आतंकी गतिविधियों में हिंदुत्ववादी संगठनों और नेताओं की संलिप्तता उजागर होने के बाद आंतकवाद के मुद्दे पर कांग्रेस की खिंचाई करने वाली भाजपा बचाव की मुद्रा में है। विस्फोटों में शामिल होने के आरोपी स्वामी असीमानंद के पूर्व संघप्रमुख के.सुदर्शन, संघप्रमुख मोहन भागवत, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान,विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया, साध्वी रितंभरा, साध्वी कंकेश्वरी देवी, मोरारी बापू,आसाराम बापू,शंकराचार्य, सत्यमित्रनंद जी आदि प्रमुख लोगों से अच्छे ताल्लुकात हैं...
अजय प्रकाश की रिपोर्ट...
राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के दिल्ली स्थित झंडेवालान मुख्यालय पर उत्तर भारत के एक प्रमुख पदाधिकारी ने नौ नवंबर की शाम संघ कार्यकर्ताओं से कहा था,‘कांग्रेस के दुष्प्रचार का हमें पूरी उर्जा और जोश से विरोध करना होगा,अन्यथा ये छद्म धर्मनिरपेक्षतावादी संघ की प्रतिष्ठा को आतंकवाद के बहाने धूल में मिला देंगे।’ धूल में मिल जाने की यही चिंता इस वक्त पूरे संघ परिवार में बचैनी का कारण बनी हुई है और उनके नेता घब़राहट में अनाप-शनाप बयान दे रहे हैं।
ताजा उदाहरण 10 नवंबर को संघ द्वारा आयोजित कांग्रेस के खिलाफ राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन में पूर्व सरसंघ चालक के.सुदर्शन का बयान है जिसमें उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआइए का दलाल कहा है और इंदिरा गांधी की हत्या का जिम्मेदार भी ठहराया है। बाकियों पर संघ के इस पूर्व सेनापति का यह सुर कितना सूट करेगा वह तो बाद की बात है सबसे पहले संघ ने ही नाता तोड लिया,जबकि देश भर में कांग्रेस और संघ कार्यकताओं के बीच ठन गयी।
काले तीर निशान से चिन्हित असीमानंद : साथ में आसाराम बापू, मोरारी बापू, के.सुदर्शन और मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी |
राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (आरएसएस)से जुड़े या उसके आनुषांगिक संगठनों की बम धमाकों में शामिल होने के आरोपों ने कांग्रेस के खिलाफ अक्सर मुखर रहने वाली भाजपा के लिए बडी मुश्किल खडी कर दी है और आतंकवाद के मामले में भाजपा की भद्द पिटी है। हालत यह है कि कांग्रेस नेतृत्व वाले यूपीए और कांग्रेस सरकारों के भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए भाजपा जैसे ही दमखम से लगती है,उसके पहले ही कांग्रेस आतंकवाद का जिन्न सामने रखकर हिंदूवादी राजनेताओं की हवा निकाल देती है।
जांच प्रक्रिया की ताजा प्रगति के मुताबिक हैदराबाद, अजमेर और मालेगांव में मुस्लिम धर्मस्थलों पर विस्फोट की साजिश के सिलसिले में स्वामी असीमानंद को उत्तराखंड राखंड के हरिद्वार से 19नवंबर को सीबीआइ ने गिरफ्तार कर लिया है। उल्लेखनीय है कि असीमानंद को तीन राज्यों आंध्र प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र पुलिस तलाश कर रही थी। राजस्थान पुलिस के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने असीमानंद को हिंदू कट्टरपंथियों के सरगना के तौर पर चिन्हित किया है।
असीमानंद 2006 में उस समय सर्वाधिक चर्चा में आये थे जब उन्होंने गुजरात के डांग जिले में सबरी मंदिर बनवाया और सबरीधाम कुंभ का आयोजन किया। इस आयोजन में असीमानंद ने पूर्व संघप्रमुख के.सुदर्शन, संघप्रमुख मोहन भागवत, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया, साध्वी रितंभरा, साध्वी कंकेश्वरी देवी, मोरारी बापू, आसाराम बापू, शंकराचार्य, सत्यमित्रनंद जी आदि प्रमुख लोगों का बुलाया था।
