भारत को दुनियाभर में ख़ुशमिज़ाज लोगों का देश माना जाता है, इसके बावजूद भारत भर में आत्महत्या करने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2009 में भारत में एक लाख 27 हज़ार से ज़्यादा लोगो ने मौत को गले लगा लिया।
भारत में होने वाली आत्महत्याओं में पारिवारिक कारणों के अलावा बीमारी आत्महत्या की सबसे बडी वजह है। भारत में बीमारी की वजह से वर्ष 2009 में 26731 लोगों ने आत्महत्या की जो कुल आत्महत्याओं का 21 प्रतिशत है. इनमें से 8469 लोगों ने दिमाग़ी बीमारी की वजह से आत्महत्या कर ली।
इन आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में मौजू़द स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर गौर करने की ज़रूरत है।
बीमारी का दंश
एड्स और यौन बीमारी से पीड़ित होने की वजह से आत्महत्या करने वालों के मामले में अबकी बार कमी देखी गई। वर्ष 2009 में 677 लोगों ने इस वजह से आत्महत्या की जबकि इससे पहले साल में ये संख्या 877 थी।
आर्थिक तंगी की वजह से भी 3162 लोगों ने आत्महत्या की, जो पिछले साल के मुक़ाबले छह प्रतिशत ज़्यादा है।
पारिवारिक कारणों से 30082 लोगों ने मौत को गले लगाया जो कुल आत्महत्याओं का लगभग 24 प्रतिशत है। जबकि लगभग 17 प्रतिशत आत्महत्याओं की वजह का पता नहीं चल पाया। आंकड़ों के मुताबिक़ यौन दुराचार से पीड़ित 320 लोगों ने आत्महत्या कर ली। 2009 में दहेज़ से जुडे मामलों में आत्महत्या की घटनाओं में कमी देखी गई, इस दौरान 2921 आत्महत्याएं हुई जबकि 2008 में 3038 आत्महत्याएं हुई थी।
अन्य वजहों में प्यार में मात खाए 3711 लोगों ने आत्महत्या की, जबकी परीक्षा में विफल रहने की वजह से 2010 लोगों ने आत्महत्या की। ग़रीबी की वजह से 2987 लोगो ने आत्महत्या की, जबकि बेरोज़गारी 2472 लोगों की आत्महत्या की वजह बनी। अनचाहे गर्भ की वजह से भी 141 लड़कियों ने आत्महत्या की।
साभार बीबीसी
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