‘‘भारत स्वाभिमान’’ का नाम दिया है, संघ स्वाभिमानऔर मूल आर्यों की क्रूरतम और घातक नीतियों की पुनर्स्थापना
यह बात पुख्ता तौर पर प्रमाणित हो रही है कि बाबा रामदेव का अभियान, जिसे उन्होंने ‘‘भारत स्वाभिमान’’ का नाम दिया है, संघ स्वाभिमान और मूल आर्यों की क्रूरतम और घातक नीतियों की पुनर्स्थापना का अभियान मात्र है, जो अगले चुनाव में या तो भाजपा में विलीन हो जायेगा या उमा भारती की पार्टी की तरह से इसका भी सूपड़ा साफ होना तय है| लेकिन फिर भी इन षड़यन्त्रकारियों के षड्यंतों के शिकार बहुसंख्यक भारतीयों को हर कदम पर सावधान रहने की जरूरत है, क्योंकि इन षड़यन्त्रकारियों के पास अपार धन, गुण्डातन्त्र और बौद्धिक बल की ताकत है, जिसे आने वाले लोकसभा चुनावों में झोंक देने के लिये इन्होंने कमर कस ली है| यदि इस देश की 98 फीसदी आबादी आपने स्वाभिमान को जिन्दा रखना चाहती है, तो मूल आर्यों की क्रूरतम नीतियों की मानसिकता से ग्रस्त लोगों का अभी से उपचार करना शुरू कर दें| लोक सभा के चुनाव तक केवल मानसिकता शेष रहेगी!
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’
बाबा रामदेव ने योग के नाम पर इस देश के लोगों के दिलों में स्थान बनाया| लोगों के स्वास्थ्य के लिये बाबा ने बहुत बड़ा काम किया| लोगों को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनाया| कुछ समय बाद "राजीव दीक्षित" नाम के एक विद्वान व्यक्ति को साथ में लेकर अपने मंच से और आस्था चैनल के माध्यम से तथ्यों तथा आंकड़ों के आधार पर घर-घर में जानकारी दी गयी कि देश के राजनेता न मात्र भ्रष्ट हैं, बल्कि ऐसी व्यवस्था को देश में लागू किया जा रहा है कि जिसके चलते देश को लूटकर विदेशी कम्पनियॉं भारत के धन को विदेशों में ले जा रही हैं|
जब श्री दीक्षित जी बाबा रामदेव के मंच से आँकड़ों सहित यह जानकारी देते तो लोगों का तालियों के रूप में अपार समर्थन मिलता था| लेकिन ये क्या जो बाबा रामदेव लाखों लोगों के हृदय रोग का सफलतापूर्वक उपचार करने का दावा करते रहते हैं, उन्हीं का अनुयाई, उन्हीं का एक मजबूत साथी पचास साल की आयु पूर्ण करने से पहले ही हृदयाघात के चलते असमय काल के गाल में समा गया| जिसका दाह संस्कार करने में साथ जाने वालों का आरोप है कि मृतक को हृदयाघात नहीं हुआ, बल्कि उसे कथित रूप से जहर दिया गया था, क्योंकि उसका शव नीला पड़ गया था!
कौन था यह इंसान? जो बाबा रामदेव का इतना करीबी होते हुए भी हृदयाघात का शिकार हो गया और जिसका शव नीला पड़ जाने पर भी, जिसका पोस्टमार्टम तक नहीं करवाया गया?
