सोनी की आँखों में आंसू नहीं है। उसको मिले जख्म सिर्फ उस
वक्त देखे जा सकते हाँ जब वो अचानक बात करते करते काँप उठती है। ये कहानी सिर्फ
सोनी की नहीं है ये कहानी सामाजिक न्याय के नाम पर पिछले तीन दशकों से ठगे जा रहे
उस बिहार की कहानी हैं जहाँ सामंतों की नयी पीढ़ी ने अत्याचार की सारी सीमायें तोड़
दी है। शहरों तक केन्द्रित रह गया नीतीश का तथाकथित स्वच्छ शासन आतंक के इस नए
अध्याय से अनजान है।
अगर आपको बिहार के इस नए चेहरे पर यकीन न आये तो आप जिला
बक्सर के चिल्हर गाँव में आयें, जहाँ सोनी (१४ वर्ष ) और उसका पूरा परिवार गाँव के ही एक
जमीदार के यहाँ बंधुआ मजदूरी करता था। सोनी की लोमहर्षक दास्तान किसी भी सभ्य कहे
जाने वाले समाज के लिए मुंह पर तमाचे की तरह है। आतताइयों ने पहले इस १४ वर्षीया
किशोरी के साथ सामूहिक बलात्कार किया फिर उसके बाल काटकर पूरे गाँव में नंगा
घुमाया। अत्याचार का ये सिलसिला यहीं ख़त्म नहीं हुआ। जब बलात्कारियों को ये लगा
कि पीड़िता के परिजन इस मामले में सर उठा सकते हैं तो उन्होंने उनके घर में घूस कर
उनकी जम कर पिटाई कर दी और उन्हें बंधक बना लिया। इसी बीच जब सोनी भय और आतंक के
साथ-साथ लोक लज्जा के डर से अपनी बहन के यहाँ दिल्ली जा रही थी तो उसे स्टेशन से
उठा लिया और उस पर जमीदार की बहू के पांच हजार रूपए चोरी करने का आरोप लगाकर उसे
लातों जूतों से भरी भीड़ में पीटा गया।
इस पूरे मामले में बिहार पुलिस का रवैया बेहद चौका देने वाला रहा। जब पीड़िता का चाचा इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने थाना डुमरांव पहुंचा तो वहां मौजूद दरोगा ने उसे ये कहकर भगा दिया कि तुम्हारे यहाँ की औरतें एक बीड़ी पर अपना देह बेंचती हैं। अगर आवाज उठाई तो तुम्हे भी जेल में सड़ा देंगे। हालंकि घटना के तीन दिन बाद एक अन्य दरोगा की संवेदनशीलता की वजह से प्राथमिकी दर्ज कर ली गयी। गौरतलब है कि पीड़िता खरवार जाति की है। अनुसूचित जनजातियों में गिनी जाने वाली खरवार जाति का शौर्य और पराक्रम का इतिहास रहा है, लेकिन आधुनिक भारत में पूर्वी उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार तक ये जाति सिर्फ बंधुआ मजदूर बन कर रह गयी है।
इस पूरे मामले में बिहार पुलिस का रवैया बेहद चौका देने वाला रहा। जब पीड़िता का चाचा इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने थाना डुमरांव पहुंचा तो वहां मौजूद दरोगा ने उसे ये कहकर भगा दिया कि तुम्हारे यहाँ की औरतें एक बीड़ी पर अपना देह बेंचती हैं। अगर आवाज उठाई तो तुम्हे भी जेल में सड़ा देंगे। हालंकि घटना के तीन दिन बाद एक अन्य दरोगा की संवेदनशीलता की वजह से प्राथमिकी दर्ज कर ली गयी। गौरतलब है कि पीड़िता खरवार जाति की है। अनुसूचित जनजातियों में गिनी जाने वाली खरवार जाति का शौर्य और पराक्रम का इतिहास रहा है, लेकिन आधुनिक भारत में पूर्वी उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार तक ये जाति सिर्फ बंधुआ मजदूर बन कर रह गयी है।
घटना के सम्बंध में जब डीजीपी बिहार से बात करने की कोशिश की गयी तो उनका मोबाइल स्विच ऑफ़ मिला। इस पूरी घटना के सम्बंध में स्थानीय अख़बारों ने कोई खबर नहीं छापी। बिहार के एक बड़े अखबार के सम्पादक ने कहा कि दूर दराज के क्षेत्रों में घटने वाली ऐसी घटनाओं की जानकारी हमें नहीं मिल पाती है।
