Sunday, April 17, 2011

हाफ़िज़ सईद : खुदापरस्त या मानवता का दुश्मन?


पाकिस्तान स्थित तथाकथित समाजसेवी संगठन तथा आतंकवादियों को संरक्षण व सहायता पहुंचाने वाले आतंकवादी संगठन जमाअत-उद-दावा के प्रमुख हाफ़िज़  सईद ने तो गोया भारत का ताउम्र विरोध करने के साथ-साथ मानवता के साथ भी स्थाई दुश्मनी करने का फैसला कर लिया है। खुद को खुदापरस्त बताने वाले हाफ़िज़  सईद का भारत के विरूद्ध ज़हर उगलना या उसका भारत विरोधी साजि़शें रचना कोई नई और खास बात नहीं है। जम्मू-कशमीर राज्य में आतंकवाद को बढ़ावा देने से लेकर मुंबई के 26/11 के हमलों तक हाफ़िज़ सईद ने तमाम ऐसे भारत विरोधी अभियानों को संरक्षण प्रदान किया है और कर रहा है जो कि न केवल भारत व पाकिस्तान के रिश्तों में सामान्य हालात पैदा करने में बाधक सिद्ध हो रहे हैं बल्कि उसकी ऐसी ग़ैर इंसानी गतिविधियों के परिणामस्वरूप कभी-कभी इन दोनों देशों के बीच कड़वाहट फैलने की संभावना भी बढ़ जाती है। परंतु मानवता विरोधी इस तथाकथित धर्मगुरू रूपी आतंकवादी सरगना पर पाकिस्तान सरकार शिकंजा कसने में हमेशा नाकाम नज़र आती है। और पाकिस्तान में हाफ़िज़ सईद का सरेआम घूमना-फिरना, भारत के विरूद्ध ज़हर उगलनासांप्रदायिकतापूर्ण बातें करना तथा पाकिस्तान सरकार के भारत के साथ प्रस्तावित एवं लंबित पड़े द्विपक्षीय कूटनीतिक संबंधों पर नुक्ताचीनी करते रहना राजनैतिक विश्लेषकों को पकिस्तान सरकार तथा पाकिस्तान सेना के विषय में बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करता है।
भारत व पाकिस्तान के मध्य गत् 30 मार्च को विश्व कप क्रिकेट प्रतियोगिता का सेमीफाईनल मैच भारत के मोहाली क्रिकेट स्टेडियम में खेला गया। इस मैच को दोनों ही देशों के सरबराहों ने एक शुभ अवसर के रूप में लेते हुए क्रिकेट डिप्लोमेसी का परिचय दिया था। भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पाक प्रधानमंत्री युसुफ रज़ा गिलानी को मैच देखने हेतु आमंत्रित किया। मनमोहन सिंह के इस निमंत्रण को गिलानी ने स्वीकार किया तथा एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधि मंडल के साथ मोहाली आए। क्रिकेट देखने के बहाने दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच उच्च स्तरीय वार्ता हुई तथा क्रिकेट डिप्लोमेसी के अंतर्गत हुई इस वार्ता को दोनों ही देशों के नेताओं व अधिकारियों ने सार्थक तथा सकारात्मक वार्तालाप बताया। हालांकि पाकिस्तान की क्रिकेट टीम भारत के हाथों पराजित हो गई। परंतु इसके बावजूद इसी खेल के बहाने दोनों देशों के मध्य मधुर संबंध स्थापित करने की दिशा में जो कदम आगे बढ़ाए गए उसका भारत व पाकिस्तान दोनों ही देशों की जनता ने भी स्वागत किया।
