योगसूत्र में योग के क्रियात्मक पक्ष की चर्चा की गई है। यह यौगिक क्रिया ध्यान लगाने की औपचारिक कला, मानव का आंतरिक स्थिति में परिवर्तन लाने, और मानव चेतना को पूर्ण रूप से अंतर्मुखी बनाने से संबद्ध थीं।
ए.ई.गौफ ने ‘फिलासफी ऑफ दि उपनिषदाज (१८८२) में लिखा है कि योग का आदिम समाजों, खासकर आदिम जातियों निम्न जातियों से संबंध है। दार्शनिकों की एकमत राय है कि योग का तंत्र मंत्र, जादू टोने से भी संबंध रहा है। इस परिपेक्ष्य को ध्यान रखकर देखें तो बाबा रामदेव ने आधुनिक धर्मनिरपेक्ष योगियों की परंपरा का निर्वाह करते हुए योग प्राणायाम को तंत्र मंत्र,जादू टोने से नहीं जोडा है। बल्कि वे अपने कार्यक्रमों में किसी भी तरह के कर्मकांड आदि का प्रचार भी नहीं करते। अंधविश्वासों का भी प्रचार नहीं करते। सिर्फ सामाजिक राजनीतिक तौर पर उनके जो विचार हैं वे संयोगवश संघ परिवार या हिन्दुत्ववादियों से मिलते हैं।
बाबा रामदेव का विखंडित व्यक्तित्व हमारे सामने है। एक ओर वे योग प्राणायाम को तंत्र वगैरह से अलगाते हुए धर्मनिरपेक्ष व्यवहार पेश करते हैं, लेकिन दूसरी ओर अपने जनाधार को बढाने के लिए हिन्दुत्ववादी विचारों का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन इस समूची क्रिया में योग प्राणायाम प्रधान है, उनके राजनीतिक सामाजिक विचार प्रधान नहीं है। उनका योग प्राणायाम का एक्शन महत्वपूर्ण है। उनका हिन्दुत्व का प्रचार महत्वपूर्ण नहीं है। हिन्दुत्व के राजनीतिक विचारों को वे अपने योग के बाजार विस्तार के लिए इस्तेमाल करते हैं।
वे एक राजनीतिक दल बना चुके हैं जो अगले लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार खडे करेगा। मैं समझता हूँ उन्हें राजनीति में सफलता नहीं मिलेगी। इसका प्रधान कारण है उनका राजनीतिक आधार नहीं है। उनके योग शिविर का सदस्य उनका राजनीतिक सदस्य नहीं है। यदि संत महंतों की राजनीतिक पार्टियां हिट कर जातीं तो करपात्रीजी महाराज जैसे महापंडित और संत की रामराज्य परिषद का दिवाला नहीं निकलता। हाल के वर्षों में बाबा जयगुरूदेव की पार्टी के सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त न हुई होती।
उल्लेखनीय है बाबा जयगुरूदेव की उन इलाकों में जमानत जब्त हुई है जहां पर उनके लाखों अनुयायी हैं। बाबा रामदेव को यह ख्याल रखना चाहिए कि वे विश्व हिन्दू परिषद से ज्यादा प्रभावशाली नहीं हैं लेकिन कुछ क्षेत्रों को छोडकर अधिकांश भारत में विश्व हिन्दू परिषद चुनाव लडकर जमानत भी नहीं बचा सकती है। इससे भी बडी बात यह है कि भारतीय राजनीतिक जनमानस में अभी भी धर्मनिरपेक्षता की जडें गहरी हैं। कोई भी पार्टी धार्मिक या फंडामेंटलिस्ट एजेण्डा सामने रखकर चुनाव नहीं जीत सकती। गुजरात या अन्य प्रान्तों में भाजपा की सफलता का कारण इन सरकारों का गैर धार्मिक राजनीतिक एजेण्डा है। दंगे के लिए घृणा चल सकती है। वोट के लिए घृणा नहीं चल सकती। यही वजह है कि गुजरात में व्यापक हिंसाचार करने के बावजूद भाजपा यदि जीत रही है तो उसका प्रधान कारण है उसका अधार्मिक राजनीतिक एजेण्डा और विकास पर जोर देना।
