धार्मिक नगरी पुरी के श्रीजगन्नाथ मंदिर के ठीक सामने एक मठ में खजाना छुपा हुआ था। इस खजाने के बारे में किसी को नहीं पता था लेकिन जब राज खुला तो सबकी आंखें फटी की फटी रह गईं। मंदिर के सामने मौजूद मठ में एक गुप्त कमरे में चांदी की ईंटों का अंबार लगा था। इस खजाने का खुलासा तब हुआ जब मठ की मरम्मत का काम चल रहा था।
पिछले कई दिनों से पुरातत्व विभाग इस मठ की मरम्मत करा रहा था। इस दौरान एक दिन दीवार का एक टुकड़ा टूटकर नीचे गिर पड़ा। दीवार का टुकड़ा गिरा तो उसे देखने दो मजदूर पहुंचे। दोनों को दीवार के पीछे चांदी की ईंटें चमकती दिखीं। चांदी देख दोनों की नीयत बिगड़ गई और वो कुछ ईंटें निकालकर बेचने के लिए बाजार पहुंचे। लेकिन वो ईंटें बेच पाते इससे पहले ही पुलिस ने उन्हें धर दबोचा। बाद में दोनों की निशानदेही पर जब मठ की दीवार तोड़ी गई तो सबकी आंखें खुली की खुली रह गई। दीवार में बने तहखाने में लकड़ी के तीन संदूकों में चांदी की भारी-भारी ईंटों का अंबार लगा था।
चांदी की एक-एक ईंट काफी भारी थी। मजदूरों को एक ईंट उठाने में भी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा था। मौके पर हर ईंट का वजन किया गया तो एक ईंट का वजन करीब 30 से 40 किलो का था। पुलिस का कहना है कि मठ के गुप्त तहखाने से चांदी की 522 ईंटें मिली है। जिनका कुल वजन 18 टन, 87 किलो, 300 ग्राम है। आज के बाजार के भाव के हिसाब से इसकी कीमत 90 करोड़ रुपए से भी ज्यादा आंकी गई है। ऐसा लगता है कि इन ईंटों को विदेशों से लाया गया है क्योंकि इन ईंटों पर बैंकॉक, शंघाई और कनाडा का नाम खुदा हुआ है। ऐसा अंदाजा लगाया जा रहा है कि चांदी की ये ईंटें सौ साल पुरानी हैं। इनकी सही-सही उम्र पता करने के लिए फॉरेंसिक जांच की मदद ली जा रही है।
पुलिस के मुताबिक खजाने में से 8 ईंटें गायब हैं। जिनमें से 4 बरामद कर ली गई हैं और 4 का कुछ पता नहीं है। एमार मठ पुरी के प्राचीन मठों में से एक है। मठ में रहने वालेवालों का कहना है कि उन्हें भी नहीं पता था कि मठ के अंदर खजाना दबा हुआ है क्योंकि इस खजाने के चारों तरफ दीवार खड़ी थी जिसकी वजह से खजाने का अस्तित्व छुपा हुआ था। मठ में छुपे इस खजाने के खुलासे से कुछ सवाल भी उठ खड़े हुए हैं आखिर इतनी बड़ी मात्रा में चांदी यहां किसने रखी थी। क्या इसे किसी ने चढ़ावे में दिया है या किसी ने तस्करी का माल छुपाया था। पुलिस इन सवालों के जवाब तलाशने में जुटी है।
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