हिन्दू सन्तों का आरोप है कि राजीव दीक्षित की मौत नहीं हुई, बल्कि उसकी हत्या करवाई गयी| जिसमें बाबा रामदेव सहित, उनके कुछ बेहद करीबी लोगों पर सन्देह है! |
इस प्रकार बाबा रामदेव का आन्दोलन योग से, स्वदेशी और राजीव दीक्षित के अवसान के रास्ते चलता हुआ ‘‘भारत स्वाभिमान’’ की यात्रा पर निकल पड़ा है|
देशभर में अनेकों लोगों द्वारा बाबा पर बार-बार आरोप लगाये जाते रहे हैं कि उनका असली या छुपा हुआ ऐजेण्डा हिन्दुत्वादी ताकतों और संघ सहित भाजपा को लाभ पहुँचाना है, लेकिन बाबा की ओर से इन बातों का बार-बार खण्डन किया जाता रहा है| यद्यपि सूचना अधिकार कानून के जरिये यह बात प्रमाणित हो चुकी है कि देश के लोगों से राष्ट्र के उत्थान के नाम पर लिए गए चंदे में से बाबा के ट्रस्ट से भारतीय जनता पार्टी को चुनावी खर्चे के लिये लाखों रुपये तो चैक से ही दिये गये| बिना चैक नगद कितने दिये गये होंगे, इसकी केवल कल्पना ही की जा सकती है! इस प्रकार बाबा का असली ‘‘संघी’’ चेहरा जनता के सामने आने लगा है|
‘‘भारत स्वाभिमान’’ के समर्थकों की ओर से जनता को बेशक बेवकूफ बनाया जाता हो कि बाबा का संघ या भाजपा या नरेन्द्र मोदी के मकसदों को पूरा करने से कोई वास्ता नहीं है, लेकिन कथित राष्ट्रवाद और हिन्दुत्व के प्रखर समर्थक लेखक श्री सुरेश चिपलूनकर जी, जो अनेक मंचों पर संघ, हिन्दुत्व, राष्ट्रवाद, संस्कृति, रामदेव और भारत स्वाभिमान के बारे में अधिकारपूर्वक लम्बे समय से लिखते रहे हैं| जिनके बारे में कहा जाता है कि वे तथ्यों और सबूतों के आधार पर ही अपनी बात कहना पसन्द करते हैं| यही नहीं, इनके लिखे का आर एस एस, विश्व हिन्दू परिषद् और भाजपा से जुड़े हुए तथा कथित राष्ट्रवाद, हिन्दुत्व और भारतीय संस्कृति के समर्थक लेखक, विचारक तथा टिप्पणीकार आँख बंद करके समर्थन भी करते रहे हैं| ऐसे विद्वान समझे जाने वाले संघ, नरेन्द्र मोदी, भाजपा और बाबा रामदेव के पक्के समर्थक लेखक श्री सुरेश चिपलूनकर रामदेव Vs अण्णा = “भगवा” Vs “गाँधीटोपी सेकुलरिज़्म”?? (भाग-2) शीर्षक से लिखे गए और प्रवक्ता डोट कॉम पर 27 अप्रेल, 2011 को प्रकाशित अपने एक लेख में साफ शब्दों में लिखते हैं कि-
देश में कांग्रेस के खिलाफ़ जोरदार माहौल तैयार हो रहा था, जिसका नेतृत्व एक भगवा वस्त्रधारी (बाबा रामेदव) कर रहा, आगे चलकर इस अभियान में नरेन्द्र मोदी और संघ का भी जुड़ना अवश्यंभावी |
इसी लेख में अपनी मनसा को जाहिर करते हुए उक्त लेखक लिखते हैं कि-
गोविन्दाचार्य |
सुब्रह्मण्यम स्वामी |
इसी लेख के अंत में निष्कर्ष के रूप में अपने इरादों को जाहिर करते हुए उक्त लेखक श्री सुरेश चिपलूणकर जी लिखते हैं कि-
भारत पर शासन करने के लिए गठजोड़ |
भारत पर शासन करने के लिए गठजोड़ |
श्री सुरेश चिपलूनकर जी द्वारा लिखे गए उपरोक्त विवरण से इस देश के लोगों को बाबा रामदेव के असल मकसद को समझने में किसी प्रकार का शक-सुबहा नहीं होना चाहिए|
‘‘भारत स्वाभिमान’’ के नाम पर बाबा रामदेव इस देश में गुजरात में धर्म विशेष के लोगों के सामूहिक नरसंहार के आरोपी नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हिन्दुत्व के नाम पर मनुस्मृति को लागू करवाना चाहते हैं|
मुठ्ठीभर आर्यों की मौलिक संस्कृति के अन्धभक्त दो प्रतिशत लोगों के आपराधिक षड़यन्त्रों को सनातन धर्म, हिन्दुत्व, राष्ट्रवाद और भारतीय संस्कृति के नाम पर 98 फीसदी लोगों पर थोपना चाहते हैं|
जबकि इनकी सनातन धर्म, हिन्दुत्व, राष्ट्रवाद और भारतीय संस्कृति की परिभाषा वही है जो मनुस्मृति आदि ब्राह्मण ग्रंथों में लिखी गयी है| जिसके चलते आर्य संस्कृति मानव जाति के सिरमौर और स्वयं को भू-देव (इस पृथ्वी के साक्षात देवता) कहलाने वाले ब्राह्मण, अपनी पत्नी, बेटी और पत्नी तक को समानता और स्वतंत्रता का हक़ देना धर्म और संस्कृति के खिलाफ करार देते रहे हैं|
‘‘नियोग बलात्कार का लाईसेंस" |
वेदव्यास को विचित्रवीर्य की दो पत्नियों के साथ ‘‘नियोग’’ के बहाने गर्भाधान (बलात्कार) करने के लिये बुलाया गया| |
इन सब बातों से यह बात पुख्ता तौर पर प्रमाणित हो रही है कि बाबा रामदेव का अभियान, जिसे उन्होंने ‘‘भारत स्वाभिमान’’ का नाम दिया है, संघ स्वाभिमान और आर्यों की मूल क्रूरतम और घातक नीतियों की पुनर्स्थापना का एक मात्र अभियान है, जो अगले चुनाव में या तो भाजपा में विलीन हो जायेगा या साध्वी राजनेत्री उमा भारती की पार्टी की तरह से इसका भी सूपड़ा साफ हो जायेगा|
ऐसी क्रूर और अमानवीय आर्य संस्कृति के संवाहकों की स्त्री, दमित, दलित, आदिवासी और पिछड़ों के बारे में क्या सोच है, इसे सारा संसार जानता है! ये लोग स्त्री, दमित, दलित, आदिवासी और पिछड़ों को तो इंसान तक मानने को तैयार नहीं हैं!