रोंगटे खड़ा कर देने वाली इस पूरी घटना के सम्बंध में बताया
जाता है कि चिल्हर की रहने वाली सोनी और उसका पूरा परिवार एक स्थानीय जमीदार के
यहाँ काम करता था। सोनी खुद जमीदार की बहू गोल्डी देवी के यहाँ नौकरानी थी। २२
जुलाई को जब सोनी घर में काम कर रही थी तभी सोनी का पति दिनेश सिंह और उसके साथी
अक्षयवर सिंह, रामजी राय, राजबली राय, अजय राय और राम सिंह राय की नजर उस पर
पड़ी। वो उसे खींचकर घर के पीछे बने जानवरों के तबेले में ले गए। फिर एक के बाद एक
करके उसके साथ मुंह काला किया। घटना के बाद जब सोनी रोती कलपती अपनी मालकिन के पास
शिकायत लेकर गयी तो उसने अपने पति और उसके साथियों के साथ मिलकर उसके बाल कांट
डाले, फिर उन लोगों ने उसके ऊपर के कपड़े
उतारकर उसे पूरे गाँव में नंगा घुमाया। जिस वक्त ये सब हो रहा था, गाँव की जनता अपने अपने घर से बाहर
निकल आई लेकिन दिनेश और उसके साथियों के आतंक की वजह से किसी ने भी उनके खिलाफ
बोलने की जुर्रत नहीं की।
सोनी ने जब घर पहुंचकर अपने परिजनों को पूरी घटना की
जानकारी दी, तो वो
अवाक रह गए। उन लोगों ने उसे तत्काल सोनी को बहन के घर दिल्ली जाने को कह दिया।
इधर सोनी घर से निकली, उधर दिनेश और उसके साथी सोनी के घर पहुँच गए उन लोगों ने
पहले उसके माँ बाप को घर से बाहर निकाल कर पीटा, फिर घर में ही बंधक बना लिया। उसके बाद वो लोग स्टेशन से
सोनी पर चोरी का इल्जाम लगाकर उसे भी मारते पीटते हुए घर ले आये। इस पूरी घटना की
जानकारी जब सोनी के चाचा को हुई तो उन्होंने बंधक भाई और भतीजी को छुड़ाने और पूरी
घटना के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए डुमराव थाने में दस्तक दी। थाने में
मौजूद डीएसपी नीलम कुमार सिंह ने प्राथमिकी स्वीकार करने के बजाय पहले तो पीड़िता
के चाचा को खूब डांटा और फ़िर झूठा केस लादकर जेल में सड़ा देने की धमकी देकर थाने
से भगा दिया। लेकिन चाचा ने उसी थाने में दुबारा हाजिरी लगाई और फ़िर थाने में बड़ा
बाबू के पद पर तैनात अधिकारी उदय बहादुर ने आगे बढकर मामले की प्राथमिकी दर्ज की।
पुलिस के रवैये का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि
घटना 22 जुलाई की रात में घटी और प्राथमिकी
दर्ज होती है 25 तारीख को।
उदय बहादुर अपने आला अधिकारी के निर्देशों की परवाह न करते हुए पीड़िता के गांव
चेल्हारी पहुंचे और उन्होंने गांव के लोगों से घटना के बारे में जानकारी ली।
पीडिता ने अपनी प्राथमिकी में आरोप लगाया है कि इन लोगों ने शाम 7 बजे से लेकर रात 12 बजे तक उसके साथ सामूहिक बलात्कार
किया। इसके बाद अगले दिन अभियुक्तों ने उसके बाल काट डाले और उसे अर्द्धनग्न कर
पूरे गांव में घुमाया। इस घटना के बाद से चिल्हारी के आदिवासी ग्रामीण बहुत डरे
हुए हैं। एसपी बक्सर से जब इस सम्बन्ध में बात की गयी तो उनका कहना था कि
अभियुक्तों के खिलाफ वारंट जारी कर दिया गया है कि हालंकि प्राथमिकी अभी दर्ज नहीं
की गयी है। उनसे जब एफईआर में हीलाहवाली करने वालों के खिलाफ कार्यवाही के बाबत
पूछा गया तो उन्होंने फोन काट दिया।
यह सुशासन बाबू का बिहार है, जिसमें अमन चैन की बंशी का शोर सुनाकर
नीतीश कुमार सत्ता का सुख भोग रहे हैं.
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