रामनामी ओढ़कर राजनीति के मैदान में उतरी भारतीय जनता पार्टी अपनी साम्प्रदायिक छवि से आजिज आ चुकी है इसलिए वह अब अपनी छवि बदलने में लगी हुई है लेकिन उसे दमदार सेकुलर चेहरा नहीं मिल पा रहा है। भाजपा में लालकृष्ण आडवाणी, नितिन गडकरी, मुरली मनोहर जोशी, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, राजनाथ सिंह, नरेन्द्र मोदी आदि जितने कद्दावर नेता है इन सबकी साम्प्रदायिक छवि है। ऐसे में पार्टी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सेकूलर छवि बनाने के लिए प्राणपण से जुट गई है। शिवराज के बहाने मुस्लिम वोटो को पटाने की कोशिश शुरू हो रही है।
असम, तमिलनाडु, केरल, पंदुचेरी और पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनावों में भारी खर्चा और कड़ी मेहनत के बाद भी नतीजा उलटा निकलने से भाजपा को अहसास हो गया है कि अगर आगामी लोकसभा चुनाव तक उसने अपनी छवि नहीं बदली तो लोकसभा चुनाव तो दूर वह भाजपा शासित राज्यों में भी सत्ता से बंचित हो सकती है। वर्तमान समय में गुजरात (मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी),उत्तराखण्ड (मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक),मध्यप्रदेश (मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान), छत्तीसगढ़ (मुख्यमंत्री रमन सिंह),झारखण्ड (मुख्यमंत्री अर्जुन मुण्डा),कर्नाटक (मुख्यमंत्री येद्दियुरप्पा),हिमांचल प्रदेश (मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल)और बिहार (उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ) में भाजपा या उसकी समर्थित सरकारे है। पार्टी इन राज्यों में सत्ता बरकरार रखने के साथ-साथ अन्य कई राज्यों सहित केन्द्र में भी सत्ताशीन होने का ख्वाब बुन रही है, इसलिए नितिन गडकरी, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, राजनाथ सिंह, सभी इन दिनों इस थीसिम में काम कर रहे है कि वोट जोड़ो, अल्पसंख्यक जोड़ो,दलित जोड़ो, किसान जोड़ो, फारवर्ड जोड़ो, उदार बनों और अपने को स्वीकार्य बनाते हुए जोड़तोड़ से सरकार बनाओं। साध्य आसान नहीं है,इसलिए साधनों को आहिस्ता आहिस्ता प्रयोग में लाया जा रहा है।
जानकारों की माने तो यह सब दो साल बाद की राजनीतिक परिस्थितियों को ध्यान में रख किया जा रहा है। राष्ट्रीय फलक पर गौर करें तो भाजपा के पास ऐसे चेहरों की कमी दिखाई पड़ती है जो भीड़ खींचने का माद्दा रखते हो और जिनकी छवि भी अच्छी हो। ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर की नीति पर चलने वाले शिवराज इस पैमाने पर फिट बैठते हैं। उन्हें चुनौती गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और हाल ही में पार्टी की सदस्य बनी उमा भारती से मिल सकती है। लेकिन दोनों हिंदूवादी चेहरे हैं जिनसे गठबंधन के इस दौर में कई सहयोगियों को दिक्कत हो सकती है,इसलिए शिवराज जैसे मध्यमार्गी नेता पार्टी के लिए फायदेमंद रह सकते हैं। इसे ध्यान में रख कर ही उन्हें अल्पसंख्यकों के निकट ले जाया जा रहा है।
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इसकी शुरूआत भोपाल में 12 जून को भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा द्वारा शिवराज के सम्मान के साथ हुई। मौके की नजाकत देखते हुए शिवराज ने भी आव देखा न ताव और घोषणा कर दी की- मैं मुसलमानों की सुरक्षा करूंगा और उन्हें कोई दिक्कत नहीं होने दूंगा। जिस तरह से इंसान की दो आखें व दो बाजू होते हैं उसी तरह हिंदू और मुसलमान मेरे लिए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की इस घोषणा पर टिप्पणी करते हुए मध्य प्रदेश कांग्रेस सदभावना प्रकोष्ट के प्रदेश अध्यक्ष मुश्ताक मलिक कहते हैं कि पूरा प्रदेश जानता है कि शिवराज के कार्यकाल में आरएसएस, विश्व हिन्दु परिषद, बजरंग दल द्वारा विभिन्न अवसरों पर प्रदेश को झुलसाने की कोशिश की गई। मध्यप्रदेश में जब से भाजपा सरकार आई है तब से प्रदेश के करीब 250 स्थानों पर साम्प्रदायिक दंगे हुए हैं और अल्पसंख्यक समुदाय के बेकसूर लोगों पर भाजपा सहित और उनके सहयोगी संगठन आरएसएस और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने सुनियोजित एवं षडय़ंत्रपूर्वक अत्याचार कर काफी नुकसान पहुंचाया है। ऐसे में शिवराज की साम्प्रदायिक छवि को भाजपा सेकूलर बनाने की कोशिश कर दाग धोने की कोशिश कर रही है। उधर शिवराज की सेकूलर छवि के सम्मान पर बरसते हुए कांग्रेस के विधायक आरिफ अकील ने सम्मान को मुसलमानों के साथ छलावा बताते हुए कहा की शिवराज का सम्मान मुसलमानों का अपमान है।
