र अनुसार श्री राम त्रेतायुग मे हुए थे. त्रेतायुग मे तो केवल ब्राह्मणो  और क्षत्रियो को ही तप या भक्ति करने का अधिकार था. जबकी वैश्य, शुद्र और वर्णबाह्य गिने जाने वाले लोगो को तो ऐसा धार्मिक अधिकार था ही नहीं..!! मनुस्मृति नामक धर्मग्रंथ मे तो केवल जनोइ पहनने वाले को ही द्विज याने की सवर्ण बताया गया है..!!

त्रेतायुग की ऐसी कट्टर जातिवादी प्रणालि का पालन शुद्र शंबूक ने न किया इसलिये राजगुरु वशिष्ठ के आदेश से श्री राम ने शुद्र शंबूक की हत्या की थी. अब सोचें  की भारत मे यदि  फिर से रामराज्य का स्थापन होता है तो, धार्मिक, राजकिय, आर्थिक और शैक्षणिक क्षेत्रो के उपर बिराजमान शुद्र शंबूक के वर्तमान वारसदार सलामत रह सकेंगे सही..?!! इस विषय मे शुद्रो-अतिशुद्रो के साथ साथ वैश्य और महिलाओ को भी सोचना चाहिये..!! अरे...खुद को मनुष्य समझने वाले सभी को सोचना ही चाहिये....!!!


लेखक: विजय चौहान
विजय चौहान का संघर्ष, बदलाव और सुधार की गुंजाईश चाहने वालों के लिए एक मिसाल है. उनसे vijaymchauhan2009@gmail.com   पर संपर्क किया जा सकता है.



2 comments:

  1. हिन्दू संस्कृति में राम द्वारा किया गया आदर्थ शासन रामराज्य के नाम से प्रसिद्ध है। वर्तमान समय में रामराज्य का प्रयोग सर्वोत्कृष्ट शासन या आदर्श शासन के रूपक (प्रतीक) के रूम में किया जाता है।
    रामराज्य, लोकतन्त्र का परिमार्जित रूप माना जा सकता है। वैश्विक स्तर पर रामराज्य की स्थापना गांधीजी की चाह थी।
    और तुम्हारे जैसे दकियानूसी लोग इस बात को कभी नहीं समझेगे

    ReplyDelete
  2. @ अवेनेश सिंह जी, हम जैसे लोगों को कैसे समझ आयेगा, ये समझ तो बस शंबूक और उसके जैसे और बेगुंहों का हत्या करवाने वालों को ही समझ में आयेगा.
    पहले आप बात करना सीखिए, किसी को आप "तुम" की जगह "आप" का संबोधन सीखिए, आपके ऐसे तुक्ष भाषा से चरित्र का पता चल जाता है,

    ReplyDelete