Tuesday, February 08, 2011

इस्लामी देशों की महिला मंत्रियों का सम्मेलन


समस्त मनुष्यों के लिए आर्थिक गतिविधियां, स्फ़ूर्ति, रचनात्मकता और परिपूर्णता का कारण बनती है। समाज की आधी जनसंख्या के रूप में महिलाएं भी इसी प्रकार का अधिकार रखती हैं। महिलाएं आर्थिक गतिविधियों और प्रयासों द्वारा अपनी क्षमताओं को बढ़ाकर समाज और पारिवारिक जीवन को श्रेष्ठ बनाने के लिए प्रभावी और सार्थक भूमिका निभाने में सक्षम हो जाती हैं। अलबत्ता इसी के साथ सरकारों को भी विभिन्न आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में महिलाओं की क्षमताओं से लाभ उठाने के लिए कार्यक्रम बनाना चाहिए।
आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक क्षेत्रों और अन्य समस्त क्षेत्रों में महिलाओं को आगे बढ़ाना, महिलाओं की क्षमताओं से लाभ उठाने के लिए मुख्य क़दम है। इसीलिए इस्लामी कांफ़्रेंस संगठन ओआईसी ने महिलाओं के स्थान को ऊंचा उठाने के उद्देश्य से इस्लामी देशों में महिलाओं की स्थिति की समीक्षा करने के लिए विभिन्न सम्मेलनों का आयोजन किया। इन सम्मेलनों में वर्ष 2005 में इस्लामी कांफ़्रेंस संगठन के सदस्य देशों के विदेशमंत्रियों ने यमन में निर्णय किया कि अर्थव्यवस्था और परिवार के क्षेत्रों में महिलाओं के स्थान को बढ़ाने के लिए इस संगठन की महिला मंत्रियों का सम्मेलन आयोजित करेंगे। इसका पहला सम्मेलन तुर्की में और दूसरा क़ाहिरा में आयोजित हुआ था। दूसरे सम्मेलन में ईरान के प्रतिनिधियों की ओर से वर्ष 2010 में तेहरान में इस्लामी देशों की महिला मंत्रियों के तीसरे सम्मेलन के आयोजन का प्रस्ताव रखा गया जो सर्वसम्मति से पारित हो गया।
19 दिसम्बर को इस्लामी देशों की महिला मंत्रियों का तीसरा सम्मेलन तेहरान में आरंभ हुआ और तीन दिनों तक जारी रहा। इस तीन दिसवीय सम्मेलन में 20 महिला मंत्रियों सहित इस्लामी कांफ़्रेंस संगठन के सदस्य देशों के 43 प्रतिनिधि सम्मलित हुए। इस सम्मेलन का मुख्य विषय था महिला, परिवार और अर्थव्यवस्था। यह विषय, इस्लामी कांफ़्रेंस संगठन के दस वर्षीय क्रियाकलापों और इस्लामी मूल्यों के परिप्रेक्ष्य में विभिन्न राजनैतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में महिलाओं के विकास के आधार पर चुना गया था। इस सम्मेलन में समीक्षा किए जाने वाले बिन्दुओं में से एक मुस्लिम महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि और उपभोग मानक में सुधार था। प्रस्तुत किए गये अन्य विषयों में से एक वैश्विक आर्थिक संकट से उत्पन्न होने वाली हानियों और इस्लामी देशों में महिलाओं के आर्थिक और राजनैतिक परिवर्तनों में होने वाली हानियों को कम करना है। इस परिधि में फ़िलिस्तीन, पाकिस्तान, इराक़ और दूसरे मुसलमान देशों की महिलाओं को होने वाली हानियों को कम करने के उपायों को बयान करना और समीक्षा करना है। इसी प्रकार इस्लामी देशों की महिला मंत्रियों और प्रतिनिधियों ने इस्लामी देशों की एकता, आर्थिक क्षेत्रों और कारकों की समीक्षा करते हुए मुसलमान महिलाओं की भागीदारी और विकास के विषय पर भाषण दिए।
राष्ट्रपति डाक्टर महमूद अहमदी नेजाद ने इस सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में महिला, परिवार और अर्थव्यवस्था को महत्त्वपूर्ण तत्व और समाज के कल्याण का कारण बताया और कहा कि महिला, परिवार के गठन का मुख्य बिन्दु और तत्व है। कृपाशील होना, सुख शांति प्रदान करना और प्रबंधक व प्रशिक्षण तीन महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में महिलाओं की मुख्य भूमिका उल्लेखनीय है। राष्ट्रपति ने महिलाओं पर पश्चिम की भौतिक दृष्टि की ओर संकेत करते हुए कहा कि हालिया दशक में वर्चस्ववादियों और सम्राज्यवादियों ने महिलाओं का अपमान करने का प्रयास किया है और उन्होंने उनके विकास और परिपूर्णता तक पहुंचने के मार्ग में बाधाएं उत्पन्न की है और परिवार को तोड़ने का प्रयास किया ताकि महिलाओं के प्रेम और स्नेह के स्रोत को समाप्त कर दें और महिलाओं के मुख्य मोर्चे को ध्वस्त कर दें। इसके विपरीत राष्ट्रपति ने इस्लामी देशों की महिलाओं की भूमिका को सामाजिक गतिविधियों और परिवार में महिलाओं के वास्तविक स्थान और हस्तियों को पुनर्जिवित करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण बताया और कहा कि इस्लामी देशों और बहुत से देशों की महिलाएं, मानवीय और ईश्वरीय विचार धाराओं पर आधारित शक्तिशाली विचारधारा और वैचारिक आधारभूत संरचना से संपन्न हैं।
