जैसे दुनिया के सबसे बड़े आतंकवादी देश अमेरिका
ने पहले बिना बात सद्दाम और उसके देश इराक से दो युद्ध किये और सद्दाम और उसके देश
इराक को खत्म करके वहां का तेल पी गया। आपको याद होगा कि युद्ध के बाद इराक में
कोई रसायनिक हथियार नहीं मिले थे, जिस बात को लेकर ही अमेरिका और उसकी रखेल संस्था यू.एन.ओ. ने इराक पर
युद्ध किया गया था।
अब बिना कारण लीबिया को तबाह करके, झूँठे इल्जाम लगा कर, मुअम्मर गद्दाफी को व्यर्थ बदनाम
किया और आज उसे मार डाला है और अब वो अमेरिका लीबिया का तेल पीयेगा, जिसका वो दशकों से प्यासा था।
मैं लीबिया में 12 वर्ष रहा हूँ। वहां नागरिको
को संपूर्ण शिक्षा (जिसमें विदेश में जाकर शिक्षा लेना भी शामिल है), चिकित्सा (जिसमें विदेश में
जाकर उपचार लेने का खर्चा भी शामिल है) और
लोगो को घर बना कर देना सब कुछ सरकार करती है। उसने पूरे देश में नई सड़कें (जिन
पर कोई टोल नहीं लगता है), अस्पताल, स्कूल,
मस्जिदें, बाजार बस कुछ नया बनवाया था। मुझसे
भी पूरे 12 वर्षो में नल, बिजली, टेलीफोन का कोई पैसा नहीं लिया। मझे खाने पीने, पेट्रोल,
सब्जी, फल, मीट, मुर्गे, गाड़ियां, फ्रीज,
टीवी, बाकी घर की सुविधाएं, एयर ट्रेवल और सब कुछ सुविधाएँ मुफ्त में मिली हुई थी। उसने लीबिया जो एक
रेगिस्तान है, को हरा भरा ग्रीन बना दिया था। एक बार हमारे
भारत के राजदूत ने मेरे डायरेक्टर को कहा था कि हम भारतवासी हरे भारत को काट कर
रेग्स्तान बना रहे हैं और मैं यहां आकर देखता हूँ कि आपने रेगिस्तान को हरा भरा
बना दिया है।
गद्दाफी ने लीबिया में मेन मेड रीवर बनवाई थी
जो दुनिया का सबसे मंहगा प्रोजेक्ट है, जिसके बारे में कहा गया था कि यह प्रोजेक्ट इतना अनाज पैदा कर
सकता है जिससे पूरे अफ्रीका का पेट भर जाये, और जिसका ठेका
कोरिया को दिया गया था। जब गद्दाफी यह ठेका देने कोरिया गया था तो उसके स्वागत में
कोरिया ने चार दिन तक स्वागत समारोह किये थे और उसके स्वागत में चालीस किलोमीटर
लंबा कालीन बिछाया था। इस ठेके से कोरिया ने इतना कमाया था कि पूरे देश की
अर्थव्यवस्था जापान जैसी हो गई थी। मुझ पर विश्वास नहीं हो तो गूगल की पुरानी
गलियों में जाओ, आपको सारे सबूत मिल जायेंगे।
मैं उस महान शासक को श्रद्धांजलि देता हूँ और
उसकी आत्मा की शांति के लिए दुआ करता हूँ।
उसे मिस्र के जमाल अब्दुल नासर नें मात्र 28 वर्ष की उम्र में लीबिया का
शासक बना दिया था। वह भारत का अच्छा मित्र था। मालूम हो कि गद्दाफी ने 41 साल तक
लीबिया पर राज किया है।
गद्दाफी था महान नदी निर्माता
लीबीया और गद्दाफी का नाम आजकल हम सिर्फ इसलिए
सुन रहे हैं क्योंकि गद्दाफी को गद्दी से हटाने के लिए अमेरिका बमबारी कर रहा है.
लेकिन गद्दाफी के दौर में उनके काम का
जिक्र करना भी जरूरी है जो न केवल लीबीया बल्कि विश्व इतिहास में अनोखा है.
