Monday, May 23, 2011

रामदेव जी, आपका सत्याग्रह कैसा होगा




देश एक कन्फ्रंटेशन की ओर बढ़ रहा है. कन्फ्रंटेशन देश के हित में है या नहीं है, अभी यह नहीं कह सकते हैं, पर कन्फ्रंटेशन क्यों और किस तरह का होने वाला है, इसे थोड़ा समझने की कोशिश करनी चाहिए. भ्रष्टाचार इन दिनों देश में केंद्रीय विषय बना हुआ है और अन्ना हजारे, जिनकी वजह से देश में एक जागृति आई, देश भर में घूमने की योजना बना रहे हैं. उत्तर प्रदेश में कई जगह उन्हें जाना था, लेकिन वह नहीं जा पाए, क्योंकि डॉक्टर ने उन्हें मना कर दिया. अगर डॉक्टर अनुमति नहीं देते हैं तो कार्यक्रम नहीं देना चाहिए और अगर कार्यक्रम देते हैं तो चाहे कितने भी बीमार हों, वहां पर पहुंचना चाहिए. इस संबंध में अगर कोई उदाहरण देना हो तों वह विश्वनाथ प्रताप सिंह का देना चाहिए. वह एक दिन डायलिसिस कराते थे और अगले दिन इस हालत में नहीं होते थे कि कहीं जाएं. लेकिन अगर उन्होंने कार्यक्रम दे दिया तो वह ज़रूर जाते थे. सुबह जाते थे देश के किसी भी कोने में, जहां से वह हवाई जहाज से शाम को वापस आ जाते थे और अगले दिन फिर डायलिसिस कराते थे. बाबा रामदेव, जिन्होंने भ्रष्टाचार के ख़िला़फ लड़ाई को अपनी ओर से अपने कंधों पर ले लिया है, सारे देश में घूम-घूमकर लोगों को तैयार कर रहे हैं कि वे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में उनका साथ दें. बाबा रामदेव आगामी 4 जून से दिल्ली में एक लाख से दस लाख के बीच लोगों को आमंत्रित कर रहे हैं और उनके साथ सत्याग्रह पर बैठना चाहते हैं. उनका कहना है कि सारे देश में 10 करोड़ लोग उनके साथ सत्याग्रह करेंगे. सत्याग्रह शब्द गांधी जी का दिया हुआ है. गांधी जी ने सत्याग्रह को एक हथियार की तरह इस्तेमाल किया और अंग्रेजों के खिलाफ इस हथियार से सफलतापूर्वक लड़ाई लड़ी.
गांधी जी का मानना था कि साध्य जैसा हो, वैसा ही साधन भी होना चाहिए. उदाहरण के रूप में उनका मानना था कि अगर आज़ादी पानी है तो उसका साधन भी ऐसा होना चाहिए कि जिससे आज़ादी मिल सके. वह हिंसा या हथियारों के ज़रिए आज़ादी मिलते हुए नहीं देख पा रहे थे. इसलिए उन्होंने अहिंसा का रास्ता चुना. इसके लिए उन्होंने सत्याग्रह के कई रूप सामने रखे और लोगों को उसमें शामिल किया. जैसे व्यक्तिगत सत्याग्रह, नमक सत्याग्रह, असहयोग सत्याग्रह आदि-आदि. गांधी जी किसी भी सत्याग्रह से पहले उसके नियम-क़ानून लोगों के सामने रखते थे  और कहते थे कि जो भी इनका पालन करने की क्षमता रखे, साहस रखे, वही उनके सत्याग्रह में शामिल हो. अगर आज़ादी के आंदोलन की कहानियां दिमाग़ में आ रही हैं तो यह आसानी से समझा या देखा जा सकता है कि किस तरह आज़ादी पाने के सत्याग्रह में अंग्रेज पुलिस का सामना सत्याग्रही खामोश होकर, डंडे खाकर भी करते थे और हमला नहीं करते थे. पुलिस डंडे चलाती थी, सत्याग्रही झंडा हाथ में लिए हुए झंडा ऊंचा रहे हमारा, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा गाते रहते थे. जो लोग ऐसा नहीं करते थे, उनसे गांधी जी कह देते थे कि आप हमारे आंदोलन में न रहें. चौरीचौरा इसका उदाहरण है. शांतिपूर्ण सत्याग्रह था, लेकिन चौरीचौरा में पुलिस स्टेशन में आग लगा दी गई, जिसमें कुछ लोग जलकर मर गए. गांधी जी ने सत्याग्रह वापस ले लिया. गांधी जी ने देश को एक अनुशासित, अहिंसक लड़ाई के लिए तैयार किया था और सालों की मेहनत के बाद तैयार किया था. उस सत्याग्रह शब्द का इस्तेमाल बाबा रामदेव अब कर रहे हैं.
