कोई भी हिन्दुस्तानी जो स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों को सम्मान देता है उसके लिए यह कितने दुःख और कष्ट की बात हो सकती है कि आरएसएस अंग्रेजों के विरुद्ध प्राण न्योछावर करने वाले शहीदों को अच्छी निगाह से नहीं देखता था। श्री गुरूजी ने शहीदी परंपरा पर अपने मौलिक विचारों को इस तरह रखा है:
नि:संदेह ऐसे व्यक्ति जो अपने आप को बलिदान कर देते हैं और उनका जीवन दर्शन प्रमुखत: पौरुषपूर्ण है। वे सर्वसाधारण व्यक्तियों से, जो कि चुपचाप भाग्य के आगे समर्पण कर देते हैं और भयभीत और अकर्मण्य बने रहते हैं, बहुत ऊँचे हैं। फिर भी हमने ऐसे व्यक्तियों को समाज के सामने आदर्श के रूप में नहीं रखा है। हमने बलिदान को महानता का सर्वोच्च बिंदु, जिसकी मनुष्य आकांक्षा करे, नहीं माना है। क्योंकि, अंतत: वे अपना उद्देश्य प्राप्त करने में असफल हुए और असफलता का अर्थ है कि उनमें कोई गंभीर त्रुटी थी।
यक़ीनन यही कारण है कि आरएसएस के इतिहास में उनका एक भी कार्यकर्ता अंग्रेज शासकों के खिलाफ संघर्ष करते हुए शहीद नहीं हुआ।
-आरआरएस को पहचानें किताब से साभार
... nirantar rss par post ... saraahneey kaary !!!
ReplyDeletejab tak public inke bare mein poori tarha nahi janegi ye unka fayeda uthate raheinge,isliye ali sohrab bhai aapka logon mein sachchayi batane ka karya sarahniye qadam he
ReplyDelete@ uday bhai, @ Naushad bhai,
ReplyDeletecomments karne ke liye aap dono ka bahut bahut tahe dil se kuriya.
@ Naushad bhai, hausla afzai ka bahut bahut sukriya, Insha allah hum bhartiye jald hi sacchai ko bhi accept karenge.
Hum bhartiyon ki ye prampara rahi hai ke ham kisi bhi burai ko chorne me thora jiyda waqat lete hai.
mera blog padhne keliye aaplgon ka sukriya.
शीला जवान होती है, मुन्नी बदनाम होती या फिर माय नेम इज खान रिलीज होती है बहुत से धार्मिक हिन्दू संगठन हंगामा कर देते है,सड़कों पे उतर आतें हैं और हवाला देतें हैं कि उनकी संस्कृति ख़राब हो रही है|और जब हिंदुत्व का पाठ पढ़ने वाले कथावाचक अश्लील हरकतों में, आतंकवादी और असंवेधानिक गतिविधिओं में शामिल होते हैं तब क्या इनकी संस्कृति में चार चाँद लग जातें है?? तब ये संगठन कहाँ गायब हो जातें है?? वाह रे धर्म कि आड़ लेकर लड़ने वालों, पहले ख़ुद को तो सुधारों-
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