लेकिन मुसलमानों से या ईसाईयों से हिन्दुओं को लड़ाने की जब-जब बात आती है तो इन्हें सबसे बलवान हिन्दू केवल और केवल दलित, आदिवासी और पिछड़ों में ही नज़र आते हैं! आखिर क्यों यह भी हर दलित, आदिवासी और पिछड़े हिन्दू के लिये विचारणीय है| यदि फिर भी समझ में नहीं आता है तो गुजरात में जाकर देखें| गुजरात में मुसलामनों के नरसंहार के आरोपियों में जितने हिन्दुओं पर मुकदमे चलाये जा रहे हैं या जितनों को सजा हुई है, उनकी हकीकत जानी जा सकती है| यहॉं तक कि मरने वाले हिन्दुओं में भी अधिकतर दलित, आदिवासी और पिछड़े ही थे|
उपरोक्त लेख में चाहे-अनचाहे प्रकट जानकारी से यह तो साफ़ हो ही गया है कि ‘‘भारत स्वाभिमान’’ के नाम से बाबा रामदेव के मार्फ़त नरेन्द्र मोदी, संघ और अनार्यों तथा गैर-हिन्दुओं के विरुद्ध षड़यंत्र रचने में माहिर लोगों द्वारा अध्यात्मवाद, राष्ट्रवाद और भारतीय संस्कृति की रक्षा के नाम पर चलाया जा रहा नाटकीय अभियान ‘‘भारत स्वाभिमान’’ हिन्दूअनार्यों को हिन्दुत्व की एकता और अस्मिता की रक्षा के मोहपाश में फंसाकर, हिन्दुअनार्यों और गैर हिन्दुओं को फिर से मूल आर्यों की क्रूरता के शिकंजे में फंसाने हेतु संचालित किया जा रहा है|
क्रूरतम हत्यारे ‘‘परसराम’’ की जयन्ति |
लेकिन सुखद अनुभव करने वाली बात यह है कि इस देश के अनार्यों को ही नहीं, बल्कि आर्य स्त्रियों और आर्य आम लोगों (ब्राह्मण-बनिया को भी) तथा अनार्य क्षत्रियों को अब क्रूर मूल आर्य मानसिकता से ग्रस्त, घृणित-अमानवीय लोगों के मुखौटों के पीछे छिपी असली और षड़यन्त्रकारी आपराधिक चेहरे दिखने लगे हैं और अब बहुत कुछ समझ में भी आने लगा है|
जिसके चलते यह बात पुख्ता तौर पर प्रमाणित हो रही है कि बाबा रामदेव का अभियान, जिसे उन्होंने ‘‘भारत स्वाभिमान’’ का नाम दिया है, संघ स्वाभिमान और मूल आर्यों की क्रूरतम और घातक नीतियों की पुनर्स्थापना का अभियान मात्र है, जो अगले चुनाव में या तो भाजपा में विलीन हो जायेगा या उमा भारती की पार्टी की तरह से इसका भी सूपड़ा साफ होना तय है| लेकिन फिर भी इन षड़यन्त्रकारियों के षड्यंतों के शिकार बहुसंख्यक भारतीयों को हर कदम पर सावधान रहने की जरूरत है, क्योंकि इन षड़यन्त्रकारियों के पास अपार धन, गुण्डातन्त्र और बौद्धिक बल की ताकत है, जिसे आने वाले लोकसभा चुनावों में झोंक देने के लिये इन्होंने कमर कस ली है| यदि इस देश की 98 फीसदी आबादी आपने स्वाभिमान को जिन्दा रखना चाहती है, तो मूल आर्यों की क्रूरतम नीतियों की मानसिकता से ग्रस्त लोगों का अभी से उपचार करना शुरू कर दें| लोक सभा के चुनाव तक केवल मानसिकता शेष रहेगी!
No comments:
Post a Comment