Friday, February 04, 2011

नरेंद्र मोदी गुजरात दंगे भड़काने और सबूत मिटाने के दोषी!




नौ साल पहले गुजरात में भड़के सांप्रदायिक दंगों के लिए मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी को दोषी करार दिया गया है। गोधरा दंगों पर विशेष जांच दल (एसआईटी) की 600 पन्‍नों की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। सरकार पर इन दंगों के दौरान तटस्‍थ भूमिका निभाने वाले पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को कम महत्‍वपूर्ण विभागों में भेज देने जबकि सरकार के मनमुताबिक काम करने वाले अधिकारियों को ‘ईनाम’ देने का आरोप है।

निजी टीवी चैनल ‘हेडलाइंस टुडे’ ने दावा किया है कि यह रिपोर्ट उसके हाथ लगी है। इसके हवाले से चैनल ने कहा है कि गुजरात सरकार ने विश्‍व हिंदू परिषद (वीएचपी) और राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (आरएसएस) की विचारधारा से जुड़े वकीलों को इन मामलों की सुनवाई के दौरान सरकारी वकील नियुक्‍त किया। मोदी को गोधरा दंगों पर भड़काऊ बयान देने का भी दोषी करार दिया गया है।

एसआईटी की रिपोर्ट में मोदी के इस बयान का भी जिक्र है, जिसमें उन्‍होंने कहा था कि ‘हर क्रिया की बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती है।’ मोदी को ऐसा बयान देकर दंगों के गंभीर हालात को कमतर आंकने का दोषी पाया गया है। गुजरात सरकार को गुलबर्ग सोसाइटी कांड जैसे मामलों की गंभीरता पर पानी फेरने का दोषी करार दिया गया है।

मोदी को दंगा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा नहीं कर भेदभाव करने का भी दोषी ठहराया गया है। मोदी पर आरोप हैं कि उन्‍होंने अहमदाबाद जैसे दंगा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा नहीं किया जो मुस्लिम बहुल इलाका है जबकि गोधरा का दौरा किया। गुजरात सरकार को दंगे के दौरान गैर कानूनी तरीके से मंत्रियों को पीसीआर वैन में तैनात करने का भी दोषी ठहराया गया है। इन मंत्रियों पर पुलिस के काम में दखल देने और दंगाइयों की मदद करने का आरोप है।

एसआईटी रिपोर्ट में गुजरात सरकार को गुजरात दंगों के जुड़े अहम रिकार्ड मिटाने का दोषी करार दिया गया है। मोदी को दंगों के दौरान मुसलमानों पर हमलों के बाद गैर जिम्‍मेदाराना बयान देने और गैर जिम्‍मेदारान रवैया दिखाने का दोषी भी ठहराया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक मोदी सांम्‍प्रदायिक मानसिकता और भड़काऊ भाषण देने वाले शख्‍स हैं।

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