गद्दाफी की नदी. अपने शासनकाल के शुरूआती दिनों में ही उन्होंने एक ऐसे नदी की
परियोजना पर काम शुरू करवाया था जिसका अवतरण और जन्म जितना अनोखा था शायद इसका अंत
उससे अनोखा होगा.
लीबिया की गिनती दुनिया के कुछ सबसे सूखे माने
गए देशों में की जाती है। देश का क्षेत्रफल भी कोई कम नहीं। बगल में समुद्र, नीचे भूजल खूब खारा और ऊपर
आकाश में बादल लगभग नहीं के बराबर। ऐसे देश में भी एक नई नदी अचानक बह गई। लीबिया
में पहले कभी कोई नदी नहीं थी। लेकिन यह नई नदी दो हजार किलोमीटर लंबी है, और हमारे अपने समय में ही इसका अवतरण हुआ है! लेकिन यह नदी या कहें विशाल
नद बहुत ही विचित्र है। इसके किनारे पर आप बैठकर इसे निहार नहीं सकते। इसका कलकल
बहता पानी न आप देख सकते हैं और न उसकी ध्वनि सुन सकते हैं। इसका नामकरण लीबिया की
भाषा में एक बहुत ही बड़े उत्सव के दौरान किया गया था। नाम का हिंदी अनुवाद करें
तो वह कुछ ऐसा होगा- महा जन नद।
हमारी नदियां पुराण में मिलने वाले किस्सों से
अवतरित हुई हैं। इस देश की धरती पर न जाने कितने त्याग, तपस्या, भगीरथ
प्रयत्नों के बाद वे उतरी हैं। लेकिन लीबिया का यह महा जन नद सन् 1960 से पहले बहा
ही नहीं था। लीबिया के नेता कर्नल गद्दाफी
ने सन् 1969 में सत्ता प्राप्त की थी। तभी उनको पता चला कि उनके विशाल रेगिस्तानी
देश के एक सुदूर कोने में धरती के बहुत भीतर एक विशाल मीठे पानी की झील है। इसके
ऊपर इतना तपता रेगिस्तान है कि कभी किसी ने यहां बसने की कोई कोशिश ही नहीं की थी।
रहने-बसने की तो बात ही छोड़िए, इस क्षेत्र का उपयोग तो लोग
आने-जाने के लिए भी नहीं करते थे। बिल्कुल निर्जन था यह सारा क्षेत्र।
नए क्रांतिकारी नेता को लगा कि जब यहां पानी
मिल ही गया है तो जनता उनकी बात मानेगी और यदि इतना कीमती पानी यहां निकालकर उसे
दे दिया जाए तो वह हजारों की संख्या में अपने-अपने गांव छोड़कर इस उजड़े रेगिस्तान
में बसने आ जाएगी। जनता की मेहनत इस पीले रेगिस्तान को हरे उपजाऊ रंग में बदल
देगी। अपने लोकप्रिय नेता की बात लोक ने मानी नहीं। पर नेता को तो अपने लोगों का
उद्धार करना ही था। कर्नल गद्दाफी ने फैसला लिया कि यदि लोग अपने गांव छोड़कर
रेगिस्तान में नहीं आएंगे तो रेगिस्तान के भीतर छिपा यह पानी उन लोगों तक पहुंचा
दिया जाए। इस तरह शुरू हुई दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे महंगी सिंचाई योजना। इस
मीठे पानी की छिपी झील तक पहुंचने के लिए लगभग आधे मील की गहराई तक बड़े-बड़े पाईप
जमीन से नीचे उतारे गए। भूजल ऊपर खींचने के लिए दुनिया के कुछ सबसे विशालकाय पंप
बिठाए गए और इन्हें चलाने के लिए आधुनिकतम बिजलीघर से लगातार बिजली देने का प्रबंध
किया गया।
तपते रेगिस्तान में हजारों लोगों की कड़ी मेहनत, सचमुच भगीरथ-प्रयत्नों के बाद
आखिर वह दिन भी आ ही गया, जिसका सबको इंतजार था। भूगर्भ में
छिपा कोई दस लाख वर्ष पुराना यह जल आधुनिक यंत्रों, पंपों की
