Saturday, November 06, 2010

आखिर कोर्ट ने यह कैसे तय कर लिया कि राम कहां पैदा हुए थे?

बौद्ध धर्म की सारी किताबें, मूर्तियां और स्मारक शंकराचार्य के अनुयायियों ने नष्ट कर डाले थे। यहां तक कि बुद्ध की जो भी मूर्तियां मिलती हैं, वे अफगानिस्तान, नेपाल, तिब्बत, रंगून आदि में तो मिलती हैं लेकिन हिंदुस्तान में बुद्ध की एक भी ऐसी मूर्ति नहीं मिलती जो खंडित न हो। इस तरह हम देखते हैं कि हिंदू कम कट्टर नहीं हैं। उन्होंने बाबरी मस्जिद को भी बाकायदा योजनाबद्ध ढंग से ढहा दिया था। कुछ हिंदुत्ववादी नेता भीड़ को रोकने के नाम पर मस्जिद से बाहर खड़े रहे थे और षडयंत्र के तहत महज आधा घंटे में उसे जमींदोज कर दिया गया था। उमा भारती उल्लास में मुरली मनोहर जोशी के कंधे पर बैठकर तस्वीरें खिंचवा रही थीं। उमा भारती और ऋतंभरा के आग उगलते हुए भाषण बाकायदा रिकॉर्ड हैं। हाई कोर्ट के फैसले में इसका कोई जिक्र नहीं है। यह मानकर चला गया है कि जहां बीच का गुंबद था, वहीं नीचे राम का जन्म हुआ था। कोर्ट ने जिस तरह जमीन का बंटवारा किया है, उसमें बीच में रामलला का मंदिर है, एक तरफ राम चबूतरा है और एक तरफ सीता रसोई। कोर्ट द्वारा मुसलमानों को दिए गए हिस्से में मस्जिद बनाई भी जाती है तो वह राम चबूतरे और सीता रसोई के बीच में होगी। जाहिर है, रोज दंगे होंगे। एक तरह से यह जान-बूझकर किया गया लगता है कि बहुसंख्यक आतंक में दबकर मुसलमान खुद ही कहें कि भैया इस जगह को भी आप ही ले लें। यह फैसला निश्चय ही अन्यायपूर्ण, अवैध और अतार्किक है। यह तर्क और कानून के ऊपर आस्था की विजय है।
आखिर कोर्ट ने यह कैसे तय कर लिया कि राम कहां पैदा हुए थे? अयोध्या में ही राम के करीब 10 मंदिर ऐसे हैं जहां राम का जन्मस्थान होने का दावा किया जाता है। कोर्ट ने कानून पर आस्था को तरजीह दे दी है तो हर कहीं आस्था और अंधविश्वास को वैधता मिल जाएगी। सती, नर बलि आदि को भी परंपरा और आस्था के नाम पर सही ठहराया जा सकता है। फिर तो खाप-पंचायतें भी प्रेमी-प्रेमिकाओं के गले काटने को अपनी आस्था और परंपरा के आधार पर अपना अधिकार मानेंगी। ओझे, सयाने, झाड़-फूंक करने वाले औरतों को डायन बताकर क्यों नहीं पीटेंगे?
बाबरी मस्जिद तोड़ी गई थी तो हिंदुओं ने पाकिस्तान और बांग्लादेश में मंदिर तोड़े जाने का रोना रोया था। तरुण विजय आज भी गिनाते रहते हैं कि पाकिस्तान में कितनी मंदिर तोड़ी गईं और मुंबई में ब्लॉस्ट हुए। एक बात बताइए कि आप तो खुलेआम मस्जिद तोड़ दें और फिर चाहें कि दूसरा पक्ष कुछ भी न करे। हिंदुस्तान में हिंदुत्व की राजनीति करने वाले यह भी भूल जाते हैं कि उनकी वजह से पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू कितने असुरक्षित हो जाते हैं। बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के उत्पीडऩ को आधार बनाकर तस्लीमा नसरीन ने लज्जा उपन्यास लिखा था तो पांचजन्य ने कहा था कि देखिए, मुसलमान कितने अत्याचारी हैं। लेकिन, हिंदुस्तान में भी बहुसंख्यकों के आतंक का ही नतीजा है कि बाबरी मस्जिद के ऐसे फैसले को लेकर मुसलमान चुप हैं। कुछ बूढ़े-बुजुर्ग जो लंबे समय से इस मसले में लगे हैं, सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं पर सच कहूं तो मुझे सुप्रीम कोर्ट से भी कोई बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं है। लेकिन क्या वाकई इस तरह मसले का निपटारा हो सकता है? हाई कोर्ट के फैसले ने भी शांति स्थापित करने के बजाय भीतर आग लगा दी है जो फिर भड़क सकती है।
एक बात यह भी कि बाबर के एक जनरल मीर बाक़ी ने जो मस्जिद बनवाई थी, वह तो आपने तोड़ दी लेकिन देश में आप क्या-क्या तोड़ेंगे? राम पर एक बहस में हिस्सा लेते हुए मैंने कहा कि राम ने लंका पर आक्रमण किया, रावण की बहन की नाक काटी। नाक काटने के मुहावरे का सीधा अर्थ है इज़्जत लेना। बाबर भी 1,800 सैनिकों के साथ हिंदुस्तान आया था। उसने भी यहां के लोगों को मिलाकर अपना साम्राज्य स्थापित किया। फिर राम और बाबर में अंतर क्या है, जो राम का इतना महत्व गाते रहते हैं? हालांकि राम सिर्फ मिथकीय चरित्र है और उसका कोई पौराणिक महत्व भी नहीं है। वाल्मीकि से पहले राम का कहीं जिक्र शायद ही मिलता हो।
हमारी राजनीति ने सांप्रदायिक समस्याओं को इतना दूषित और जटिल बना दिया है कि कोई गुजांइश नजरही नहीं आती है। लगता नहीं है कि हम लोगों की जिंदगी शांति से गुजर पाएगी। अशांति रहेगी, आतंकवादी विस्फोट होंगे। हिंदुत्व की राजनीति करने वालों को इससे कोई मतलब नहीं है, उन्हें लाशों का ढेर लगाकर दिल्ली के सिंहासन पर बैठना है। हिंदुत्व की राजनीति संगठित है और हिंदू वोटों के लालच में यूपीए सरकार का रवैया भी नर्म है। कांग्रेस कोर्ट के फैसले का समर्थन ही कर रही है। रामभक्त कोर्ट में हो सकते हैं तो कांग्रेस में क्यों नहीं?


