दुनिया में कुछ लोग और भारत में खास लोग एक शख्स 'ओसामा-बिन-लादेन के मारे जाने से खुशियाँ मना रहे हैं! में दावे से नहीं कह सकता कि इस जश्न को मनाये जाने कि स्वतःस्फूर्त जागतिक चेतना है या अमेरिकी प्रचार तंत्र से प्रभावित क्षणिक हर्षोन्माद है! क्या ये मान लिया जाये कि ओसामा-बिन-लादेन ही दुनिया के तमाम फसादों और दुर्जेय इस्लामिक आतंकवाद का जनक था? क्या उससे से पहले दुनिया में जो दो बड़े महायुद्ध हुए उसमें ओसामा या उसके जैसे किसी धार्मिक कट्टरवादी का हाथ था? क्या ओसामा -बिन -लादेन के मारे जाने से आतंकवाद की वैश्विक चुनौती ख़त्म हो जायेगी?क्या महात्मा गाँधी,इंदिरा गाँधी, राजीव गाँधी, ललित माकन, दीनदयाल उपद्ध्याय, गणेश शंकर विद्ध्यार्थी और अजित सरकार इत्यादि की हत्याओं में ओसामा का हाथ था?
यदि नहीं तो जिनका हाथ था उन कुविचारों और पशुवृत्ति से ओसामा का क्या लेना-देना?
अभी अमेरिका बड़ा शोर मचा रहा है कि उसने आतंकवाद के खिलाफ महा-संग्राम को आख़िरी पायदान तक पहुंचा दिया है!वह एक साजिश के तहत सारी दुनिया को उल्लू बना रहा है.जो लोग ओसामा के मारे जाने पर ओबामा और अमेरिका को बधाई दे रहे हैं,उन्हें अपनी स्मरण शक्ति पर भरोसा रखना चाहिए. दुनिया के तमाम सच्चे शांतीकामी, अंतर्राष्ट्रीयतावादी, प्रजातन्त्रवादी और सहिष्णुतावादी कभी नहीं भूलेंगे कि ओसामा तो अमेरिका द्वारा उत्पन्न किया गया वह भस्मासुर था जिसने बन्दूक और बारूद का सफ़र अफगानिस्तान से शुरू किया था.
जिन लोगो को लादेन और सी आई ये का इतिहास नहीं मालूम सिर्फ वे ही धोखा खा सकते हैं.
ऐंसे गैर-जिम्मेदार लोग ही लादेन कि मौत का जश्न मना सकते हैं.क्योंकि उन्हें नहीं मालूम कि लादेन कि बन्दूक की गोलियां जब तक सोवियत संघ पर बरसती रहीं;तब तक वो फ्रीडम फायटर कहलाया, लेकिन जब उसने अमेरिका की हाँ में हाँ मिलाने से इनकार कर अपना स्वतंत्र वर्चश्व कायम करना चाहा तो उसे विश्व का मोस्ट वांटेड आतंकवादी करार दिया. मेरा आशय यह कदापि नहीं कि लादेन का रास्ता सही था? वो तो शारीरिक रूप से विकलांग था. किन्तु जेहाद की उसकी परिभाषा में इंसानियत से ऊपर उसका जूनून था.ऐंसे लोगों का जो अंजाम होता है सो उसका भी होना ही था और हुआ भी. सवाल ये है की जब अमेरिका ने जैसें चाहा वैंसा ही क्यों होना चाहिए?
दूसरा बड़ा सवाल ये है कि १४ साल बाद क्या वास्तव में एक मई -२०११ कि रात को अमेरिकी फौजों ने लादेन को ही मारा है?कहीं उसकी कहानी भी सद्दाम हुसेन जैसी तो नहीं?
गाहे-बगाहे वैडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये लादेन को अल-ज़जीरा और मीडिया के अन्य केन्द्रों ने टीवी पर दिखाया जरुर था किन्तु उन सारे वीडिओ पर कभी कोई विश्वशनीयता कि छाप नहीं लग पाई.