मदद से ऊपर उठा, ऊपर आकर नौ दिन लंबी यात्रा को पूरा कर
कर्नल की प्रिय जनता के खेतों में उतरा। इस पानी ने लगभग दस लाख साल बाद सूरज देखा
था।
कहा जाता है कि इस नदी पर लीबिया ने अब तक 27
अरब डालर खर्च किए हैं। अपने पैट्रोल से हो रही आमदनी में से यह खर्च जुटाया गया
है। एक तरह से देखें तो पैट्रोल बेच कर पानी लाया गया है। यों भी इस पानी की खोज
पैट्रोल की खोज से ही जुड़ी थी। यहां गए थे तेल खोजने और हाथ लग गया इतना बड़ा, दुनिया का सबसे बड़ा ज्ञात
भूजल भंडार।
बड़ा भारी उत्सव था। 1991 के उस भाग्यशाली दिन
पूरे देश से, पड़ौसी देशों
से, अफ्रीका में दूर-दूर से, अरब
राज्यों से राज्याध्यक्ष, नेता, पत्रकार
जनता- सबके सब जमा थे। बटन दबाकर उद्घाटन करते हुए कर्नल गद्दाफी ने इस आधुनिक नदी
की तुलना रेगिस्तान में बने महान पिरामिडों से की थी। वे उस दिन अपने दो शत्रु
देशों- अमेरिका और इंग्लैंड के खिलाफ भी जहर उगलने से नहीं चूके थे। उन्होंने इस
नदी को एक क्रांतिकारी नदी की संज्ञा दी थी और एक ही सांस में कह डाला था कि
क्रांतिकारी जनता ऐसे शत्रुओं को ठिकाने लगा देगी।
वे भला यह बात कैसे बता पाते कि इस क्रांतिकारी
योजना का सारा काम उनके शत्रु देशों की कंपनियों ने ही किया है। दक्षिणी-पश्चिमी
लंदन के एक कीमती मोहल्ले में बनी एक बहुमंजिली इमारत की चैथी मंजिल पर था, इस नई नदी को रेगिस्तान में
उतारने वाली कंपनी का मुख्यालय। ‘अमेरिकी इंजीनियरिंग कार्पोरेशन हैलीबर्टन’ की
यूरोपी शाखा ‘ब्राउन एंड रूट्स’ नामक कंपनी इसी जगह से काम करती थी। ब्राउन एंड
रूट्स ने ही इस महा जन नद की पूरी रूपरेखा तैयार की थी।
लेकिन आज यही सारा संसार लीबिया के इस लोकप्रिय
बताए गए नेता के खिलाफ वहां की जनता का साथ देने में जुट गया है। तब भी पर्यावरण
का हित देखते तो यह पूरी योजना, महा जन नद लोक विरोधी ही दिखती।
लोग बताते हैं कि इन नद से पैदा हो रहा गेहूं
आज शायद दुनिया का सबसे कीमती गेहूं है। लाखों साल पुराना कीमती पानी हजारों-हजार
रुपया बहाकर खेतों तक लाया गया है-तब कहीं उससे दो मुट्ठी अनाज पैदा हो रहा है। यह
भी कब तक? लोगों को डर तो यह है कि यह
महा जन नद जल्दी ही अनेक समस्याओं से घिर जाएगा और रेगिस्तान में सैकड़ों मीलों
में फैले इसके पाईप जंग खाकर एक भिन्न किस्म का खंडहर, स्मारक
अपने पीछे छोड़ जाएंगे।
लीबिया में इस बीच राज बदल भी गया तो नया
लोकतंत्र इस नई नदी को बहुत लंबे समय तक बचा नहीं सकेगा। और देशों में तो बांधों
के कारण, गलत योजनाओं के कारण, लालच के कारण नदियां प्रदूषित हो जाती हैं, सूख भी
जाती हैं। पर यहां लीबिया में पाईपों में बह रही इस विशाल नदी में तो जंग लगेगी।
इस नदी का अवतरण, जन्म तो अनोखा था ही, इसकी मृत्यु भी बड़ी ही विचित्र होगी।
(फ्रेड पीयर्स का यह लेख गांधी मार्ग में
प्रकाशित हुआ है. प्रस्तुति अनुपम मिश्र.)