इन नामों से जाहिर है कि आरोपित आतंकी असीमानंद की भाजपा और उसके नजदीकी के संतों से गहरे ताल्लुकात रहे हैं और थे। यहां गौर करने लायक है कि जब आतंकवादी घटनाओं में किसी मुस्लिम पर संलिप्तता का आरोप खुफिया एजेंसियां लगाती हैं तो उनके संपर्क में रहने वालों को भी उठा लिया जाता है,उनके साथ भी मीडिया तकरीबन वैसा ही ट्रायल चलाती है जैसा आरोपित पर। लेकिन यहां असीमानंद से गलबहियां करने वालों पर मीडिया की चुप्पी जताती ही कि कलमनवीसों के बीच साम्प्रदायिकता गहरे में पैठी पड़ी है।
पुलिसिया जांच के अनुसार स्वामी ने गुजरात के डांग जिले में मुख्य केंद्र बनाकर मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के दर्जनभर से अधिक जिलों में आतंकी गतिविधियां चलायीं। जानकारी के मुताबिक स्वामी 1995में गुजरात के आहवा में आये और हिंदू संगठनों के साथ मिलकर ‘हिंदू धर्म जागरण और शुद्धिकरण’ का काम शुरू किया। इन खुलासों से विचलित संघ परिवार कांग्रेसी सरकारों की जांच और उनके नेताओं के आक्रामक बयान से बचाव की मुद्रा में खड़ा है क्योंकि उसका हर पलटवार निरर्थक साबित हो रहा है।
अजमेर धमाका: असली सरगना असीमानंद |
अजमेर धमाके में पुलिस की चार्जशीट में ‘हिंदू आतंकवादी’का जिक्र जरूर एक बार भाजपा को बोलने का मौका दिया था,लेकिन अब वह मामला भी शांत हो चुका है। जो बचा रह गया है वह यह कि बार-बार आरोपपत्र में आरएसएस का नाम आ रहा है। जैसे राजस्थान एटीएस ने जिन तीन लोगों का जिक्र किया है, उनमें विभाग प्रचारक देवेंद्र कुमार गुप्ता,मध्यप्रदेश देश के शाजापुर जिला के जिला संपर्क प्रमुख चंद्रशेखर और इंदौर से संघ कार्यकर्ता लोकेश शामिल हैं। जबकि फरार अभियुक्तों में आरएसएस सदस्य और पदाधिकारी संदीप डांगे,सुनील जोशी और रामजी कलसंगरा शामिल हैं।
आश्चर्यजनक है कि हिंदू अतिवादी राजनीति के इन समर्थकों की यह आतंकी भूमिका तब उजागर हुई जब राजस्थान में भाजपा की सरकार सत्ता से बेदखल हुई। ग्यारह अक्टूबर 2007को आहता-ए-नूर के दरगाह में हुए धमाकों में तीन लोग मारे गये थे और पंद्रह लोग घायल हुए थे। शुरूआती पुलिसिया जांच में आरएसएस के लोगों के होने की सुगबुगाहट तो पता चली मगर जांच को उस दिशा में बढाने में भाजपा की सरकार ने कोई दिलचस्पी नहीं ली। इस बावत मौजूदा कांग्रेस सरकार में गृहमंत्री शांति धारिवाल कहते हैं कि विस्फोट करने वालों की पूरी जानकारी होने के बावजूद तत्कालीन सरकार ने गिरफ्तार नहीं कर सकी, क्योंकि आतंकी हिंदूवादी संगठनों से थे।
राज्य के गृहमंत्री की राय में इन धमाकों का मकसद देश के विभिन्न कौमों के बीच के आपसी सामंजस्य को नष्ट करना रहा है। संलिप्तता के सवाल पर भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद कहते हैं,‘भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी कांग्रेस सरकार सिर्फ घोटालों को छुपाये रखने के लिए हिंदुओं को आतंकवादी गतिविधियों में सम्मिलित बता रही है। पार्टी हमेशा से यह मानती है दोषियों को सजा मिलनी चाहिए, चाहे वह कोई भी हो।
मगर इस आधार पर कि अमुक व्यक्ति का नंबर अमुक व्यक्ति की डायरी में मिला,इस आधार पर दोषी ठहराना गलत है।’गौरतलब है कि भाजपा प्रवक्ता यह बात गोरखपुर से भाजपा सांसद और प्रखर हिंदूवादी नेता योगी आदित्यनाथ के संदर्भ में बोल रहे थे, जिनसे एटीएस पूछताछ करने वाली थी कि धमाकों के आरोपियो की डायरी में योगी का फोन नंबर दर्ज है।