महिलाएं लक्ष्यों से भलिभांति अवगत हैं और हज़रत मरियम, हज़रत ख़दीजा और हज़रत फ़ात्मा सलामुल्लाह अलैहा जैसी महिलाओं के आदर्श को अपनाए हुए हैं।
इस समय महिलाओं को पहले से अधिक अपनी पारिवारिक, सामाजिक और आर्थिक भूमिकाओं के मध्य गम्भीर समन्वय की आवश्यकता है। राष्ट्रपति कार्यालय में परिवार और महिला मामलों के केन्द्र की प्रमुख डाक्टर मरियम मुजतहिद ज़ादे ने इस सम्मेलन में आर्थिक क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि का लक्ष्य आर्थिक प्रगति से बढ़कर बताया और इसका लक्ष्य को सक्रिय और लचकदार मानवीय संपत्ति को उत्पन्न करना बताया और कहा कि समाज में महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक उपस्थिति को कभी भी ऐसा नहीं होना चाहिए कि वो व्यक्तिगत सुरक्षा और परिवार में महिलाओं की भूमिका को ख़तरे में डाल दे। मुसलमान महिलाओं को मातृत्व और पत्नी की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर बल देते हुए अपनी योग्यताओं और इस्लामी मूल्यों पर भरोसा करते हुए अर्थ व्यवस्था के ढांचे में गतिविधियां करनी चाहिए।
इस्लामी समाज में यौन भेदभाव से मुक़ाबला करना, महिलाओं में जागरूकता बढ़ाना, उनकी समस्याओं का समाधान करना, यह सब महिलाओं की स्थिति को सुदृढ़ करने की ओर बढ़ाए गये क़दमों में से है। इस्लामी कांफ़्रेंस संगठन के महासचिव अकमलुद्दीन एहसान ओग़लू ने महिला मंत्रियों के सम्मेलन में इस बात की ओर संकेत करते हुए कि इस्लामी जगत की लगभग आधी जनसंख्या मुसलमान महिलाओं की है, कहा कि बहुत सी संस्थाओं में महत्त्वपूर्ण और संवेदनशील भूमिका के रूप में महिलाओं की भूमिका को ध्यान में रखना आवश्यक है। इस्लामी देशों की कार्यवाहियां, महिलाओं के विरुद्ध भेदभाव को मिटाने और उसके विकास और प्रगति में आने वाली बाधाओं को समाप्त करने के लिए होनी चाहिए।
उन्होंने यह बयान करते हुए कि अधिकतर महिलाएं जल्दबाज़ी में किए गये फ़ैसलों, भ्रांतियों और समाज पर छाए नकारात्मक संस्कारों की बलि चढ़ती हैं, स्पष्ट किया कि ऐसी स्थिति उत्पन्न की जानी चाहिए कि पर्याप्त शिक्षाओं और वर्तमान विज्ञान तक महिलाओं की पहुंच सरल बनाई जाए ताकि इस माध्यम से समस्याओं का समाधान किया जाए।
वैज्ञानिक स्तर पर महिलाओं की क्षमताओं को विकसित करना, उनकी स्थिति को बेहतर बनाने के लिए उठाए गए क़दमों में से एक क़दम है। आज़रबाईजान गणराज्य के प्रतिनिधि मण्डल की प्रमुख सदाक़त क़हरमानू ने इस सम्मेलन में महिलाओं के शिक्षण और वैज्ञानिक स्तर को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि प्रगति और विकास की परिधि में महिलाओं में पायी जाने वाली क्षमताओं को सक्रिय करने के लिए पहला क़दम, विज्ञान, उद्योग, अर्थव्यवस्था और राजनैतिक विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के वैज्ञानिक स्तर को ऊपर उठाना है।
क़हरमानुवा ने इस बात को बयान करते हुए कि महिलाएं, प्रेम, संवेदना और अन्य ईश्वरीय अनुकंपाओं से लाभ उठाते हुए श्रेष्ठ मनुष्यों के प्रशिक्षण में सफलता से कार्य कर सकती हैं, कहा कि शिक्षित महिलाएं और समाज की बुद्धजीवी महिलाएं, अपने ज्ञान से लाभ उठाते हुए समाज की अगली पीढ़ी को बहुत अच्छे ढंग से प्रशिक्षित कर सकती हैं।
इसी आधार पर महिलाओं की क्षमताओं को व्यवहारिक बनाने के लिए महिलाओं को शिक्षित करना अति आवश्यक है। खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि आज़रबाईजान गणतंत्र सहित कुछ देशों ने महिलाओं की धार्मिक गतिविधियों को सीमित करके विशेषकर हेजाब पर प्रतिबंध लगाकर व्यवहारिक रूप से उनके ज्ञान संबंधी विकास में गम्भीर बाधाएं उत्पन्न कर दी हैं।