दुनिया के अधिकांस लोगों कि राय बन चुकी है कि जब जार्ज वुश ने अमेरिकी और नाटो फौजों के द्वारा अफगानिस्तान पर बर्बर हमला किया था तब ही ओसामा मारा जा सकता था किन्तु अमेरिका ने एक खास रणनीति के तहत पूरे १४ साल तक ओसामा नामक आतंकवादी जिन्न को जिन्दा रखा, ऐंसा क्यों? सी आई ए और पेंटागन का जबाब हो सकता है कि लादेन को जिन्दा रखना इसलिए जरुरी था कि वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ विश्व विरादरी का अनवरत समर्थन प्राप्त करने के लिए ओसामा का हौआ बहुत जरुरी था. यदि पहले हो हल्ले में ही ओसामा को मार दिया जाता तो सारे सभ्य संसार को सन्देश जाता कि आतंकवाद का विषधर ख़त्म हो चूका है और तब पूरी दुनिया में अमेरिका को इस मुद्दे पर कि उसकी फौजें -अफगानिस्तान, ईराक, मध्य-पूर्व, पकिस्तान, दियागोगार्सिया, कोरिया और जापान में क्या करने के लिए तैनात हैं?
चूँकि अब अमेरिकी फौजें बेदम हो चुकी हैं, अफगानिस्तान, ईराक और जापान ने वापिस जाने का दवाव बना रखा है और अब लादेन का अमरत्व भी असहनीय हो चूका था अतेव पाकिस्तान कि खुफिया एजेंसी आई एस आई को ब्लैक मेल करते हुए कि अब ज्यदा गड़बड़ करोगे तो भारत को भिड़ा देंगे अतः खेरियत चाहते हो तो ओसामा कि सुरक्षा हटाओ ,उसे ख़त्म करने को आ रही अमरीकी फौजों को उसका ठिकाना बताओ.
ओसामा कैसें मारा? किसने मारा? कब मारा? इन सवालों पर आगामी कुछ दिनों तक नाटकीय ढंग से मीडिया का कवरेज दिखाई व सुनाई देगा. यह सवाल भी किया जाना चाहए कि ओबामा दुनिया को सबसे ज्यादा खतरा किस्से है? सबसे खतरनाक कौन है? ओबामा या ओसामा?
ओसामा याने धर्मान्धता -कट्टरता -जिहाद और उसका वैचारिक आतंक, अतः ओसामा के मारे जाने से दुनिया में अमन और शांति के श्वेत कपोत उड़ने नहीं जा रहे हैं. वैचारिक आतंकवाद को ख़त्म करने में ओसामा की मौत से कोई सहायता नहीं मिलेगी. ओबामा याने अमेरिकी और दुनिया भर में फैले उसके अनुचरों -पूंजीपतियों, ठगों, लुटेरों, हथियारों के सौदागरों, पूँजी के लुटेरों कि जमात. यह अमेरिका ही है जो दुनिया भर में सबसे ज्यादा हथियार बेचा करता है, उसके हथियार न केवल धार्मिक जेहादियों तक बल्कि भारत जैसे गरीब मुल्क में अलगाववादियों नक्सालवादियों और मुबई में तीन-तीन बार खुनी होली खेलने बाले पाकिस्तानी आतंकवादियों तक बिला नागा पहुँचते रहते हैं.
दरसल भारत को ओसामा से कोई खतरा नहीं था और न ही भारत के किसी खास धरम सम्प्रदाय को उससे खतरा था. भारत को असली खतरा पाकिस्तान की भारत विरोधी लाबी और उसको पालने वाले अमेरिकी निजाम से है. दाउद, हेडली, हाफिज सईद को ओसामा ने नहीं आई एस आई ने पाला था. आई एस आई को कौन पाल रहा है यह बताना जरुरी नहीं.
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