दरअसल भारत व पाकिस्तान की जनता तथा इन दोनों देशों के शासक ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया यह भलीभांति महसूस करती है कि परमाणु शक्ति संपन्न इन दोनों ही पड़ोसी देशों के मध्य मधुर एवं सामान्य संबंध ही रहने चाहिए। इन दोनों देशों के मध्य तनावपूर्ण वातावरण केवल दक्षिण-एशिया ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की शांति के लिए खतरा हो सकता है। परंतु स्वयं को पाकिस्तान तथा दुनिया के मुसलमानों का शुभचिंतक बताने वाला स्वयंभू खुदापरस्त हाफ़िज़ सईद, भारत-पाक संबंध तथा विश्व शांति जैसी बातों को हज़म नहीं कर पाता। एक ओर पाक प्रधानमंत्री अपने मंत्रिमडलीय साथियों तथा उच्चाधिकारियों के उच्चस्तरीय प्रतिनिधि मंडल के साथ भारत का दौरा करने आते हैं तो दूसरी ओर मानवता का यह दुश्मन तथाकथित धर्मगुरु हाफ़िज़ सईद पाकिस्तान में ही संसद के समक्ष खड़े होकर पाक सरकार को भारत-पाक रिश्ते सुधारने के लिए मना करता है तथा उन्हें तरह-तरह की धमकियां व चेतावनियां देता नज़र आता है। और पाकिस्तान सरकार है कि हाफ़िज़ सईद के पाक सरकार विरोधी तथा भारत विरोधी भाषण को सार्वजनिक रूप से सुनने के लिए मजबूर नज़र आती है। और पाकिस्तान सरकार की इस कमज़ोरी व मजबूरी का फायदा उठाता हुआ हाफ़िज़ सईद पाक अवाम के दिलों में भारत विरोधी ज़हर घोलता रहता है।
पिछले दिनों जम्मू -कश्मीर में एक प्रसिद्ध धर्मगुरु मौलाना शौकत अली की आतंकवादियों द्वारा हत्या कर दी गई। गौरतलब है कि मौलाना शौकत अली कश्मीर के उन अमनपरस्त लोगों में से थे जिन्होंने गत् वर्ष जम्मू -कश्मीर में सुनियोजित ढंग से पुलिस बल पर होने वाली पत्थरबाज़ी की अनियंत्रित घटनाओं का सार्वजनिक रूप से विरोध किया था तथा इसकी निंदा की थी। जबकि पत्थरबाज़ी की घटनाओं को अलगाववादियों तथा आतंकवादियों का समर्थन प्राप्त था। लिहाज़ा समझा जा सकता है कि मौलाना शौकत अली की हत्या श्रीनगर में किन शक्तियों द्वारा की गई होगी? परंतु भारतीय कश्मीर के लोगों से अपनी हमदर्दी जताने का ढोंग करने के लिए उनके जनाज़े की नमाज़ पाक राजधानी इस्लामाबाद में प्रेस क्लब के सामने सड़कों पर पढ़ाई गई। इस्लामाबाद का यह प्रेस क्लब पाकिस्तानी संसद से कुछ ही दूरी पर स्थित है। इस गायबाना (गुप्त रीति से) नमाज़-ए- जनाज़ा को जमाअत-उद-दावा प्रमुख हाफ़िज़ सईद ने पढ़ाया। नमाज़ के बाद जमाअत-उद-दावा के तमाम नेताओं द्वारा भारत सरकार के विरुद्ध जमकर ज़हर उगला गया तथा पाकिस्तान सरकार को भी दोनों देशों के बीच संबंध सुधारने के विरुद्ध चेतावनी दी गई।
हाफ़िज़ सईद ने ज़ोर देकर कहा कि पाकिस्तान द्वारा भारत के साथ दोस्ती करने से कश्मीर समस्या का समाधान कतई नहीं होगा। उसने जम्मू -कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाया। उसने पाक सरकार को यह चेतावनी भी दी कि पाकिस्तान सरकार कश्मीर नीति का फिर से आंकलन करे तथा कश्मीर मुद्दे को लेकर भारत के साथ कोई समझौता न करे। सईद ने दुनिया के मुसलमानों को वरगलाते हुए यह भी कहा कि मुसलमान अब अपने लक्ष्य को समझ चुके हैं। उसने कहा कि पाकिस्तानी अवाम को पाक सरकार का क्रिकेट डिप्लोमेसी के नाम पर भारत के साथ दोस्ती बढ़ाने का यह रवैया कुबूल नहीं है। उसने यह भी पुन: