स्वामी रामदेव और कांग्रेस के बीच राजनीतिक लड़ाई अब उनकी कर्मभूमि उत्तराखंड में और तेज हो गई है। उत्तराखंड कांग्रेस के एक विधायक दल ने प्रधानमंत्री, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिख बाबा रामदेव की सीबीआई जांच की मांग की है।
प्रधानमंत्री को लिखी इस चिट्ठी में उत्तराखंड कांग्रेस के चार विधायकों (किशोर उपाध्याय, दिनेश अग्रवाल, केदार सिंह रावत और जोध सिंह भंसोला) ने मांग की है कि उत्तराखंड में संचालित बाबा रामदेव के सभी आश्रमों और प्रतिष्ठानों की सीबीआई जांच हो। साथ ही बाबा रामदेव के लापता हुए गुरु श्री शंकर देव जी के मामलें और उनकी संपत्ति पर कब्जा करने के मामले की जांच की भी मांग की गई है।
कांग्रेस के इस विधायक दल ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को लिखी चिट्ठी में भी बाबा रामदेव की सीबीआई जांच कराने की मांग की है। स्वामी रामदेव को भी चिट्ठी लिखते हुए आग्रह किया है कि बाबा को स्वयं अपनी सीबीआई जांच कराकर यह साबित कर देना चाहिए कि देश का संत समाज अभी भ्रष्ट नहीं हुआ है।
DAINIKBHASKAR.COM से बात करते हुए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और बाबा रामदेव को चिट्ठी लिखने वाले विधायकों में से एक किशोर उपाध्याय ने बाबा रामदेव पर आरोप लगाते हुए कहा कि कार्पोरेट बबा रामदेव ने हिमालय को इंडस्ट्री बना देश भर में बेच तो दिया लेकिन इससे यहां के स्थानीय लोगों को कोई फायदा नहीं हुआ।
किशोर उपाध्याय प्रश्न करते हैं कि जितनी जड़ी-बूटियां बाबा रामदेव देश भर में बेच रहे हैं उतनी तो हिमालय में पैदा भी नहीं हो रही हैं। इस बात की जांच होनी चाहिए की यह बूटियां कहां से आ रही हैं।
विधायक का कहना है कि रामदेव ने भले ही हरियाणा में जन्म लिया हो लेकिन उनका आध्यात्मिक जन्म तो उत्तराखंड में ही हुआ है। ऐसे में उनसे उत्तराखंड को फायदा पहुंचना चाहिए था लेकिन नुकसान ही ज्यादा पहुंचा है। बाबा रामदेव और देश के कई बड़े संतों ने यहां आश्रम बनाकर अपने व्यवसाय शुरु कर दिए। जिनसे गंगा और हिमालय में प्रदूषण बढ़ा और यहां के स्थानीय लोगों को भी नुकसान पुहंचा।
पावन धरती हो रही अपवित्र, बाबा धन अर्जित करने में लगे
किशोर उपाध्याय का कहना है कि मोक्ष की चाह में उत्तराखंड पहुंचने वाले लाखों साधुओं की जिम्मेदारी होनी चाहिए की वो यहां की गंगा और हिमालय को संरक्षित करें लेकिन वो अब उत्तराखंड को प्रॉडक्ट बनाकर देश में बेच रहे हैं। बाबा रामदेव ने बाबाओं को कार्पोरेट कर दिया है जिससे सबसे ज्यादा नुकसान हिमालय और यहां के लोगों को पहुंच रहा है। मोक्ष प्राप्त करने के लिए इस पावन धरती को अपना आवास बनाने वाले साधु ही अब विलासिता का जीवन व्यतीत करने लगे हैं। आश्रमों में पांच सितारा होटल कल्चर विकसित हो रहा है। बाबा रामदेव को तो स्वयं आगे आकर यह साबित करना चाहिए कि वो उत्तराखंड को फायदा पहुंचा रहे हैं।
किशोर सवाल करते हैं कि बाबा रामदेव गौमूत्र 12 रुपए लीटर खरीदकर 80 रुपए लीटर बेच रहे हैं। क्या बाबा रामदेव की जिम्मेदारी नहीं बनती कि वो उत्तराखंड के स्थानीय लोगों को फायदा पहुंचाए।
राजनीतिक नहीं है हमारी लड़ाई, हम उत्तराखंड के संतों का सम्मान चाहते हैं
बाबा रामदेव के खिलाफ अपनी लड़ाई को किशोर राजनीतिक नहीं मानते। वो कहते हैं कि उत्तराखंड साधु-संतों की भूमि है। यदि बाबा राजनीति में आना चाहते हैं तो वो इसके लिए स्वतंत्र हैं लेकिन उन्हें साधु का चोला पहनकर ऐसा नहीं करना चाहिए। हमारा मुख्य मुद्दा यह है कि उत्तराखंड की धरती पर मोक्ष प्राप्त करने आने वाला बाबा और साधु यहां कि धरती को नुकसान पहुंचाने के बजाए इसके संरक्षण का काम करे। बाबा रामदेव यदि उत्तराखंड को फायदा पहुंचाना शुरु कर दें हम उनके खिलाफ कुछ नहीं बोलेंगे।
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