रूस में आज करीब डेढ़ से दो करोड़ तक मुसलमान रहते हैं यानी रूस की कुल जनसंख्या में से 10 से 14 प्रतिशत तक जनसंख्या इस्लाम धर्म की अनुयायी है। मास्को, सेंट पिटर्सबर्ग और वोल्गा के तटवर्ती बड़े नगरों में मुलसमानों की संख्या बहुत ज़्यादा है। रूस में 7 हज़ार से ज़्यादा मस्जिदें और सौ से ज़्यादा इस्लामी धार्मिक शिक्षा संस्थाएँ हैं। इनमें प्रसिद्ध इस्लामी संस्थाएँ हैं – मास्को इस्लामी विश्वविद्यालय, मास्को का उच्च इस्लामी धार्मिक कॉलेज और मदरसा, कज़ान शहर में स्थित उच्च मुस्लिम मदरसा “मौहम्मदिया”, महाच्कला शहर का इमाम-अश-शफ़ी इंस्टीट्यूट और मदरसा तथा ऊफ़ा नगरों के मदरसे।
ततारिस्तान की राजधानी कज़ान में 1998 में विश्वविद्यालय स्तर की उच्च इस्लामी धार्मिक शिक्षा देने और इस्लामी विशेषज्ञों को तैयार करने के लिए पहला इस्लामी विश्वविद्यालय खोला गया था। इस विश्वविद्यालय में शरीयत फ़ैकल्टी, धर्मशास्त्रया इस्लामी दर्शन फ़ैकल्टी, कुरान फ़ैकल्टी, हाफ़िज़े-कुरआन फैकल्टी तथा इस्लाम का प्रारम्भिक ज्ञान नामक फ़ैकल्टी हैं। शरीयत के कोर्सों के अलावा यानी धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ इस विश्वविद्यालय में छात्रों को विदेशी भाषाएँ सिखाई जाती हैं, राष्ट्रीय इतिहास और संस्कृति का ज्ञान कराया जाता है, नैतिक शिक्षा के मूलभूत सिद्धान्तों से परिचित कराया जाता है तथा इंटरनेट और सूचना तकनीक की जानकारी भी दी जाती है। दूसरे विश्वविद्यालयों से अलग यहाँ सारी शिक्षा इस्लाम की दृष्टि से यानी धार्मिक दृष्टि से दी जाती है। शिक्षा के लिए माध्यम के रूप में छात्र रूसी, तातारी या अरबी भाषाओं में से किसी एक भाषा को चुन सकते हैं। यहाँ इस्लामी दर्शन और धार्मिक शिक्षा के लिए छात्रों को बी.ए. से लेकर डाक्टरेट तक की डिग्रियाँ दी जाती हैं।
ततारिस्तान की राजधानी कज़ान में 1998 में विश्वविद्यालय स्तर की उच्च इस्लामी धार्मिक शिक्षा देने और इस्लामी विशेषज्ञों को तैयार करने के लिए पहला इस्लामी विश्वविद्यालय खोला गया था। इस विश्वविद्यालय में शरीयत फ़ैकल्टी, धर्मशास्त्रया इस्लामी दर्शन फ़ैकल्टी, कुरान फ़ैकल्टी, हाफ़िज़े-कुरआन फैकल्टी तथा इस्लाम का प्रारम्भिक ज्ञान नामक फ़ैकल्टी हैं। शरीयत के कोर्सों के अलावा यानी धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ इस विश्वविद्यालय में छात्रों को विदेशी भाषाएँ सिखाई जाती हैं, राष्ट्रीय इतिहास और संस्कृति का ज्ञान कराया जाता है, नैतिक शिक्षा के मूलभूत सिद्धान्तों से परिचित कराया जाता है तथा इंटरनेट और सूचना तकनीक की जानकारी भी दी जाती है। दूसरे विश्वविद्यालयों से अलग यहाँ सारी शिक्षा इस्लाम की दृष्टि से यानी धार्मिक दृष्टि से दी जाती है। शिक्षा के लिए माध्यम के रूप में छात्र रूसी, तातारी या अरबी भाषाओं में से किसी एक भाषा को चुन सकते हैं। यहाँ इस्लामी दर्शन और धार्मिक शिक्षा के लिए छात्रों को बी.ए. से लेकर डाक्टरेट तक की डिग्रियाँ दी जाती हैं।
