भारतीय सेना पर सभी को गर्व है. देश की शान के लिए जवानों का बलिदान, दिन-रात सियाचिन जैसी जगहों पर मुस्तैदी से खड़े होकर देश की रक्षा करना, भला कौन हिंदुस्तानी भुला सकता है. देश के प्रत्येक नागरिक की जिंदगी उन शहीदों की कर्जदार है, जिन्होंने हंसते-हंसते देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी.
आज अफ़सोस इस बात का है कि उसी सेना की ईमानदारी पर प्रश्नचिन्ह लग चुका है. जिन आरोपों से अभी तक सेना अछूती थी, आज वह भी आरोपों के घेरे में आ चुकी है.
मुंबई में हुए आदर्श हाऊसिंग सोसायटी घोटाले में सेना के तीनों प्रमुखों को संसद की लोकलेखा समिति पीएसीके समक्ष प्रस्तुत होना पड़ा. यह बात सेना ही नहीं पूरे देश के नेताओं के लिए शर्म की बात है. जिस सेना को भारतीय युवा अपना आदर्श मानते थे, आज उसी को कटघरे में खड़ा कर दिया गया.
आपको याद दिला दें पीएसी के समक्ष दो सेना प्रमुख उपस्थित हुए. थलसेना प्रमुख जनरल वी.के. सिंह और वायुसेना प्रमुख एअर चीफ मार्शल पी.वी. नायक. नौसेना प्रमुख इंडोनेशिया दौरे पर होने की वजह से उनकी जगह नौसेना के वाइस चीफ एडमिरल डी.के. दीवान उपस्थित हुए.
आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाले के बाद सेना की जमीन का एक और घोटाला मुंबई की कांदिवली मलाड इलाके में मौजूद भूमि के हस्तांतरण के घोटाले में पूर्व रक्षा उत्पादन राज्यमंत्री और पूर्व थल सेना प्रमुख पर लगे हैं.
इसके बाद दिल्ली से सटे फरीदाबाद और नोएडा में भी सेना की जमीन जिसकी कीमत करीब 300 से 600 करोड़ बतायी जाती है का एक और घोटाला सामने आया है.
पूर्व थलसेना अध्यक्ष जनरल दीपक कपूर, एन.सी. विज, पूर्व नौसेना अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह के खिलाफ ऐसे ही घोटालों की जांच की जा रही है.
इससे पहले बराक मिसाइल, ताबूत कांड, हथियारों की खरीद-फरोख्त, सैनिकों की वर्दी, राशन, जूते इत्यादि ऐसे बहुत से घोटाले सामने आए जिसमें देश के विभिन्न नेताओं पर गंभीर आरोप लग चुके हैं.
देश की जनता किसे अपना मित्र माने और किसे शत्रु, किसे धोखेबाज माने और किस पर विश्वास करे. क्योंकि देश का हर तबके का हुक्मरान किसी न किसी बड़े घोटाले का पार्टनर है. हर मोड़ पर देश को बेंच लेने वाले सौदागर बैठे हैं.
देश के विकास के लिए कोई ऐसा बजट नहीं पारित होता जिसमें किसी घोटाले की बू ना आ रही हो. जिस देश के प्रधानमंत्री, न्यायाधीशों, डाक्टरों, वकीलों, पत्रकारों की निष्ठा पर सवालिया निशान लग चुका हो तो मैं नहीं समझता हूं कि देश का नागरिक अपना न्याय पाने के लिए किसका दरवाजा खटखटाए.
खासतौर से हम अपनी केंद्र सरकार को सचेत करना चाहते हैं कि वह हिंदू, मुस्लिम, सिख आतंकवाद जैसे बयानों से बचे. देश को विकास की मुख्य धारा की ओर ले जाएं. जो बड़े-बड़े घोटाले सामने आ रहे हैं उनकी तुरंत जांच कराकर दोषियों को जेल में ठूंसें. सेना के प्रति सभी का विश्वास फिरसे जगाएं.
नहीं तो प्रजातंत्र ऐसा शासन है जो किसी परिवारवाद, वंशवाद के सहारे नहीं चलता. बड़े-बड़े हुक्मरानों को देश की आम जनता ने धूल चटाया है.
 साभार http://blog.samaylive.com/