मांस से हमें उत्तम क़िस्म का प्रोटीन व विटामिन्स आदि कई ज़रूरी तत्व मिलते हैं। विश्व के सभी विकसित देशों में मांस का प्रयोग बेहिचक किया जाता है। वैज्ञानिकों ने भी मांस को संतुलित भोजन की तालिका में शामिल किया है। कृषि से मिलने वाली पैदावार इतनी नहीं है कि उससे विश्व की तमाम आबादी का पेट भरा जा सके। विश्व की ज़्यादातर आबादी के भोजन में हमेशा से ही मांस शामिल रहा है। भावनात्मक रूप से असंतुलित कुछ विचारकों ने मांस खाने का निषेध किया है क्योंकि मांस खाने के लिए जीव का जीवन ख़त्म करना पड़ता है। उनके अंधविश्वासी अनुयायियों ने उनका कहना मानकर अपना जीवन नर्क बना रखा है। वे खुद तो वैज्ञानिक सोच के विपरीत चलते ही हैं, साथ ही वे समाज में भी तरह तरह के भ्रम फैलाते रहते हैं। अब उनके लिए भी मांस खाना संभव हो गया है और वह भी बिना किसी पशु की जान गंवाए।
तो लैब में उगा सकेंगे मीट
वाशिंगटन। वैज्ञानिकों की मानें तो जल्दी ही मांस को भी फल फूल और सब्ज़ियों की तरह पौधों पर उगाया जा सकेगा। मेडिकल यूनिवर्सिटी आॅफ़ साउथ कारोलिना के वैज्ञानिक पिछले दस वर्षों से इस बायो इंजीनियरिंग मांस को उगाने का प्रयास कर रहे हैं। वैज्ञानिकों का मानना है बायो इंजीनियरिंग मीट उगाने में सफलता हासिल करने से न केवल भविष्य में वैश्विक फ़ूड ज़रूरतें पूरी करने में मदद मिलेगी बल्कि इससे दिनोंदिन तेज़ी से सिकुड़ रहे उपजाऊ ज़मीन की उपलब्धता के झंझट से भी मुक्ति मिल सकेगी।
वैज्ञानिकों ने बताया कि परिकल्पित चार्लेस्टन इंजीनियरिंग मांस जिसे चार्लेस मीट कहा जा रहा है, को एक फ़ुटबाल के मैदान के आकार में बड़े बायो रिएक्टर की सहायता से उगाया जा सकेगा।
वैज्ञानिकों ने बताया कि इंजीनियरिंग मांस बिल्कुल प्राकृतिक होगा और आवश्यकतानुसार किसी भी स्वाद अथवा डिज़ाइन में इसे ढाला जा सकेगा। मसलन यदि आप को अधिक चर्बी वाला मांस पसंद है तो चर्बी वाले मांस उगा सकेंगे।
यही नहीं आपकी इच्छा और अनिच्छा के आधार पर मांस की दशा और प्रकार में भी परिवर्तन हो सकेगा। मसलन यदि आपको मुर्गे की टांग अधिक पसंद है तो आप उसके जैसे स्वाद का मांस उगा सकेंगे। वैज्ञानिकों ने बताया कि बायो इंजीनियरिंग मांस को बिना जीन के ही तैयार किया जा सकेगा। उनका मानना है कि अभी तक ऐसे कोई संकेत नहीं मिले हैं कि बिना जीन वाले मांस की गुणवत्ता अच्छी नहीं होती है क्योंकि जेनेटिक मोडीफ़ाइड फ़ूड पहले से ही मार्केट में उपलब्ध है और उनसे अभी तक कोई साइड इफ़ैक्ट नहीं दिखा है।
अमर उजाला, नई दिल्ली, 2 फ़रवरी 2011 पृश्ठ 14
जीवदयाबाज़ों के रास्ते की सबसे बड़ी रूकावट को वैज्ञानिकों ने दूर करके उनके लिए मांस को उनके लिए सुलभ कर दिया है। अब उन्हें चाहिए कि वे खुद भी मांस खाएं और दूसरों को भी चैन से खाने दें।
A considerable number of people in the world are non-vegetarians and much of their diet is meat based. Meat is a wonderful source of protein and is essential in maintaining a balanced diet. - http://www.dietihub.com/
वैज्ञानिकों ने बताया कि परिकल्पित चार्लेस्टन इंजीनियरिंग मांस जिसे चार्लेस मीट कहा जा रहा है, को एक फ़ुटबाल के मैदान के आकार में बड़े बायो रिएक्टर की सहायता से उगाया जा सकेगा।
वैज्ञानिकों ने बताया कि इंजीनियरिंग मांस बिल्कुल प्राकृतिक होगा और आवश्यकतानुसार किसी भी स्वाद अथवा डिज़ाइन में इसे ढाला जा सकेगा। मसलन यदि आप को अधिक चर्बी वाला मांस पसंद है तो चर्बी वाले मांस उगा सकेंगे।
यही नहीं आपकी इच्छा और अनिच्छा के आधार पर मांस की दशा और प्रकार में भी परिवर्तन हो सकेगा। मसलन यदि आपको मुर्गे की टांग अधिक पसंद है तो आप उसके जैसे स्वाद का मांस उगा सकेंगे। वैज्ञानिकों ने बताया कि बायो इंजीनियरिंग मांस को बिना जीन के ही तैयार किया जा सकेगा। उनका मानना है कि अभी तक ऐसे कोई संकेत नहीं मिले हैं कि बिना जीन वाले मांस की गुणवत्ता अच्छी नहीं होती है क्योंकि जेनेटिक मोडीफ़ाइड फ़ूड पहले से ही मार्केट में उपलब्ध है और उनसे अभी तक कोई साइड इफ़ैक्ट नहीं दिखा है।
अमर उजाला, नई दिल्ली, 2 फ़रवरी 2011 पृश्ठ 14
जीवदयाबाज़ों के रास्ते की सबसे बड़ी रूकावट को वैज्ञानिकों ने दूर करके उनके लिए मांस को उनके लिए सुलभ कर दिया है। अब उन्हें चाहिए कि वे खुद भी मांस खाएं और दूसरों को भी चैन से खाने दें।
A considerable number of people in the world are non-vegetarians and much of their diet is meat based. Meat is a wonderful source of protein and is essential in maintaining a balanced diet. - http://www.dietihub.com/
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