कहने का तात्पर्य यह है कि बाबा रामदेव टीवी चैनलों पर जिस तरह की राजनीतिक बातें करते हैं उसके आधार पर वे कभी चुनाव नहीं जीत सकते। क्योंकि उनका राजनीति से नहीं योग से संबंध है। उन्होंने जितने साल संयासी के रूप में गुजारे उतने साल राजनीतिक दल बनाने और राजनीतिक संघर्ष करने पर खर्च किए होते तो संभवतः उन्हें कुछ सफलता मिल भी सकती थी।
बाबा रामदेव कम्पलीट पूंजीवादी मानसिकता के हैं। वे योग और अपने संस्थान से जुडी सुविधाओं का चार्ज लेते हैं। उनके यहां कोई भी सुविधा मुफ्त में प्राप्त नहीं कर सकते। यह उनका योग के प्रति पेशेवर पूंजीवादी नजरिया है। वे फोकट में योग सिखाना,अपने आश्रम और अस्पताल में इलाज की व्यवस्था करने देने के पक्ष में नहीं हैं। मसलन उनके हरिद्वार आश्रम में चिकित्सा के लिए आने वालों में साधारण सदस्यता शुल्क ११हजार रूपये, सम्मानित सदस्यता २१ हजार रूपये, विशेष सदस्यता शुल्क ५१ हजार रूपये, आजीवन सदस्यता एक लाख रूपये, आरक्षित सीट के लिए २ लाख ५१ हजार रूपये और संस्थापक सदस्यों से ५ लाख रूपये सदस्यता शुल्क लिया जाता है।
आयकर विभाग की मानें तो बाबा रामदेव द्वारा संचालित दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट भारत के समृद्धतम ट्रस्टों में गिना जाता है। जबकि अभी इसे कुछ ही साल अस्तित्व में आए हुए हैं। गृहमंत्रालय के हवाले से ‘तहलका‘ पत्रिका ने लिखा है कि बाबा रामदेव की सालाना आमदनी ४०० करोड रूपये है। यह आंकडा २००७ का है।
असल समस्या तो यह है कि बाबा अपनी आय का आयकर विभाग को हिसाब ही नहीं देते। कोई टैक्स भी नहीं देते। पत्रिका के अनुसार ये अकेले संत नहीं हैं जिनकी आय अरबों में है। श्रीश्री रविशंकर की सालाना आय ४०० करोड रूपये,आसाराम बापू की ३५० करोड रूपये,माता अमृतानंदमयी ‘‘अम्मा“ की आय ४०० करेड रूपये, सुधांशु महाराज ३०० करोड रूपये,मुरारी बापू १५० करोड रूपये की सालाना आमदनी है। (तहलका,२४जून, २००७)
एक अन्य अनुमान के अनुसार दिव्ययोग ट्रस्ट सालाना ६०मिलियन अमेरिकी डॉलर की औषधियां बेचता है। सीडी, डीवीडी, वीडियो आदि की बिक्री से सालाना ५ लाख मिलियन अमेरिकी डॉलर की आय होती है। बाबा के पास टीवी चैनलों का भी स्वामित्व है।
उल्लेखनीय है बाबा रामदेव अपने कई टीवी भाषणों और टीवी शो में विदेशों में जमा काले धन को वापस लाने और भ्रष्टाचार के सवाल पर बहुत कुछ बोल चुके हैं। हमारी एक ही अपील है कि बाबा रामदेव अपने साथ जुडे ट्रस्टों, आश्रमों, अस्पतालों और योगशिविरों के साथ साथ चल अचल संपत्ति का समस्त प्रामाणिक ब्यौरा जारी करें, वे यह भी बताएं कि उनके पास इतनी अकूत संपत्ति कहां से आयी और उनके दानी भक्त कौन हैं, उनके नाम पते सब बताएं। बाबा रामदेव जब तक अपनी चल अचल संपत्ति का समस्त बेयौरा सार्वजनिक नहीं करते तब तक उन्हें भारत की जनता के सामने किसी भी किस्म के नैतिक मूल्यों की वकालत करने का कोई हक नहीं है। भारत में अघोषित तौर पर संपत्ति रखने वाले एकमात्र अमीर लोग हैं या बाबा रामदेव टाइप संत महंत। जबकि सामान्य नौकरीपेशा आदमी भारत सरकार को आयकर देता है, अपनी संपत्ति का सालाना हिसाब देता है। भारत सरकार को सभी किस्म के संत महंतों की संपत्ति और उसके स्रोत की जांच के लिए कोई आयोग बिठाना चाहिए और इन संतों को आयकर के दायरे में लाना चाहिए।
