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भारत में प्राइवेट विमानन कंपनियों के सी.ई.ओ प्रधानमंत्री
डॉ मनमोहन सिंह के साथ बैठक की और बैठक में जेट ऐयरवेज के नरेश गोयल, इंडिगो राहुल भाटिया, स्पाईस जेट नील मील, गो एयर के जे वाडिया ने ए.टी.ऍफ़
(विमान ईधन) में छूट की मांग की तथा विमानन कंपनियों में विदेशी निवेश की अनुमति मांगी।
इस बैठक में विमानन मंत्री वायलर रवि भी शामिल थे। विजय माल्या से लेकर प्राइवेट हेड
की सभी विमानन कम्पनियाँ घाटे का रोना रोकर घोषित व अघोषित रूप से बेल आउट पैकेज की
मांग कर रही हैं।
भारत में इससे पहले निजी कम्पनियाँ घाटा दिखा कर
उनका सरकारीकरण करने की माहिर रही हैं। जब किसी कारखाने की उत्पादन क्षमता समाप्त हो
जाती है। तब उद्योगपति उन कारखानों को एक तरह से छोड़ देता है क्यूंकि उस कारखाने पर
उसकी लागत मूल्य से ज्यादा सरकारी बैंको का कर्जा लदा हुआ होता है और विभिन्न सरकारी
विभागों का करोडो रुपये टैक्स बाकी रहता है मजबूरी में सरकार उस कारखाने का सरकारीकरण
करती रही है और अब इन उद्योगपतियों ने सीधे-सीधे कटोरा हाथ में लेकर सरकारों से बेल
आउट पैकेज की मांग करनी शुरू कर दी है। मुनाफा हो तो इनका, घाटा हो तो सरकार का।
सार्वजानिक क्षेत्र में अगर भ्रष्टाचार समाप्त कर
दिया जाये और सारे संपादन का दायित्व निश्चित कर दिया जाए तो इससे बेहतर उत्पादन प्रक्रिया
कोई नहीं है। भाप की ताकत की खोज के बाद उत्पादन प्रक्रिया में जो तेजी आई है उसमें
जब तक मुनाफा होता रहा है तबतक इन कंपनियों के डायलाग सार्वजानिक क्षेत्र के खिलाफ
होते रहे हैं। जब इनके फ्राडों की वजह से मंदी का दौर आता है तो यह कटोरा लिए हुए सरकार
के सामने खड़े होते हैं।
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