हमारा अनुरोध है कि बाबा रामदेव जितनी जल्दी हो सके, अपने सत्याग्रह का स्वरूप, सत्याग्रह की शर्ते, जो उसमें शामिल होने वाले हैं उनमें क्या-क्या गुण होने चाहिए, क्या-क्या पात्रता होनी चाहिए, ये सारी चीज़ें घोषित कर दें. इसलिए घोषित करें कि अगर लड़ाई भ्रष्टाचार के खिलाफ है तो कम से कम उनके आंदोलन में वे लोग तो न शामिल हों, जो ज़िला या प्रदेश स्तर पर ऐसे धंधों में शामिल हैं जिनमें काले धन का इस्तेमाल होता है, जो सेल्स टैक्स की चोरी करते हैं. ऐसे लोग न शामिल हों, जो देश में जो व्हाइट मनी से ज़्यादा ब्लैक मनी चलाते हैं. कुछ चीजें बाबा रामदेव को सा़फ कर देनी चाहिए कि उनके सत्यागह में ये लोग शामिल होंगे या नहीं होंगे. यहां से एक नई तरह की जन राजनीति का शुभारंभ हो सकता है. अगर बाबा रामदेव ने यह नहीं किया तो जन राजनीति की जगह उनके आंदोलन में वे लोग शामिल हो जाएंगे, जो लुंपेंस हैं, जो लोग हर आंदोलन को लूट-खसोट में परिवर्तित करने में माहिर होते हैं और जिनमें किसी भी चीज़ को हिंसक बनाने की क्षमता है, सांप्रदायिक बनाने की क्षमता है. हालांकि बाबा रामदेव से एक बड़ी गलती हो रही है. बाबा रामदेव को भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने आंदोलन में, अब मैं शब्द इस्तेमाल कर रहा हूं सत्याग्रह का, क्योंकि उन्होंने सत्याग्रह शब्द का इस्तेमाल किया है, सत्याग्रह में समाज के सभी वर्गों के लोगों को अपने साथ लेना चाहिए. पर उन्होंने राजनीति से जुड़े और राजनीति को संचालित करने वाले परोक्ष संगठनों को अपने साथ लेने का संकेत दिया है. लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, गोविंदाचार्य, अशोक सिंघल एवं प्रवीण तोगड़िया के साथ उन्होंने दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस की और अपरोक्ष रूप से बता दिया कि उनकी महत्वाकांक्षा क्या है. मैं यह बात इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि हो सकता है कि यह बात बाबा रामदेव की समझ में न आई हो, हालांकि वह बहुत समझदार हैं. इसलिए उनकी समझदारी पर संदेह नहीं करना चाहिए. उन्होंने बहुत सोच-समझ कर इन लोगों के साथ प्रेस कांफ्रेंस की होगी और उसमें सत्याग्रह की घोषणा की, जिसमें अशोक सिंघल ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूरी तौर पर बाबा रामदेव के साथ है.
अगर बाबा रामदेव समाज के सभी वर्गों को, राजनीति के सभी वर्गों कोजो नहीं आता वह नहीं आता, लेकिन उन्हें आमंत्रित करते कि वे उनके सत्याग्रह में शामिल हों, भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मुहिम चलाएं, मुहिम के हिस्से बनें, तो शायद ज़्यादा बेहतर होता. बाबा रामदेव को लोग एक योग गुरु के रूप में जानते हैं. बाबा रामदेव का लोग इसलिए आदर करते हैं, क्योंकि उनकी दवाओं से उन्हें फायदा होता है. बाबा रामदेव का लोग इसलिए भी सम्मान करते हैं, क्योंकि उन्होंने पहली बार हिंदुस्तान में योगा को योग के रूप में स्थापित किया, पुनर्स्थापित किया. बाबा रामदेव से पहले जितने भी योग गुरु थे, वे विदेशों में जाते थे और वहां योग का प्रचार करते थे. अपने देश में उनकी कोई रुचि नहीं थी अथवा कहें कि योग यहां लोकप्रिय नहीं था. बाबा रामदेव ने योग को देश में लोकप्रिय बनाया और, है शब्द छोटा, लेकिन उसे योगा से योग में परिवर्तित किया. जबसे बाबा रामदेव ने देश के भ्रष्टाचार रोग को योग से ठीक करने की बात कही है, तबसे सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं. बाबा रामदेव अगर  सत्याग्रह का स्वरूप घोषित नहीं करते और कौन लोग सत्याग्रह में शामिल हो सकते हैं, यह स्पष्ट नहीं करते हैं तो मानना चाहिए कि यह आंदोलन किसी नतीजे पर शायद न पहुंचे.