नव्य उदारतावाद के दौर में टैक्सचोरों और कालेधन को तेजी से सफेद बनाने की सूची में भारत के नामी गिरामी संत महंतों की एक बडी जमात शामिल हुई है। इन लोगों की सालाना आय हठात् अरबों खरबों रूपये हो गयी है। इस आय के बारे में राजनीतिक दलों की चुप्पी चिंता की बात है। उनके देशी-विदेशी संपत्ति और आय के विस्तृत ब्यौरे को सार्वजनिक किया जाना चाहिए।
संतों महंतों के द्वारा धर्म की आड में कारपोरेट धर्म का पालन किया जा रहा है। धर्म जब तक धर्म था वह कानून के दायरे के बाहर था लेकिन जब से धर्म ने कारपोरेट धर्म या बडे व्यापार की शक्ल ली है तब से हमें धर्म उद्योग को नियंत्रित करने, इनकी संपत्ति को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने, सामाजिक विकास कार्यों पर खर्च करने की वैसे ही व्यवस्था करनी चाहिए जैसी आंध्र के तिरूपति बालाजी मंदिर से होने वाली आय के लिए की गई है।
इसके अलावा इन संतों महंतों के यहां काम करने वाले लोगों की विभिन्न केटेगरी क्या हैं, उन्हें कितनी पगार दी जाती है,वे कितने घंटे काम करते हैं, किस तरह की सुविधा और सामाजिक सुरक्षा उनके पास है। कितने लोग पक्की नौकरी पर हैं, कितने कच्ची नौकरी कर रहे हैं। इन सबका ब्यौरा भी सामने आना चाहिए। इससे हम जान पाएंगे कि धर्म की आड में चल रहे धंधे में लोग किस अवस्था में काम कर रहे हैं।
संतों महंतों के द्वारा संचालित धार्मिक संस्थानों को कानून के दायरे में लाना बेहद जरूरी है। भारत में धर्म और धार्मिक संत-महंत कानून से परे नहीं हैं। वे भगवान के भक्त हैं तो उन्हें कानून का भी भक्त होना होगा। कानून का भक्त होने के लिए जरूरी है धर्म के सभी पर्दे उठा दिए जाएं।
भाभी जी प्रणाम-सलाम , मेने पहली बार बाबा रामदेव भय्या के साथ भाभी जी को देखा ज़रूरी हैं आदर के साथ सलाम करने का दिल हुवा बड़े हैं हमसे और फिर भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान भी छेड़ने वाले हैं लेकिन यहाँ एक दुःख और हुवा ''भ्रष्टाचार अभियान से हैं कांग्रेसी-पिट्ठू परेशान'' अभी-अभी एक कांग्रेसी सांसद ने असभ्येता का परिचय देते हुए अश्लील-गाली दी हैं हमारे बाबा रामदेव भय्या को ! किया बोखला गई हैं कांग्रेस ?.:मोहम्मद तारिक
ReplyDeletehttp://www.indiaagainstcorruption.org/
ReplyDeletehttp://rajivdixit.in/
ek barr issae bhi visit kar lain
har dharm ke log apne dharm ka prachar karte hain..........baba ramdev agar hindu dharm ka prachar kar rahe hain to kya galat hai.????? rahi baat yog ki......kisne bola yog ka dharm se nahi lena dena..........muslim yog nahi karte..........kyun???? fatwe bhi nikalte hain ki yog islaam virodhi hai........ye sampradayik nahi hai??? isayi bhi yog ko isayat ka dushman bolte hain......muslim-isayi ye sab dharm nirpeksh.........aur agar koi hindu yog ke jariye hindu darshan ka prachaar karde to vo samprdayik???????? kyun logon ko bewkoof bana rahe ho yahan?????