अकील कहते हैं कि मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार अपने खर्चे पर मुख्यमंत्री का सम्मान करवाकर अल्पसंख्यकों के घावों पर मरहम लगाने की कोशिश कर रही है। जबकि प्रदेश का बच्चा-बच्चा तक जानता है कि प्रदेश की भाजपा सरकार के संरक्षण में 1 जनवरी 2004 से लेकर अब तक करीब 250 बार मुस्लिम समुदाय को परेशान करने के लिए साम्प्रदायिक माहौल बिगाडऩे की कोशिश की गई। वह सरकार से सवाल करते हुए पूछते हैं कि आज मुस्लिम समुदाय की हितैशी बनने की कोशिश कर रही सरकार ने आज तक मुसलमानों के लिए क्या किया। प्रधानमंत्री कार्यालय के पत्र क्रमांक 850/3/सी/3/05- पोल दिनांक 9 मार्च 2005 को अधिसूचना जारी कर भारत के मुस्लिम समुदाय की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए न्यायमूर्ति राजिन्दर सच्चर की अध्यक्षता में 7 सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस समिति की रिपोर्ट को मध्यप्रदेश में लागू नहीं करने के संबंध में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा से लेकर जनसभाओं तक में बोला है कि प्रदेश में सच्चर कमेटी की सिफारिशें लागू नहीं की जाएंगी। इससे दो समुदायों दरार पैदा होगी लेकिन इसके पीछे षडय़ंत्र यह है कि कहीं मुसलमानों का उत्थान न हो जाए, वे सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक दृष्टि से परिपक्व न हो जाए। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भाजपा सरकार मुस्लिम समुदाय की कितनी हितैषी है। वह सिर्फ मुसलमानों को वोट बैंक के रूप मे इस्तेमाल करना चाहती है।
वे कहते हैं कि अल्पसंख्यक कल्याण हेतु 8 सूत्रीय कार्यक्रम तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में अधिसूचना राजपत्र में दिनांक 7 अगस्त 2003 को जारी करने के उपरांत भी भाजपा सरकार ने उसे लागू नहीं किया है। प्रदेश की राजधानी भोपाल में हज हाउस निर्माण हेतु तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सरकार ने हज हाउस की भूमि की रजिस्ट्री कराकर बुनियाद रखी और भाजपा ने उसमें अड़ंगा लगाकर निर्माण कार्य रोक दिया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की थी कि आगामी 100 दिनों में हज हाउस का निर्माण करा दिया जायेगा लेकिन वह घोषणा का क्रियान्वयन आज दिनांक तक नहीं हो सका।
अकील कहते हैं कि अल्पसंख्यकों के बिना मध्यप्रदेश को स्वर्णिम मध्यप्रदेश बनाने का सपना प्रदेश की भाजपा सरकार देख रही है। इस हेतु मई 2010 में विधानसभा का विशेष सत्र आयोजित किया गया जिसमें 70 बिन्दुओं के संकल्प पारित किए गए। इन बिन्दुओं में एक भी बिन्दु अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए नहीं है का जवाब विधानसभा प्रश्न 103 (1596) दिनांक 23 जुलाई 2010 को दिया है। प्रदेश भाजपा सरकार/शासन के इस जवाब से आप स्वयं अंदाजा लगा सकते हैं कि प्रदेश भाजपा सरकार मुसलमानों की कितनी हितैषी है। अकील का कहना है कि भाजपा की भेद-भाव नीति के चलते मासूम बच्चों के दिलों में दरार पैदा करने के उद्देश्य से स्कूलों में प्रतिदिन वंदेमातरम का गान व सूर्य नमस्कार योग करने के निर्देश भाजपा सरकार ने जारी किये है। इस कारण मुस्लिम धर्म की भावना को तो ठेस पहुंची ही है और साथ में निर्देशों का छात्रों द्वारा पालन करने व कुछ शिक्षकों को पालन कराने में असुविधा हो रही है। ऐसे में भाजपा सरकार का नया फार्मूला है कि ऐसे छात्रों को स्कूलों से बाहर किया जाए और शिक्षकों को तत्काल निलंबित किया जाए। भय से मुस्लिम छात्र व शिक्षक शासन के निर्देशों के पालन में वंदेमातरम और सूर्य नमस्कार कर धर्मविरोधी कृत्य करने को मबजूर हैं। कांग्रेस की सोच के इतर एक बात जाहिर है भाजपा अपने में ही फंसी है। न लोगों में जज्बा पैदा करने वाले मुद्दे है और न जज्बा पैदा कर सकने वाले चेहरे है। जो है वे हाशिए में है। ऐसे में शिवराज की लाटरी लग जाए तो कोई बड़ी बात नहीं होगी।
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