बहुत सारे आंदोलन देश में होते हैं, बहुत सारी कोशिशें होती हैं, जो किसी नतीजे पर नहीं पहुंचतीं. क्यों? क्योंकि बाकी जो लोग आंदोलन कर रहे होते हैं, उनमें और आंदोलन में एक अंतर्विरोध होता है. वैचारिक अंतर्विरोध. जो भ्रष्ट हैं, वे  ही भ्रष्टाचार का विरोध करें! और भ्रष्ट भी वह, जो सचमुच भ्रष्ट की श्रेणी में आता है. ऐसे लोग देश में 25-30 प्रतिशत के आसपास हैं, जिनमें 5 प्रतिशत वे हैं, जिनका धन विदेशों में जमा है, लेकिन बाक़ी पच्चीस प्रतिशत वे हैं, जिनका काला धन इसी देश में घूम रहा है. मुद्दों को बिगाड़ना नहीं चाहिए. भ्रष्टाचार से लड़ने और उसे खत्म करने की बात महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, लोकनायक जयप्रकाश आदि सभी ने की. यह देश भ्रष्टाचार के इतने बड़े जाल में है, शायद दुनिया का कोई दूसरा मुल्क इतने बड़े जाल में नहीं है. इसलिए भ्रष्टाचार से लड़ाई को हल्का नहीं करना चाहिए. कोशिश करनी चाहिए कि देश के मज़दूर, किसान, वंचित, अल्पसंख्यक यानी सभी इस लड़ाई में शामिल हों. और दिख यह रहा है कि इस लड़ाई में वे शामिल हैं, जिनकी पात्रता इस लड़ाई को लड़ने की नहीं है और शायद इसलिए थोड़ा शोरशराबा हो, थोड़ा हल्ला-हंगामा हो, कुछ दंगे भी हो जाएं. लेकिन इस देश की सौ करोड़ जनता भ्रष्टाचार के खिलाफ चलने वाले इस सत्यागह में कैसे विश्वास करे, वह भी तब, जबकि उसे इस सत्याग्रह की तस्वीर और रूपरेखा के बारे में कुछ मालूम ही न हो. ऐसे में इस सत्याग्रह को सफलता की ओर ले जाने की संभावना पूरी हो पाएगी या नहीं, यह मुझे नहीं पता. इसलिए इस देश के लोगों के साथ, लोगों के विश्वास के साथ अगर ईमानदारी बरतनी है तो लड़ाई के हर कदम को लड़ाई लड़ने से पहले सा़फ करना होगा.
इस मामले में नक्सलवादी ईमानदार हैं. उनकी लड़ाई किसके खिलाफ है, उनकी लड़ाई कैसे होगी, उनकी लड़ाई में कौन शामिल हो सकता है, उनकी लड़ाई में कौन कितनी दूर तक जा सकता है, वे सब सा़फ कर देते हैं. आज जरूरत इस बात की है कि जितनी ईमानदारी नक्सलवादियों में है, उतनी ईमानदारी बाबा रामदेव को भी दिखानी चाहिए और उन्हें अपने सत्याग्रह के स्वरूप, अपने सत्याग्रह की संभावना, अपने सत्याग्रह में शामिल होने वालों की पात्रता और उसकी शर्तें घोषित करनी चाहिए, ताकि लोग हिम्मत के साथ आगे आएं और बाबा रामदेव को उनकी इस लड़ाई में, जो लड़ाई भ्रष्टाचार के ख़िला़फ वह लड़ना चाहते हैं, उनका साथ दे सकें.

2 comments:

  1. Useless blog. You say that naxals are honest, they had declared what are the outline of their agitation, then let me tell you just one thing, on name of poors these naxals collects funds & many of these had been caught in 5 star hotels, what a support to poor people.

    And when BABA had declared that his fight is against black money then where is need to declare that black money holders are not ging to be entertained.

    You look like a dumb who can't understand small things even. Anyway, keep writing one day you will be able to understand things by reading comments by people like me.

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