ReplyDelete@ मोहित, आपने बिलकुल सही कहा के कियों लोगों को बेवकूफ बना रहें हैं बाबा, तो सुनिए बाबा लोगों को बेवकूफ इसलिए बना रहें हैं कियोंके लोग आस्था के नाम पर जा रहें हैं और वो लोगों को वेवाकुफ़ बना रहें हैं,
ReplyDeleteदूसरी बात बाबा धार्मिक है के नहीं है इससे किया लेंगा देना पर टैक्स चोर ज़रूर हैं कियोंके टैक्स को चोरी कर रहें हैं टैक्स बाबाओं के लिए फ्री नहीं है,// समस्या तो यह है कि बाबा अपनी आय का आयकर विभाग को हिसाब ही नहीं देते। कोई टैक्स भी नहीं देते। पत्रिका के अनुसार ये अकेले संत नहीं हैं जिनकी आय अरबों में है। श्रीश्री रविशंकर की सालाना आय ४०० करोड रूपये,आसाराम बापू की ३५० करोड रूपये,माता अमृतानंदमयी ‘‘अम्मा“ की आय ४०० करेड रूपये, सुधांशु महाराज ३०० करोड रूपये,मुरारी बापू १५० करोड रूपये की सालाना आमदनी है। (तहलका,२४जून, २००७)//
bhai lagta hai tum congress ya left
ReplyDeleteparty ke ho....karo bhai tum bhi apna kaam kar rahe ho..tumhe afwahe failaine ke paise mil rahe hai to kaise namak harami karoge par yaad rakho is paap ke ped pe fal 1 baar lagta hai...
बाबा रामदेव कम्पलीट पूंजीवादी मानसिकता के हैं। वे योग और अपने संस्थान से जुडी सुविधाओं का चार्ज लेते हैं। उनके यहां कोई भी सुविधा मुफ्त में प्राप्त नहीं कर सकते। यह उनका योग के प्रति पेशेवर पूंजीवादी नजरिया है। वे फोकट में योग सिखाना,अपने आश्रम और अस्पताल में इलाज की व्यवस्था करने देने के पक्ष में नहीं हैं। मसलन उनके हरिद्वार आश्रम में चिकित्सा के लिए आने वालों में साधारण सदस्यता शुल्क ११हजार रूपये, सम्मानित सदस्यता २१ हजार रूपये, विशेष सदस्यता शुल्क ५१ हजार रूपये, आजीवन सदस्यता एक लाख रूपये, आरक्षित सीट के लिए २ लाख ५१ हजार रूपये और संस्थापक सदस्यों से ५ लाख रूपये सदस्यता शुल्क लिया जाता है।
ReplyDeleteKYA MUSLIM SANSTHAN AUR MUSLIM DHARMIK SANSTHAN PURA TAX DETE HE? UN KO BHI KHULA KARO
ReplyDeleteभारतीय मुस्लिम संस्थान/भारतीय मुस्लिम तो दो दो बार टैक्स देते हैं, एक गवर्मेंट को और दूसरा जकात के रूप में, अगर आपको लगता है के नहीं देते हैं तो आप आवाज़ उठाइए हम आपके साथ है हर कदम पे
ReplyDeleteKya aap bata sakte hain Zakaat ka hisaab kitaab kan rakhta hai ?
ReplyDeleteKya aap chhote bachche hai jo ye nahi samaj rahe ki central mai Congress ki government hai aur baba sabse jyadaa usike khilaaf baul rahe hai.Kya government ke paas ye powers nahi hai ki wo baba ki inquiry karaye?GOV. sabkuch karke dekh chuki hai use baba ki janch mai kuch bhi nahi mila hai. Aur aap ye sare figures kahan se utha laate hai? Kya aap ke paas iski authorised information hai?Waise to koi bhi bol dega ALI SOHRAB ke paas 500 caror ki daulat hai.Is it right.Please afwahe failana banh kare.Yadi aapko iske liye kuch paymant mil rahi hai to then show must go on.
