Thursday, April 21, 2011

बनारस विस्फोट 2010 और मीडिया ट्रायल, भाग 3


यदि हम इसके बाद के समाचारों को देखें तो यह आभास होता है कि इण्डियन मुजाहिदीन के बहाने से संजरपुर और आजमगढ़ को टारगेट करने का एक अभियान चल पड़ा है। हालाँकि पहले ही दिन जिस प्रकार से आजमगढ़ का नाम आया उससे यह लगने लगा था कि कोई अज्ञात शाक्ति जाँच की दिशा को आजमगढ़ की ओर मोड़ने का प्रयास कर रही है। वह सिलसिला कुछ इस प्रकार आगे बढ़ता है:- ‘‘आजमगढ़ से जुड़ रहे हैं वाराणसी विस्फोट के तार, दिल्ली पुलिस को शक विस्फोट में फरार आतंकी डाॅ0 शहनवाज और असदुल्ला पर’’ शीर्षक से अमर उजाला लिखता है............. ए0टी0एस0 ने दिल्ली पुलिस की थ्योरी को जाँच में शामिल कर लिया है (अमर उजाला 9 दिसम्बर पृष्ठ नं0 6) उसी दिन के हिन्दुस्तान ने सीधे डाॅ0 शाहनवाज या अन्य किसी पर शक की सूईं नहीं घुमाई, परन्तु ‘‘नजरें फिर इण्डियन मुजाहिदीन पर’’ शीर्षक से प्रकाशित समाचार में डाॅ0 शाहनवाज के नाम को हाई लाइट करने का प्रयास अवश्य मालूम होता है। पत्र लिखता है- 9 आरोपित पहले की वारदातों के बाद एजेंसियों के हत्थे चढ़ चुके हैं लेकिन डाॅ0 शाहनवाज सहित 7 आरोपित सुरक्षा एजेंसियों के लिए सिरदर्द बने हुए हैं.............।
गिरफ्तार किया गया मो0 सैफ डाॅ0 शाहनवाज का छोटा भाई है। डाॅ0 शाहनवाज के बारे में जो जानकारी है उसके अनुसार 2006 में बिहार के सीवान जिले से बी0यू0एम0एस0 की डिग्री प्राप्त कर लखनऊ के मेयो अस्पताल में काम कर चुका है लेकिन 13 सितम्बर 2008 को दिल्ली ब्लास्ट के बाद से फरार है (हिन्दुस्तान 9 दिसम्बर पृष्ठ नं0 3 आजमगढ़)। 9 दिसम्बर को दैनिक जागरण ने अपने पहले पृष्ठ पर जो खबर छापी है उसमें तो लगभग डाॅ0 शाहनवाज को बनारस विस्फोट का आरोपी बना ही दिया है। समाचार पढ़ने पर किसी को भी यही आभास होगा कि मामला हल हो चुका है बस आधिकारिक घोषणा ही बाकी है। शीर्षक है- शाहनवाज का नाम आते ही सक्ते में संजरपुर, खुफिया एजेंसियों ने शक की सुईं यहाँ के डाॅ0 शाहनवाज की तरफ घुमाई है। हालाँकि यह अभी स्पष्ट नहीं हो पाया कि शाहनवाज कौन और कहाँ का रहने वाला है।.......... वैसे खुफिया सूत्रों की मानें तो डाॅ0 शाहनवाज ही मंगलवार की शाम वाराणसी में गंगा आरती के समय हुए विस्फोट का सूत्रधार है और वह संजरपुर का ही रहने वाला है। डाॅ0 शाहनवाज के बारे में आई0बी0 के हवाले से वाराणसी विस्फोट के पहले और बाद में भी यह समाचार छप चुका है कि वह शारजह पहुँच गया है। कितनी विचित्र बात है कि यहाँ उसके सम्पर्क सूत्रों का पता लगाने से पहले ही उसे सूत्रधार घोषित कर दिया गया। इस प्रकार के समाचार जाँच एजेंसियों के लिए निमन्त्रण जैसे लगते हैं कि कहीं भटकने की जरूरत नहीं है। संजरपुर और आजमगढ़ चले आइए गुत्थी सुलझ जाएगी। इन समाचारों की विश्वसनीयता का अन्दाजा दैनिक जागरण में प्रदेश सरकार के हवाले से प्रकाशित उस समाचार से किया जा सकता है जिसका शीर्षक है ‘‘अहम सुराग के लिए जी तोड़ मशक्कत’’, पत्र आगे लिखता है......... प्रदेश सरकार ने माना कि वाराणसी में मंगलवार को हुए आतंकी विस्फोट को लेकर उसे कोई सुराग नहीं मिल पाया है............ घटना को अंजाम देने वाले संगठन की पहचान नहीं हो सकी है........ घटनास्थल से बैटरी रिमोट कंट्रोल डिवाइस एवं छर्रे भी नहीं मिले हैं............. बृजलाल ने पत्रकारों को बताया कि ऐसा कोई सुबूत नहीं मिला है जिससे पुख्ता तौर पर किसी आतंकी संगठन का नाम लेकर कहा जा सके कि उसने घटना को अंजाम दिया है........... रासायनिक जाँच करके यह पता लगाया जाएगा कि विस्फोट को अंजाम देने वाला आतंकी संगठन कौन सा हो सकता है।.......... वाराणसी विस्फोट के पीछे डाॅ0 शाहनवाज की भूमिका होने के बाबत पूछे गए सवाल पर उन्हांेने कहा कि विस्फोट में डाॅ0 शाहनवाज शामिल था या नहीं इस बारे मंे अभी तक कोई सुबूत नहीं मिले हैं और न ही ए0टी0एस0 ने पूछ-ताछ के लिए किसी को उठाया है (दैनिक जागरण 9 दिसम्बर पृष्ठ 11)
0डी0जी0 0प्र0 के उपर्युक्त स्पष्ट बयान से यह बात बिल्कुल साफ हो जाती है कि किसी संगठन, व्यक्ति या स्थान विशेष का नाम लेकर उस समय तक प्रकाशित सभी समाचार आधारहीन थे। इसे मात्र कयास या अनुमान ही कहा जा सकता है। परन्तु इस आशय की खबरों को लेकर जिस प्रकार सभी अखबारों में समानता पाई जाती है उस पर सवाल उठना लाजिमी है कि वे अधिकारी, सुरक्षा एजेंसियाँ या खुफिया सूत्र कौन से हैं जिनको उद्धृत करके यह एक तरफा समाचार प्रकाशित हुए और लगभग सभी समाचार पत्रों में इन्हीं सूत्रों के हवाले से छपे। यह मात्र संयोग नहीं हो सकता। इसके पीछे अवश्य कुछ शक्तियाँ हैं जो लगातार समाचार माध्यमों को एक ही प्रकार के इनपुट्स देती रही हैं ताकि जाँच कोे एक खास दिशा दी जा सके। 9 दिसम्बर को इन सभी समाचार पत्रों ने वाराणसी विस्फोट पर सम्पादकीय भी लिखे हैं जो काफी संतुलित हैं।
इसकी सराहना इस लिए भी की जानी चाहिए कि इसमें ए0डी0जी0 कानून व्यवस्था के बयान की झलक भी है और निष्पक्ष जाँच के लिए प्रेरित करने की सामग्री भी। इसके बावजूद डाॅ0 शाहनवाज, संजरपुर और आजमगढ़ को लक्ष्य बनाकर छपने वाली खबरों का सिलसिला जारी रहा। अमर उजाला 10 दिसम्बर पृष्ठ 2 आजमगढ़ में ‘‘शाहनवाज संग तीन अन्य संदिग्धों की तलाश’’ शीर्षक से लिखता है.......... मंगलवार को हुए आतंकी विस्फोट के मामले में आजमगढ़ के डाॅ0 शाहनवाज के खिलाफ रेड कार्नर नोटिस जारी होने के बाद से यहाँ उसके सम्पर्कों की तलाश शुरू हो गई है। गुरुवार की शाम तीन संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है जिनसे किसी अज्ञात स्थान पर पूछ ताछ चल रही है।
(धमाके में आई0एम0 के स्लीपर एजेन्ट का इस्तेमाल सम्भव) शीर्षक से हिन्दुस्तान (10 दिसम्बर पृष्ठ 10) लिखता हैं............. वाराणसी में हुए बम धमाके को लेकर खुफिया विभाग (आई0बी0) के हाथ पूरी तरह खाली हैं। आई0बी0 को अभी पुख्ता तौर पर यह पता नहीं है कि बम धमाके को अंजाम किस आतंकी संगठन ने दिया है और उसका उद्देश्य क्या है।............. कामन वेल्थ खेलों से पहले मिले इनपुट्स के आधार पर दिल्ली पुलिस के अधिकारी मान रहे हैं कि इसके पीछे इण्डियन मुजाहिद (आई0एम0) का हाथ हैं, हालाँकि इस मामले में अभी तक दिल्ली पुलिस के हाथ में कुछ नहीं है।


-मसीहुद्दीन संजरी
क्रमश:

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