संभवत: सबसे छोटा उपवास। या यूं कहें कि शुरू होने के पहले ही तय हो गया स्थगन। किसानों को मुआवजे और मध्यप्रदेश के साथ केंद्र के भेदभावपूर्ण रवैये को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ‘सविनय आग्रह उपवास’ स्थगित कर दिया है।
कारण? शिवराज ने बताया कि प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह ने सभी मुद्दों पर उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है। इसकी घोषणा खुद उन्होंने भेल दशहरा मैदान स्थित उपवास स्थल पर की।
हैरत की बात यह है कि इसकी जानकारी प्रदेश भाजपा अध्यक्ष प्रभात झा सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं को भी नहीं थी। पाला प्रभावित किसानों को राहत देने सहित केंद्रीय सहायता में भेदभाव से जुड़े अन्य मसलों को लेकर रविवार से उपवास आरंभ करने की घोषणा की गई थी।
मुख्यमंत्री के वेतन-भत्तों से वसूली हो
प्रस्तावित उपवास जनता के पैसों की बरबादी है। इसकी वसूली मुख्यमंत्री के वेतन एवं भत्तों के भुगतान से करनी चाहिए। -दिग्विजय सिंह,कांग्रेस महासचिव
50 लाख खर्च!
उपवास की तैयारी के लिए 50 लाख से अधिक खर्च का अनुमान है। 30000 रुपए प्रतिदिन का किराया तो भेल के दशहरा मैदान का ही था। उपवास स्थल पर अस्थाई कैबिनेट कक्ष,सचिवालय,शयन कक्ष और टॉयलेट बनाए गए थे।
मीडिया सेंटर और एक प्रदर्शनी भी लगाई गई थी।
प्रधानमंत्री ने कहा- समस्याएं चर्चा से हल कर लेंगे
कार्यकर्ताओं में था उत्साह
राजभवन होते हुए मुख्यमंत्री ठीक 12.55 बजे उपवास स्थल पर पहुंचे। सारे वरिष्ठ नेता मंच पर आसीन हो चुके थे। कार्यकर्ता नारे लगा रहे थे कि ‘शिवराज तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं।’ भोपाल सहित पांच जिलों के हजारों कार्यकर्ता भी उपवास पर बैठने वाले थे।
झा ने दिया जोशीला भाषण
भाषण के लिए सबसे पहले प्रदेश भाजपा अध्यक्ष प्रभात झा आमंत्रित किए गए। उन्होंने कहा केंद्र ने बार-बार हमारी अनसुनी की,इसलिए मुख्यमंत्री को उपवास का गांधीवादी रास्ता अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
ललकारने वाले अंदाज में झा ने कहा यह उपवास मप्र में हिलोरें पैदा करेगा और जनसैलाब उमड़ पड़ेगा। एक-एक किसान यहां आकर खड़ा होगा, अब फैसला होकर रहेगा।
..और ठंडा पड़ गया सबका जोश
तिलक के बाद शिवराज का भाषण शुरू हुआ। उन्होंने कहा उपवास का फैसला उन्होंने भारी मन से लिया है। भाषण खत्म करने से पहले उन्होंने अचानक राजभवन में प्रधानमंत्री से टेलीफोन पर हुई चर्चा का उल्लेख कर उपवास स्थगित करने की घोषणा कर दी।
मंच पर बैठे कई भाजपा नेताओं के चेहरे पर इसे लेकर आश्चर्य के भाव देखे गए।
अहलूवालिया करेंगे चर्चा, 20 को दिल्ली में बैठक
मुख्यमंत्री ने घटनाक्रम का उल्लेख करते हुए कहा राज्यपाल रामेश्वर ठाकुर का संदेश उन्हें मिला था कि प्रधानमंत्री उनसे बात करना चाहते हैं। आज सुबह उनकी राजभवन में राज्यपाल रामेश्वर ठाकुर की मौजूदगी में टेलीफोन पर प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह से बातचीत हुई।
डॉ सिंह ने कहा कि वे उपवास न करें। केंद्र ने उनसे बातचीत के लिए योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोटेंकसिंह अहलूवालिया को अधिकृत किया है। 20 फरवरी को इस संबंध में दिल्ली में बैठक बुलाई गई है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आप (शिवराज) मेरे छोटे भाई हैं। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। जो भी विषय हैं, उन्हें हम चर्चा से हल करने का पूरा प्रयास करेंगे। प्रधानमंत्री का इस आशय का पत्र भी कुछ ही देर बाद राजभवन फैक्स कर दिया गया।
वरिष्ठ नेताओं से की चर्चा
इस घटनाक्रम के बाद उन्होंने पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी, लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज और महासचिव एवं प्रदेश प्रभारी अनंत कुमार से बातचीत की। वरिष्ठ नेताओं का यही मत था कि उपवास स्थगित किया जाना चाहिए। इसके बाद उन्होंने यह फैसला किया।
मुख्यमंत्री ने मंच से ही कहा कि वे प्रदेश भाजपा अध्यक्ष झा से उपवास रद्द करने की अनुमति लेते हैं।
अंतिम क्षणों में हुआ निर्णय
बाद में पत्रकारों से चर्चा में मुख्यमंत्री ने माना कि यह फैसला अंतिम क्षणों में लिया गया। उपवास स्थल पर आने के बाद जब वे कुछ देर के उठ कर गए थे,उसी दौरान वरिष्ठ नेताओं से चर्चा के बाद उपवास रद्द करने का निर्णय हुआ।
संगठन के मुखिया झा ने भी माना की इसकी जानकारी उन्हें नहीं थी। उपवास स्थल पर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का जमावड़ा था। इनमें राष्ट्रीय महासचिव नरेंद्र सिंह तोमर,थावरचंद गहलोत,पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा एवं कैलाश जोशी, मंत्रिमंडल के अनेक सदस्य एवं संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल थे।
पीएम से कह चुके थे शिवराज नहीं करूंगा उपवास
उपवास स्थल पर मीडिया को बांटी गई प्रधानमंत्री की चिठ्ठी की अंतिम लाइन में डॉ सिंह ने मुख्यमंत्री को लिखा है कि उपवास न करने के मेरे आग्रह पर सहमति जताने के लिए आपका धन्यवाद। यानी चिठ्ठी फैक्स होने के पहले पीएम से हुई चर्चा में शिवराज उपवास स्थगित करने को लेकर सहमति जता चुके थे। इसके बाद भी उन्होंने उपवास स्थल पहुंचने पर इसका जिक्र पहले नहीं किया।
क्या मुख्यमंत्री के मन में इस फैसले को लेकर आखिरी समय तक दुविधा थी?
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