ReplyDelete@ मुकेश जी, देखिये होने के लिए कुछ भी हो सकता है और सोचने के लिए आप कुछ भी सोच सकतें है पर हकीक़त तो हकीक़त होती है,
ReplyDeleteआप ये भी सोच सकतें हैं के कहीं बाबा ही तो हमारा घर का खर्चा तो नहीं चला रहें हैं कियोंके ऐसे में उनका प्रचार तो हो रहा है,
अरे पहले पादरी जितने है हमारे देश मे वो दे हिसाब...सारे मौलवी दे हिसाब ...विदेशो से कितना पैसा किस काम के लिए आया है
ReplyDeleteफिर मेरे भाई हमारा बाबा भी हिसाब देगा.......चुन चुन के हिसाब देगा... और सावधान हिसाब देगा ही नहीं लेगा भी.....और हिसाब मांगने वालों पहले अपना हिसाब दो कांग्रेस के चमचो... सबकी जल रही है .... खुद कुछ कर के दिखावो...बाबा बहुत बड़ा हो गया है... ऊँगली उठाने वालों तुम पर भी नज़र है हमारी और हम जैसे हजारो लोगो की ....बचोगे नहीं बाबा पर ऊँगली उठा कर तुम्हारी खबर लेंने हम आ रहे है... इसे कोरी धमकी मत समझना...
अरे पहले पादरी जितने है हमारे देश मे वो दे हिसाब...सारे मौलवी दे हिसाब ...विदेशो से कितना पैसा किस काम के लिए आया है
ReplyDeleteफिर मेरे भाई हमारा बाबा भी हिसाब देगा.......चुन चुन के हिसाब देगा... और सावधान हिसाब देगा ही नहीं लेगा भी.....और हिसाब मांगने वालों पहले अपना हिसाब दो कांग्रेस के चमचो... सबकी जल रही है .... खुद कुछ कर के दिखावो...बाबा बहुत बड़ा हो गया है... ऊँगली उठाने वालों तुम पर भी नज़र है हमारी और हम जैसे हजारो लोगो की ....बचोगे नहीं बाबा पर ऊँगली उठा कर तुम्हारी खबर लेंने हम आ रहे है... इसे कोरी धमकी मत समझना...
अरे पहले पादरी जितने है हमारे देश मे वो दे हिसाब...सारे मौलवी दे हिसाब ...विदेशो से कितना पैसा किस काम के लिए आया है
ReplyDeleteफिर मेरे भाई हमारा बाबा भी हिसाब देगा.......चुन चुन के हिसाब देगा... और सावधान हिसाब देगा ही नहीं लेगा भी.....और हिसाब मांगने वालों पहले अपना हिसाब दो कांग्रेस के चमचो... सबकी जल रही है .... खुद कुछ कर के दिखावो...बाबा बहुत बड़ा हो गया है... ऊँगली उठाने वालों तुम पर भी नज़र है हमारी और हम जैसे हजारो लोगो की ....बचोगे नहीं बाबा पर ऊँगली उठा कर तुम्हारी खबर लेंने हम आ रहे है... इसे कोरी धमकी मत समझना...
आपलोगों के पास जवाब नहीं है तो धमकी देना शुरू कर दिए और कौन किसका चमचा है ये तो कमेंट्स देख कर लोगों को पता चल ही गया होगा, लेकिन कम से कम बाबा का हिसाब तो देदो, और धमकी देकर अपनी आई डी कियों डिलीट कर दिए हमें भी तो कुछ नज़र रखने दो.
ReplyDelete@ Manky: दिग्विजय सिंह के बयान के बाद बाबा रामदेव ने हुंकार भरी और यह बोल गए कि वह आज हज़ारों करोड़ के ब्रांड बन चुके हैं. क्या संत ब्रांड बन सकते हैं? क्या धर्म का धंधा किया जा सकता है? क्या योग की मार्केटिंग हिंदू धर्म की परंपरा के मुताबिक़ है?
ReplyDelete@ Manky: चिन्मयानंद ने कहा कि रामदेव योग को बेचते हैं. उन्होंने सरकार से मांग की कि अगर शो करने पर देश के सिने कलाकारों को करोड़ों रुपये टैक्स देना पड़ता है तो बाबा के योग शो को सरकार ने इस दायरे से बाहर कैसे रखा है? उन्हें भी टैक्स के दायरे में लाया जाना चाहिए. बाबा ने जन कल्याण के नाम पर जनता से छल करके करोड़ों रुपये की काली कमाई की है. आयुर्वेदिक दवाएं तो डाबर एवं झंडू फार्मा सहित अनेक कंपनियां बनाती हैं, जो सभी तरह के टैक्स अदा करती हैं. इसके बावजूद उनके उत्पाद दिव्य योग पीठ फार्मेसी की दवाओं से कम दामों पर बिकतें हैं.
