इन दिनों महंगाई शबाब पर है। गली-गली, शहर-शहर के अलावा दिल्ली के तख्तोताज पर कुंडली मारकर बैठे खास को भी उसने कम से कम चिंता जताने पर मजबूर कर दिया है। इस सरेआम चर्चा से महंगाई रानी ही नहीं, कोई भी इतरा सकता है। लेकिन महंगाई रानी चर्चा में होने की वजह से खुश कम, दुखी ज्यादा है। वो खुद को बेवजह बदनाम किए जाने से चिंतित है।
खुद को 'डायन' कहकर संबोधित किए जाने से वह काफी आहत और नाराज भी है। इनका कहना है कि डायन कहकर उनकी बिरादरी को बदनाम किया जा रहा है और ये सरकार की सोची-समझी साजिश के तहत हो रहा है। जिसके लिए वह गुनहगार है ही नहीं, उसके लिए जनता के बीच बदनाम किया जा रहा है। सरकार ने तुरंत इस तरह का दुष्प्रचार नहीं रोका तो महंगाई बिरादरी के तरफ से वह मानहानि का मुकदमा करेंगी।
इस नाराजगी के पीछे महंगाई रानी का अपना तर्क भी है। वो उदाहरण देते हुए कहती हैं कि कुछ दिनों पहले चुनाव आयोग ने मतदान प्रतिशत बढ़ाने और बीवी-बच्चों, गर्लफ्रेंड से फुर्सत न मिलने वालों को मतदान केंद्र तक लाने के लिए एड कैंपेन चलाया। कैंपेन में कहा गया कि वोट नहीं डालने वाले पप्पू कहलाएंगे। यह तो वही हुआ वोट निठल्ले न दें और बदनाम दुनियाभर के 'पप्पूओं' को किया गया। ठीक उसी तरह जैसे देश के कई घरों में ‘मुन्नी’ इज्जत से रह रही थी, लेकिन 'दबंग' में आइटम सोंग पर डांस करने वाली मलाइका अरोड़ा ने अपने फायदे के लिए मुन्नी को बदनाम कर दिया। उधर कैटरीना ने शीला की जवानी को हिज़ाब से बाहर निकालकर सड़क का बाजारू सामान जैसा पेश कर दिया। ये तो ऐसी ही बात हुई न कि करे कोई और भरे कोई।
महंगाई रानी का कहना है कि वह हमेशा से आसमान की ऊंचाई पर नहीं, बल्कि सभी के बीच घुल-मिलकर रहना चाहती है। वो कुंभकर्ण की नींद की तरह सोना चाहती है। चाहती है कि उसे चंद भ्रष्ट नेताओं, नौकरशाहों, मुनाफाखोरों की तुच्छ लालच की वजह से नींद से न जागना पड़े। लेकिन मतलबी लोगों ने राजनीतिक सांठगांठ और अपनी गलत नीतियों की वजह से मुझे बेवजह नींद से जगा दिया है और फिर ‘महंगाई डायन’ कहकर बदनाम भी किया जा रहा है।
खुद की नाकामी के बावजूद सरकार बदनामी से बचना चाह रही है। सरकार के सभी अर्थशास्त्रियों का अंकगणित फेल है और बदनाम बेवजह महंगाई को किया जा रहा है। भला सरकार की कॉरपोरेट नीतियों का ठीकरा मेरे बिरादरी के सिर क्यों फोड़ा जा रहा है? हमारे देश के नेताओं से अच्छा तो कम से कम पड़ोसी मुल्क के व्यापारी और किसान हैं, जो इस संकट में हिंदुस्तान की जनता के दर्द कम करने के लिए बाघा बॉर्डर से प्याज भेजने का विरोध नहीं कर रहे।
डायन कहे जाने से आहत महंगाई रानी थोड़ा भावुक हो जाती हैं और कहती हैं, ‘ऐसा नहीं है कि जब मेरी चर्चा आम लोग या सरकार करती है तो मुझे दुख होता है, लेकिन महंगाई डायन कहे जाने पर मेरी बिरादरी को सबसे ज्यादा खुशी तब होती, जब इसका सीधा फायदा किसानों को मिलता। देश के मेहनतकश किसान या फिर खेती के सहारे जीवन गुजर-बसर वाले लोग मालामाल होते। उन्हें महंगाई की वजह से बैंकों, साहूकारों से कर्ज नही लेना होता और खुदकुशी के लिए मजबूर नहीं होता। मगर अफसोस, ऐसी संवेदना हमारे नेताओं, सत्ता के दलालों और बिचैलियों में नहीं है।’
फिर खुद को संभालते हुए गुस्से में वह कहती है ‘अगर महंगाई डायन कहकर बदनाम करने का सिलसिला नहीं रुका तो वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा तक खटखटाने से नहीं चूकेगी। वहां भी इंसाफ नही मिला तो आम जनता के बीच जाकर देश में संगठित माफियाराज चला रहे सफेदपोशों की पोल खोलूंगी और कहूंगी मुझे कुंभकर्ण की तरह चैन से सोने दो। भविष्य में कभी भी रावण की तरह खुदगर्ज बनकर मुझे नींद से मत जगाना। मुझे चैन से सोने दो। मैं सिर्फ सोते रहना ही चाहती हूं ताकि मेरी वजह से आम आदमी को तकलीफ न हो, लेकिन यूं ‘पप्पू', ‘शीला’ और ‘मुन्नी’ की तरह ‘महंगाई डायन’ कहकर बदनाम न करो।
(लेखक पत्रकार हैं और पिछले 6 सालों से हिंदी पत्रकारिता से जुड़े हैं. दूरदर्शन के ‘जागो ग्राहक जागो’ कार्यक्रम के असिस्टेंट प्रोड्यूसर, विराट वैभव अखबार में मेट्रो संवाददाता और एमएचवन न्यूज में एसोसिएट प्रोड्यूसर के तौर पर काम कर चुके हैं फिलहाल ‘शिल्पकार टाइम्स’ अखबार में सीनियर असिस्टेंट एडिटर के पद पर कार्यरत हैं. उनसे kumar2pankaj@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है. )
http://www.janjwar.com/
ali soharab ji aapane mere lekh ko jagah di. shukriya, lekin link mere mail par jarur bhej den.
ReplyDeleteagar aap kisi samajik mudden par likhana chahen to, shilpkar times use prakashit karane ki kpshish kareha.
http://sohrabali1979.blogspot.com/2011/02/blog-post_9798.html?showComment=1297332444578#c7960247617149991310
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