राजेंद्र यादव

8 comments:

  1. बहुत अच्छे भाई ,इस से अच्छा भला कोई क्या लिखेगा

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  2. @ Naushad bhai, bahut bahut sukriya.

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  3. Just see what a Lunatic Sudarshan ( ex-RSS Chief Purohit) told to Onlooker on demolition of Babri Masjid.... http://www.facebook.com/note.php?note_id=403856578854

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  4. sir ji pura bakwas artical hi..........mera khayal se aapka ye artical utna hi khatarnak hi jitna ki bawri mazsid tutne k baad hua dange the,,,,or ye sirf muslim kom k lya hi nhi balki pure hindustan k lya 1 kala din se kam nhi hi.....is waqt hindustan me bahut se problms hi sabse bara problm corupton or jab des corupton se ladne k lya 1jut ho rha hi tab dharmic or sampradic mamlo ko badhawa dena murkhta se kam nhi hoga.............or agar aap kabhi sant man se sochenge to aapko lagega ki mandir, masjid, hindu, muslim, sikh, isai jaise sabd aaj inasniat ko jar se khokla kar rhe hi......or jaha tak pakistan ki baat hi o kabhi bhi hindustan k hit k bare soh hi nhi sakta or aapki jankari k lya bata du pakistan se jitne bhi aatangwadi bheje jate hi un k dwara mare jane wale logo me sirf hindu hi nhi hote musalman bhi hote hi islya aapse gujaris hi ki aap atlist pakistan k pakchdhar na bane........or thodi si jamin k lya bhaiyo k bih talwar chalna khi se bhi insaniyat ko nhi darsata hi kuki jab hidustan apna hi to fir chinta kis baat ki jamin jis bhai k paass bhi rhe hi to aakhir des me hi....................

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  5. Dear Jayant Bhai

    I am really sorry to object on your question regarding your raised comments on muslim brothers. As you mentioned in your comments that mostly Muslim supported the Pakistan. It is totally wrong, Muslim never support to any group, lobby, region or country. The Pakistani are also our brother, sister and human of Almighty God like us.
    Kuch kahne se pehle Dharmo ka gyaan bahut jaroori hai. Har dharm kahta hai Manau (Human) bhagwan ki di hui sabse uttam gift hai...jisko sochne & samjhne ki shalahiyat di....
    fir aap hi batao kisi insaan ko agar dusre insaan ke baare mein accha sochna kya gunah hai ya paap hai..aap khud soch kar batao...

    Kattarpanti ki definition.....Talibaan farmaan se aap log jod dete ho..but....aap logon ke samuday ke kiye hue karnaame e.g...

    Ayodhya Kand
    Godhra Kand
    Darbangha kand
    etc...

    Maa, bahno ki Izzat lootna..Bhagwan Ram KE naam par..logon ke ghar jalawana Bhagwan Ram ke naam par..masoomo ko jala dena Bhagwaan Raam ke naam par....