ReplyDeleteapke adarsh hasan alli ho sakte hen alli ji
ReplyDelete@ पंकज जी, कहीं आपके आदर्श रामकिशन यादव(रामदेव) तो नहीं,
ReplyDeleteAli sohrab kahin tumhare aadarsh "AJMAL KASAB" to nahi hain?
ReplyDelete@समीक्षा, आपके आदर्श को ये भी नहीं पता के उनके पिता कौन हैं,बाबा रामदेव को पहला पासपोर्ट 31 अगस्त, 1994 (संख्या-आर-626709) बरेली के पासपोर्ट कार्यालय से जारी हुआ। तब रामदेव ने मुजफ्फरनगर के पते से आवेदन किया और अपना जन्म स्थान खतौली, जिला मुजफ्फरनगर बताया था। जन्म तिथि 16-11-1971 बताई गई थी।
ReplyDelete2006 में उन्होंने पासपोर्ट कार्यालय में फिर से आवेदन इस बात के हलफनामे के साथ दाखिल किया कि पहले आवेदन में उन्होंने गलती अपनी जन्म तिथि और जन्म स्थान के बारे गलत जानकारी दी थी। इसलिए अब उन्हें नए जन्म स्थान और जन्म तिथि के आधार पर पासपोर्ट दिया जाए।
इस आवेदन और हलफनामे में उन्होंने अपनी जन्म तिथि 10-1-71 और जन्म स्थान ग्राम सैदअलीपुर जिला महेन्द्रगढ़, हरियाणा बताया। आवेदन में उन्होंने पिता वाले कॉलम में रामनिवास यादव की जगह स्वामी शंकरदेव के नाम का उल्लेख किया। इसके प्रमाण के तौर पर उन्होंने राशन कार्ड और वर्ष 2000 की वोटर लिस्ट की कॉपी लगाई। इन दोनों में ही उनके पिता का नाम स्वामी शंकरदेव दर्ज है जबकि सरकारी जांच रिपोर्ट में उनके पिता का नाम रामनिवास यादव बताया गया है।
@अहसास की परतें, शायद आपको कुछ अहसास नहीं है,
ReplyDeleteरामदेव के सहयोगी आचार्य बालकृष्णा के पास 'फर्जी पासपोर्ट' के साथ साथ दो-दो जन्म प्रमाणपत्र है, पहला जन्म प्रमाणपत्र 1997 में हरिद्वार नगर पालिका द्वारा जारी किया गया है जिसमें बालकृष्णं के माता-पिता को भारतीय बताया गया है तथा दूसरा प्रमाणपत्र नेपाल में 2006 में जारी किया गया जिसमें बालकृष्णण के माता-पिता को नेपाली मूल का बताया गया है।
AJMAL KASAAB KO ALI KA AADARSH BATA K WAAQAI EHSAAS KI PARTE KHOL DI AAPNE.......SHAME ON U
ReplyDeleteZEHNIYAT HE GANDI AUR OCCHI HAI MAAF KIJIYEGA AAPKI..........AJMAL KASAB KYU HON LAGA ADARSH ALI KA.......MERE KHYAAL SE SAADHWEE PRAGYA AAPKI ADARSH HAIN
MAI AAP LOGO KA COMMENTS PADHA ...PADH KE BAHUT DUKH HUWA.....dukh isliye ki...sabhi insaan apne dharm ke piche pade huye hain...insaaniyat ke piche nahi.....yadi koi dharm ka dusprachar karta hai o bhi insaan galat hai aur jo dusre dharmo ki burayi karta hai o bhi lagat hai...dharm to dharm hai...insaan galat ho sakte hain dharm nahi....aur iss duniya me 99.9% log ye puri 100% apne dharm ka palan nahi karte... isliye Main ANUJ KUMAR her ek dharmo ke logo se apil karta hoon ki ye bahasbaji se bache aur bhaichaare ke saat mil gul kar insaaniyat ka saath nibhaye....
ReplyDeletebaba ramdev ke rasan card me unke pita ka naam RAM NIWAS YADAV darz hai aur passport me unke pita ka naam SWAMI SHANKAR DEV likhwaya hai.yah kese sambhav ho sakta hai ki baba ramdev ke do do baap hain...bole to DNA kara lo sayad aur naam samne aa jayeen.
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