उधर पुलिस का दावा है कि मालेगांव धमाकों में गिरफ्तार श्रीकांत पुरोहित और सुधाकर के अभिनव भारत संगठन और साध्वी प्रज्ञा सिंह और सुनील जोशी के ‘वंदे मातरम्’संगठन के बीच असीमानंद संगठनकर्ता की भूमिका में था। मालेगांव और अन्य धमाकों में गिरफ्तार लोगों के हवाले से पुलिस ने कहा है कि स्वामी अभिनव भारत संगठन और वंदे मातरम् संगठन को एक करने के पक्ष में था ताकि उन्हें और बल मिले।
मूल रूप से पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के रहने वाले और उच्च शिक्षा प्राप्त असीमानंद को पुलिस ने इन सभी विस्फोटों के मुख्य आरोपी के तौर पर चिहिनत किया है,जिनकी गिरफ्तारी के बाद यह विस्फोटक खुलासे होंगे कि कितने संगीन रूप से हिंदू धार्मिक समूह चरमपंथी और आतंकी गतिविधियों में संलिप्त हैं।
हैदराबाद, अजमेर और मालेगांव बम धमाकों में हिंदू कट्टपंथियों के शामिल होने का तथ्य उजागर होने के बाद से अपने को सबसे शुद्ध राष्ट्रीयतावादी बताने वाला संघ और उसके जुड़े पदाधिकारी राष्ट्रद्रोहियों की पंक्ति में खड़े नजर आ रहे हैं। इसकी वजह से भाजपा चाह कर भी अपने वैचारिक आधार की जननी आरएसएस के बचाव में पुरजोर तौर पर नहीं उतर पा रही है।
हालांकि संघ के प्रचारक इंद्रेश कुमार ने धमाकों में नाम उजागर होने के बाद राजस्थान पुलिस को नोटिस भिजवाया है। इंद्रेश कुमार पर आरोप है कि 2005में जयपुर में हुई एक गोपनीय बैठक में उनके साथ जो लोग भी शामिल थे,वे दरगाह विस्फोट में गिरफ्तार किये गये। इंद्रेश कुमार संघ में मुस्लिमों की भर्ती जैसे महात्वाकांक्षी अभियान से जुड़े थे। पुलिस को यह जानकारी दरगाह विस्फोट में संलिप्त रहे संघ कार्यकर्ता सुनील जोशी की हत्या के बाद बरामद डायरी से मिली।
अभी तक उजागर हुए तथ्यों से जाहिर हो गया है कि संघ से जुड़े चरमपंथियों के तार गुजरात, मध्य प्रदेश , आंध्र प्रदेश झारखंड और राजस्थान से जुड़े हैं। संघियों का यह आतंकी तार ऐतिहासिक संकट लेकर आया है। शायद इसी को भांपकर कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने मध्यप्रदेश में छह अक्तूबर को एक रैली को संबोधित करते हुए आरएसएस को हिंदू कट्टरपंथी राजनीति का वाहक कहा और बताया कि प्रतिबंधित मुस्लिम छात्र संगठन सिमी और इसमें कोई फर्क नहीं है। इस बयान से उत्तेजित भाजपा युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने आरएसएस पर छपी छह किताबें राहुल को भेजी कि बचकाने बयान देने से पहले वे पढ़ा करें।
कांग्रेस और आरएसएस के बीच वाक्युद्ध कोई नयी बात नहीं है। सन् 2004के लोकसभा चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस ने स्वाधीनता संग्राम के दौरान आरएसएस की भूमिका पर टिप्पणी की थी जिसके विरुद्ध संघ ने राष्ट्रव्यपापी अभियान चलाया था। संघ के प्रवक्ता राम माधव ने उस समय प्रेस को संबोधित करते हुए दिल्ली में कहा था कि कांग्रेस दुर्भावनाग्रस्त अभियान चला रही है। क्योंकि यह नकली कांग्रेस है और सोनिया गांधी इसकी नकली नेता हैं।
अब नकली कौन है और असली कौन,यह तो जनता तय करेगी। मगर गुनहगार कौन है उसे पुलिस बता रही है और जनता देख रही है इसलिए अब असल-नकल का सवाल बयानों की बजाय तथ्यों पर निर्भर करेगा जिसे चाहकर भी भाजपा या संघ दबा नहीं सकते।
(द पब्लिक एजेंडा से साभार व संपादित)
-जनज्वार (http://www.janjwar.com/2010/12/blog-post.html#links)
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