इस विश्वविद्यालय में या इस्लामी मदरसे में 14 वर्ष की उम्र से लेकर 36 वर्ष की उम्र तक का कोई भी व्यक्ति, कोई भी स्त्री या पुरूष, कोई भी युवक अयवा युवती प्रवेश ले सकती है। प्रवेश परीक्षा के रूप में रूसी भाषा, रूस के इतिहास और इस्लाम की मूलभूत शिक्षाएँ नामक विषयों की परीक्षा देनी पड़ती है। छात्र चाहें तो सांध्य कश्क्षाओं में भी प्रवेश ले सकते हैं। मदरसे में इस्लाम के मूलभूत नियमों और परम्परागत मुस्लिम शिक्षा से जुड़े विषयों का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। छात्रों को अरबी भाषा सिखाने की ओर भी बड़ा ध्यान दिया जाता है। मदरसे में पहले वर्ष से ही अरबी पढ़ाई जाने लगती है और पूरे पाँच वर्ष तक अरबी भाषा पढ़ाई जाती है। अन्तिम वर्ष में तो बहुत से लैक्चर भी अरबी भाषा में ही होते हैं। मदरसे की पढ़ाई ख़त्म करने के बाद ये छात्र इमाम-हातिब, मुएदजिन, शरीयत के मुदर्रिस या अरबी से अनुवादक आदि का कोई भी पेशा अपना सकते हैं। मुस्लिम धार्मिक शिक्षा संस्थाओं में शिक्षा प्राप्त करने के बाद मुल्ला बना जा सकता है या सांसारिक जीवन में भी इस्लामी ज्ञान का उपयोग किया जा सकता है। उदाहरण के लिए अरबी भाषा के विशेषज्ञ को न सिर्फ़ सांसारिक जीवन का बल्कि इस्लामी धार्मिक और नैतिक शिक्षा का भी गहराई से ज्ञान होना चाहिए।
रूस के मुसलमान विदेशी इस्लामी धार्मिक शिक्षा संस्थाओं में भर्ती होकर भी इस्लामी धार्मिक शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। इसपर किसी तरह की कोई रोक-टोक नहीं है। सैकड़ों रूसी मुसलमान जोर्डन, मिस्र और सऊदी अरब में पढ़ रहे हैं। इस्लामी धार्मिक शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के साथ-साथ बड़ी संख्या में अन्य मुस्लिम छात्र भी इन देशों में पढ़ने के लिए जाते हैं ताकि इस्लाम के अपने ज्ञान को और गहन किया जा सके। यहाँ इस बात का भी ख़्याल रखना चाहिए कि बहुत-सी ऐसी शिक्षाएँ जो मुस्लिम देशों के लिए उचित और ठीक होती हैं, हो सकता है रूस के लिए वे उपयोगी न हों। इस्लाम में राज्य की और सरकार की जो धारणा है, शरीयत के नियमों पर आधारित कनूनों की जो धारणा है, रूसी कानूनों से मेल नहीं खाती है। यहाँ इस्लाम और राजनीति एक-दूसरे को छूने लगते हैं, वे एक-दूसरे के सम्पर्क में आते हैं। अतः यह बड़ा ज़िम्मेदारी भरा काम है कि धर्म को राज्या सत्ता से, राजनीति से अलग रखा जाए। इसलिए रूस में दी जाने वाली इस्लामी शिक्षा रूसी जीवन के अनुकूल होती है।
(साभार: रेडियो रूस (http://hindi.ruvr.ru/)
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