    Muslimo ko ab biswas kaise rahe aap logo ki wafadri par..aap hi log batao...

    Na aap log kanoon ko mante ho na nyaaye ko mante ho...jaisa ki example hai..

    Hon' ble Suprem Court ka adesh tha.ki Govr.Babri Masjid ki hifaazat kare...Aaap hi log batao govr. mein kis samudai ke log baithe the...

    Kitna un logon ne nyaay ka palan kiya aap ke samne hai...

    Hum muslim ne kabhi bhi apne padosh ki beti, bahno ke saath galat nigah nahi rakhte..to woh kaise desh ke khilaaf buri nigah rakh sakte hain...

    Muslimo ne kabhi Sambhidhaan ka ulaghan kiya to unko saja mili...but aap logo ne..
    1992 Ayodhya Kand...mein sambhidhaan ko randi bana kar nachaya....aur ksi ko aaj tak saja na mili....aur milegi kaise jab sarkaar hi uski jimmedaar thi....

    Hum Muslim hai...hamare paas insaaniyat hai, hamare paas mohabbat hai hamare seene mein Quran hai...isse jyada hame kuch nahi chahiye..

    aap log jo chahe woh karte raho...hum log ne na galat kiya tha, na kiya hai, na kareinge ....

    Allah acchi soch paida kare sabhi ke andar..taaki woh ek accha insaan ban sake..agar mere leikh se aapke dil par taish pauchi ho to uske liye maafi chahunga..but meine wahi kahan jo such hai..jisse jhutlaya nahi ja sakta...

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  6. @ फहीम अहमद भाई, अब हमें जयंत बताएँगे के क्या सही है और क्या गलत है,
    आइये आप भी जानिए उन सभी लोगों की पूरी की पूरी लिस्ट जो बाबरी मस्जिद के हत्यारे थे और आज भी खुलेआम घूम रहे हैं...सत्ता का सुख भोग रहे हैं...!!! लिब्राहन आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक़ जिन लोगों ने भारत देश में सन '92 में खूनी खेल खेलने और दंगा भड़काने और बाबरी मस्जिद शहीद करने में शामिल थे, कि लिस्ट निम्नवत हैं:::
    आचार्य धर्मेन्द्र देव, धर्म संसद
    आचार्य गिरिराज किशोर, विश्व हिन्दू परिषद् का वाइस-प्रेसिडेंट
    ए. के. सरन, आई. जी. सिक्युरिटी, उत्तर प्रदेश
    अखिलेश मेहरोत्रा, एडिशनल सुप्रिटेंडेंट ऑफ़ पुलिस, फैज़ाबाद
    अशोक सिंघल, विश्व हिन्दू परिषद् का प्रेसिडेंट
    अशोक सिन्हा, सचिव, उत्तर प्रदेश टूरिज़्म
    अटल बिहारी वाजपाई, भारत का पूर्व प्रधानमंत्री
    बद्री प्रसाद तोषनीवाल, विश्व हिन्दू परिषद् (मौत हो गयी 1994)
    बैकुंठ लाल शर्मा, विश्व हिन्दू परिषद् (पूर्व MP, पूर्वी दिल्ली)
    बाला साहेब ठाकरे, शिव सेना
    बी पी सिंघल, विश्व हिन्दू परिषद् (अशोक सिंघल का भाई)
    ब्रह्मा दत्त द्विवेदी, बी जे पी, (पूर्व मंत्री उत्तर प्रदेश, हत्या कर दी गयी 1998)
    चम्पत राय, लोकल कंस्ट्रक्शन मैनेजर
    दाऊ दयाल खन्ना, बी जे पी
    डी. बी रॉय, सीनियर सुप्रिटेंडेंट ऑफ़ पुलिस, फैज़ाबाद (बीजेपी के टिकट से लोक सभा में दो बार एंट्री, बाद में हिन्दू महासभा को ज्वाइन किया)
    देवरहा बाबा, संत समाज
    गुर्जन सिंह, विश्व हिन्दू परिषद्/आर एस एस
    जी एम् लोढ़ा, बीजेपी
    एस. गोविन्दचार्या, आर एस एस, (बाद में आरएसएस वालों ने इसे लात मार दिया)
    एच वी शेषाद्री, आर एस एस (2005 में मर गया)
    जय भगवान् गोयल, शिव सेना (बाद में राष्ट्रवादी शिवसेना बनाई)
    जय भान सिंह पवारिया, बजरंग दल (बीजेपी के टिकेट से ग्वालियर से 1999 में एमपी)
    के एस सुदर्शन, आर एस एस
    कलराज मिश्रा, बीजेपी, (राज्य सभा सदस्य 1963-1968, सदस्य विधान परिषद 1986-2001)
    कल्याण सिंह, बीजेपी, उत्तर प्रदेश का पूर्व मुख्यमंत्री
    खुशाभाऊ ठाकरे, आर एस एस, (मौत 2003)
    लालजी टंडन, बीजेपी
    लल्लू सिंह चौहान, बीजेपी
    एल के आडवानी, बीजेपी
    महंत नृत्य गोपाल दास, प्रेसिडेंट राम जन्मभूमि न्यास, सदस्य विश्व हिन्दू परिषद्
    महंत अवैध्य नाथ, हिन्दू महासभा (गोरखपुर से चार बार एम पी)
    महंत परमहँस राम चन्द्र दास, विश्व हिन्दू परिषद्
    मोरेश्वर दिनानंत सवे, शिवसेना
    मोरपंथ पिंगले, शिवसेना
    मुरली मनोहर जोशी, बीजेपी