सर्वकालिक धर्म इस्लाम में महिलाओं की आर्थिक गतिविधियों और उनके कार्य करने में किसी भी प्रकार की रोक टोक नहीं है। इस युक्ति के साथ कि मुसलमान महिलाओं का कार्य और उनकी गतिविधियां महिलाओं और उनके परिवार के अनुरूप होनी चाहिए। मिस्र की सर्वोच्च महिला परिषद की सचिव श्रीमति फ़रखुंदेह मुहम्मद हसन मुसलमानों की आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों में इस्लामी मूल्यों की रक्षा और इस्लामी सिद्धांतों पर कटिबद्धता पर बल देते हुए कहती हैं कि इस्लामी मूल्यों की रक्षा के साथ महिलाओं के कार्य करने या उनके द्वारा आर्थिक गतिविधियों संलग्न होने में किसी भी प्रकार का विरोधाभास नहीं है। इस्लाम के आरंभिक काल में आर्थिक क्षेत्र में महिलाओं की उपस्थिति का स्पष्ट उदाहरण पैग़म्बरे इस्लाम (स) की प्रिय पत्नी हज़रत ख़दीजा हैं। ईरान उन सफल देशों में से है जिसने ईरानी महिलाओं के स्थान को पहचनवाने और उनको पहचान प्रदान करने में बड़ी सफलता प्राप्त की है। यह सफलता इस्लाम धर्म की उच्च शिक्षाओं के पालन, स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी और इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाह हिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई के मार्ग दर्शक बयानों की अनुकंपाओं की छत्रछाया में प्राप्त की गई है। इसीलिए प्रबंधन, अर्थव्यवस्था, राजनीति, विज्ञान, सांस्कृति और व्यायाम के विभिन्न क्षेत्रों में ईरानी महिलाएं महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
वर्तमान समय में ईरान में महिलाएं सरकार, संसद और प्रबंधन के विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय रूप से उपस्थित हैं। इसी प्रकार ईरान के विश्वविद्यालयों में छात्राओं की संख्या 60 प्रतिशत है। इसीलिए बहुत से पश्चिमी बुद्धिजीवियों ने यह स्वीकार किया है कि इस्लामी जगत में महिलाओं के लिए उचित आदर्श ईरानी महिलाएं हैं। तेहरान में इस्लामी कांफ़्रेंस संगठन की महिला मंत्रियों के सम्मेलन में भाग लेने वाली श्रीमति फ़रखुंदह मुहम्मद हसन सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में ईरानी महिलाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहती हैं कि हमको खुलकर यह मान लेना चाहिए कि ईरानी महिलाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका और उपस्थिति ने हमें आश्चर्य चकित कर दिया है। सामाज और इस्लामी मूल्यों की रक्षा सहित महिलाओं की जिस भूमिका पर भी हम आस्था रखते हैं उसका व्यवहारिक और स्पष्ट उदाहरण ईरानी महिलाएं हैं।
इस्लामी कांफ़्रेंस संगठन के सदस्य देशों की महिला मंत्रियों का तीसरा सम्मेलन 42 अनुच्छेदों पर आधारित घोषणापत्र पारित करके समाप्त हो गया। इस घोषणापत्र में परिवार और समाज में महिलाओं का विकास, इस्लामी देशों में विकास और प्रगति के महत्त्वपूर्ण तत्वों में बताया गया है। इसके अतिरिक्त घोषणापत्र का मुख्य विषय यह है कि परिवार और समाज दोनों ही क्षेत्रों में महिलाओं की भूमिका को पुनर्जिवित करने के लिए ऐसी अर्थव्यवस्था उत्पन्न की जाए जिसमें परिवार को मुख्य केन्द्र और ध्रुव माना गया हो। इसी प्रकार इस घोषणापत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं तक सम्मान रूप से पहुंच, हिंसा के मुक़ाबले में समर्थन और सहायता प्राप्त होना और फ़ैसले की प्रक्रिया में महिलाओं की भागीदारी पर विशेष रूप से बल दिया गया है।
घोषणा पत्र में इस्लामी देशों की महिला मंत्रियों और उपस्थित लोगों ने समस्त सदस्य देशों में पीड़ित महिलाओं और बच्चों से सहृदयता व्यक्त करते हुए फ़िलिस्तीनी बच्चों और महिलाओं के अधिकारों को स्वीकार करने और उनको उनके अधिकार दिलवाने पर बल दिया।

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