स्पष्ट किया कि हम कश्मीरियों के साथ हैं तथा उनका साथ निभाएंगे। गौरतलब है कि हाफ़िज़ सईद का यह ज़हरीला भाषण जिस स्थान पर दिया जा रहा था वहां से थोड़ी दूर स्थित संसद में भी उसकी यह आवाज़ साफ सुनी जा सकती थी। उसने पाक सांसदों को अपनी ओर मुखातिब करते हुए यह अपील की कि वे भारत के साथ दोस्ती बढ़ाए जाने का समर्थन हरगिज़ न करें। इतना ही नहीं बल्कि हाफ़िज़ सईद ने चेतावनी भरे लहजे में एक बार फिर अपना वही राग यहां भी दोहराया कि जब अमेरिका तथा उसके नेतृत्व में लडऩे वाली नाटो सेना इराक व अफगानिस्तान जैसे देशों में अपने पांव नहीं जमा सकीं तथा इन दोनों ही देशों से अमेरिकी सेनाएं वापस जाने का बहाना तलाश कर रही हैं ऐसे में भारत अधिक समय तक कश्मीर पर अपना नियंत्रण हरगिज़ नहीं रख सकता।
हाफ़िज़ सईद की इस प्रकार की चेतावनीपूर्ण बयानबाज़ी उसके मकसद, उसकी नीयत तथा उसके इरादों को साफतौर पर बयान करती है। 26/11 के मुंबई हमलों का जिम्मेदार तथा गिरफ्तार किया गया एकमात्र जीवित आतंकवादी अजमल क़साब अपने इकबाल-ए- जुर्म में हाफ़िज़ सईद की 26/11 के अपराध में संलिप्तता के विषय में सब कुछ बता चुका है। परंतु पाकिस्तान सरकार हाफ़िज़ सईद पर नियंत्रण करना या उसे प्रतिबंधित करना तो दूर बल्कि ऐसा प्रतीत होता है कि उसे पाकिस्तान में चारों ओर घूम-घूम कर भारत विरोधी वातावरण तैयार करने में उसकी सहायता ही कर रही है। हाफ़िज़ सईद सामाजिक सेवा के नाम पर, मदरसों व अस्पतालों के बहाने तथा गरीबों में मदद पहुंचाने के नाम पर आम पाकिस्तानियों के मध्य विशेषकर एक विशेष इस्लामी विचारधारा के अनुयाईयों के मध्य अपनी लोकप्रियता बढ़ाता जा रहा है। वह हमेशा धर्म व समुदाय के नाम पर पाकिस्तान के मुसलमानों को वरगलाता रहता है तथा उन्हें दुनिया से अलग-थलग करने की साजि़श का सरगना बना रहता है। पाकिस्तान में हाफ़िज़ सईद जैसे तमाम आतंकवादी सरगऩाओं की मौजूदगी तथा इनके ज़हरीले विचारों तथा कारनामों ने ही पाकिस्तान को न केवल दुनिया से अलग-थलग कर दिया है बल्कि तमाम देश पाक को आतंकी राष्ट्र घोषित करने जैसी बातें भी करने लगे हैं। पाकिस्तान में सक्रिय ऐसी ही आतंकी तथा फिरकापरस्त ताकतों के सहयोग से ही तालिबानी ताकतें पाकिस्तान में अपने शिकंजे कस चुकी हैं। और इन्हीं मानवता विरोधी शक्तियों की सक्रियता के परिणामस्वरूप ही पश्चिमी ताकतों को पाकिस्तान जैसे देशों में अपने पैर रखने का सुनहरा बहाना मिलता है। लिहाज़ा ऐसे में पाक सरकार, पाक अवाम तथा दुनिया के मुसलमानों को यह स्वयं सोचना होगा कि हाफ़िज़ सईद जैसा सांप्रदायिक एवं कट्टरपंथी मानसिकता का व्यक्ति सच्चा खुदापरस्त है पाकिस्तान या मुसलमानों का हमदर्द है या फिर मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन?




तनवीर जाफरी लेखक वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार हैं संपर्क tjafri1@gmail.कॉम tanveerjafriamb@gmail.

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