क्या आप अमेरिका के राष्ट्रपति की अय्याशियां
भूल गये
Love Letter from Monica Lewinsky to Bill Clinton
A letter from Monica S. Lewinsky to President Clinton, dated June 29, 1997,
which was part of the evidence gathered by Kenneth W. Starr.
Dear Handsome,
I really need to discuss my situation with you. We have not had any contact
for over five weeks. You leave on Sat. and I leave for Madrid with the SecDef
on Monday returning the 14th of July. I am then heading out to Los Angeles for
a few days. If I do not speak to you before I leave, when I return it will have
been two months since we last spoke. Please do not do this. I feel disposable,
used and insignificant. I understand your hands are tied but I want to talk to
you and look at some options. I am begging you one last time to please let me
visit briefly Tuesday evening. I will call Betty Tuesday afternoon to see if it
is o.k. - M
बड़ी पुरानी कहावत है- 'Where there is oil, there is America.'
ReplyDeleteBahut hi badhiya or sunder lekh hai ek aur achhe or sachhe inshan ko markar america ne sabit kar diya hai ki woh Duniya ka sabse bada Aantakwadi hai na sirf Aatakwadi balke apne desh ko chalane ke liye duniya ke chhote mote mulko ke satth kesa khilwad karke waha apne pair jamaakar wo mulko ki sampati ko lutta hai magar uosko pata hona chaiye ke uoske bi din ab bhar gaye hai iska natija bahut hi jald duniya dekhegi.muje bi proud hai Muammar Gadhafi jaise muslim saasak or aap jaise writer pe bhale hi aese logo ko america jaisa badmash or Aantaki desh Mita de,Magar Taarikh uonhe kaise bhuol paayegi jis tarah Aapne likhha hai Google ki Purani galiyo mai jaavoAapko sabut mil jayege,haa bhai yakinan Aese mahan imandar or himmatwale log jaise Saddam Husain,Osama bin Laden or karnal Gaddafi uonhe tarikh or google to kiya islam ki Aanewali kai padhiya uonhe yaad rakhegi ye America aur Dusre uoske chamche mulko ko or uonki mot pe jashn banane wale logo ko yaad rakhna chaiye.
ReplyDeletesharmnaak !
ReplyDeletesaddham husain ,Osama ,mulla umar aur ab gaddafi ....sare jehadi aur aatanki aise hi maut ke ghaat utar diye jayenge .....Jai hind vande matram
ReplyDeleteयह कितना उचित है की अपनी गलतियों का ठीकरा आप किसी और के सर पे फोडें??? मुझे इसमें अमेरिका की कम और लिब्या के लोगों की गलती ज्यादा लगती है. अरब वर्ल्ड ने तो अब यह आदत बना ली है, अपनी हर गलती के लिए वो हमेशा अमेरिका को ही ज़िम्मेदार ठेहेराते हैं. गद्दाफी का मरना लिब्या के लिए दुर्भाग्य की बात है, पर यह दुर्भाग्य तो उन्होंने खुद ही चुना है...इसलिए इसमें किसी और को दोष क्यों देना???
ReplyDeletejust by reading these articles and gonna give some symapathy or emapathy to those brave leaders is not enough, people of libiya also favour the country or the person who is agaist LIBIAN LEADER. The main thing is this that now a days people are busy in there household and other are enjoying on the name of democracy and nothing else. some master minds are misleading all world and we are still slave nothing else .........people are just busy in education, service and entrtainment......... nobody .......... about these all good deeds done by libian leader is well known by all civilian of LIBIYA or not .....if they know all this than why they support to kill him.... I pray for the peace of that soul....
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