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  7. ओम पकाश सिंह (पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश)
    ओंकार भवा, विश्व हिन्दू परिषद्/आर एस एस
    प्रमोद महाजन, बीजेपी (अपने ही भाई के हांथो मारा गया 2006 में)
    प्रवीण तोगड़िया, विश्व हिन्दू परिषद्/आर एस एस
    प्रभात कुमार, मुख्य गृह सचिव, उत्तर प्रदेश शासन
    पुरुषोत्तम नारायण सिंह, विश्व हिन्दू परिषद्
    राजेन्द्र गुप्ता, मंत्री, उत्तर प्रदेश
    राजेन्द्र सिंह उर्फ़ रज्जू भैया, आर एस एस
    रामशंकर अग्निहोत्री, विश्व हिन्दू परिषद्
    राम विलास वेदांती, बीजेपी से दो बार एम पी
    आर के गुप्ता, बीजेपी, वित्त मंत्री, उत्तर प्रदेश
    आर एन श्रीवास्तव, डीएम, फैज़ाबाद
    साध्वी ऋतंभरा, संत समाज/ विश्व हिन्दू परिषद्
    शंकर सिंह वाघेला, बीजेपी
    सतीश प्रधान, शिव सेना
    श्री चन्द्र दीक्षित, बीजेपी, (प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट, एस डी एम, पी सी एस- 1948-1950, आई पी एस सेवा, एस पी-बाराबंकी, फैज़ाबाद, एटा, अतिरिक्त एस पी-लखनऊ, इलाहाबाद, कानपुर कुम्भ मेला, एस एस पी, अलीगढ़, वाराणसी, डी आई जी ऑफ़ पुलिस बरेली मेरठ गोरखपुर- 1950-1970, बीजेपी से एम पी डिप्टी डाइरेक्टर इंटेलीजेन्स ब्यूरो- 1970-1975, आईजी, सीआईडी इंटेलीजेन्स, डाइरेक्टर जनरल ऑफ़ होमगार्ड व सिविल डिफेन्स, उत्तर प्रदेश, DGP-पुलिस, उत्तर प्रदेश 1982-1984)
    सीता राम अगरवाल, विश्व हिन्दू परिषद्
    एस पी गौर, कमिश्नर, IAS ऑफिसर
    सुन्दर सिंह भंडारी, बीजेपी, पुराना जनसंघी
    सूर्य प्रताप साही, मंत्री, कल्याण सिंह कैबिनेट
    स्वामी चिन्मयानन्द, विश्व हिन्दू परिषद्. मंत्री वाजपई मंत्रालय
    स्वामी सच्चिदानन्द उर्फ़ साक्षी महाराज, बीजेपी, बाद में सपा
    एस वी एम त्रिपाठी, DGP, उत्तर प्रदेश
    स्वामी सतमित राम जी, संत समाज
    स्वामी सत्या नन्द जी, संत समाज
    स्वामी वाम देव जी, संत समाज
    उमा भारती, विश्व हिन्दू परिषद्/ आर एस एस
    यू पी बाजपाई, DIG, फैज़ाबाद
    विजयराजे सिंधिया, बीजेपी
    वी के सक्सेना, मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश
    विनय कटियार, आर एस एस/ बीजेपी
    युद्धनाथ पाण्डे, शिव सेना


    क्या ये दोषी नहीं है भारतीय अदालत के नजर में?, किया ये अदालत की नजर में 'रेयरेस्‍ट ऑफ द रेयर' की श्रेणी में नहीं आते? अदालत ने आजतक इन्हें क्यों नहीं फैसला सुनाई क्योंके ये अल्पसंख्यक नहीं थे, सजा तो दूर इन्हें उलटे में इनाम से नवाजा गया

    अधिक जानकारी के लिए निचे दिए गए लिंक पर चटका लगाइए:
    http://sohrabali1979.blogspot.com/2010/12/blog-post_11.html

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