ब्रिटिश साम्राज्यवाद की सीमाओं में सूरज अस्त नहीं होता था। आने वाले दिनों में अमेरिकन साम्राज्यवाद के तहत दुनिया उसकी गुलाम होगी तब यह कहना उचित होगा कि न सूरज अस्त होता है न चाँद डूबता है। अफगानिस्तान, ईराक, कुवैत सहित एशिया व अफ्रीका के काफी मुल्कोंको अमेरिकन साम्राज्यवाद ने अपना गुलाम बना लिया है। बहाना चाहे आतंकवाद का हो, परमाणु हथियार का हो, लोकतंत्र स्थापित करने का चाहे मामला हो इन बहानो के तहतवह दुनिया को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से गुलाम बनाने का एक हिस्सा होते हैं।
भारत को ब्रिटिश साम्राज्यवादियों ने गुलाम बनाया था तो तरह तरह के हथकंडे, बहाने वह लोगढूंढ कर पहले से रखते थे और फिर उन्ही बहानों को लेकर पूरे
देश पर अधिपत्य कर लिया था। अमेरिकन साम्राज्यवाद के पास दुनिया को गुलाम बनाने के लिये संयुक्त राष्ट्र संघजैसी मजबूत संस्था भी है। अमेरिकियों के इशारे
पर यह संस्था लीबिया में नो फ्लाई जोन काप्रस्ताव पारित कर सकती है किन्तु नो फ्लाई जोन में नाटो को युध्मारक विमान उड़ान की खुली छूट है।
नाटो सेनाओ को तानाशाह कर्नल गद्दाफी से ज्यादा भयानक नरसंहार करने की खुली आजादी भी संयुक्त राष्ट्र संघ देता है।
ईराक में अमेरिकी कार्यवाइयों के समय अमेरिका व उसकी समर्थक फौजें नरसंहार कर रही थी तो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् जैसी संस्थाएं अप्रत्यक्ष रूप से उनका समर्थन कर रही थी।
उस समय लोकतंत्र, समानता, न्याय, विश्व बंधुत्व अमेरिकी राष्ट्रपति के पैरों के नीचे था।अब अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान के अन्दर एबटाबाद दोहराने की जब भी जरूरत महसूस होगी दोहराया जायेगा। वहीँ, पाकिस्तान के विदेश सचिव सलमान बशीर ने कहा है कि अगर कोई देश पकिस्तान के अन्दर घुसने की जुर्रत करता है तो उसका मुंहतोड़ जवाब दिया जायेगा।
इस तरह की बयानबाजी के बाद अमेरिकन पकिस्तान की आर्थिक मदद रोक कर उसकी सार्वभौमिकता व संप्रभुता का हरण कर उसको गुलाम बना लेगा।
चीन, ईरान, उत्तर कोरिया, भारत जैसे देश अमेरिकन साम्राज्यवादियों के प्रस्ताव के समय संयुक्तराष्ट्र में बहिष्कार जैसे अस्त्र का इस्तेमाल कर उसको मनमानी करने का पूरा मौका देते रहेंगे। पकिस्तान के बाद किसी न किसी बहाने उक्त देशों में से किसी का नंबर लगेगा। और धीरे धीरे ग्लोबल दुनिया का बेताज बादशाह अमेरिकन साम्राज्यवाद होगा और हमें उसकी गुलामी करने के लिये मानसिक रूप से तैयार होना पड़ेगा।
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