Thursday, October 27, 2011

जब तक चोरों का डर दुनिया पर ग़ालिब है



शेरों को आजादी हैआजादी के पाबंद रहे, जिसको चाहें चीरे-फाड़ेंखाए पियें आनंद रहे।

सापों को आजादी है हर बसते घर में बसने की, उनके सर में जहर भी है और आदत भी है डसने की।
शाही को आजादी हैआजादी से परवाज करे, नन्ही-मुन्नी चिड़ियों पर जब चाहे मश्के-नाज करें।
पानी में आजादी है घडियालों और निहंगो को, जैसे चाहे पालें-पोसें अपनी तुंद उमंगो को।
इंसा ने भी शोखी सीखी वहशत के इन रंगों से, शेरोंसापोंशाहीनोघडियालों और निहंगो से।
इंसा भी कुछ शेर हैबाकी भेड़ की आबादी है, भेडें सब पाबंद हैं लेकिन शेरों को आजादी है।
शेर के आगे भेडें क्या हैंइक मनभाता खाजा है, बाकी सारी दुनिया परजाशेर अकेला राजा है।
भेडें लातादाद हैं लेकिन सबकों जान के लाले हैं, उनको यह तालीम मिली हैभेडिए ताकत वाले हैं।
मांस भी खाएंखाल भी नोचेंहरदम लागू जानो के, भेडें काटें दौरे-गुलामी बल पर गल्लाबानो के।
भेडियों ही से गोया कायम अमन है इस आजादी का, भेडें जब तक शेर  बन लेनाम नली आजादी का।
इंसानों में सांप बहुत हैंकातिल भीजहरीले भी, उनसे बचना मुश्किल हैआजाद भी हैंफुर्तीले भी।
सरमाए का जिक्र करोमजदूर की उनको फ़िक्र नही, मुख्तारी पर मरते हैंमजबूर की उनको फ़िक्र नही।
आज यह किसका मुंह ले आएमुंह सरमायेदारों के, इनके मुंह में दांत नहीफल हैं खुनी तलवारों के।
खाजाने का कौन सा गुर है को इन सबको याद नही, जब तक इनको आजादी हैकोई भी आजाद नही।
उसकी आजादी की बातें सारी झूठी बातें हैं, मजदूरों कोमजबूरों को खा जाने की घातें हैं।
जब तक चोरोंराहजनो का डर दुनिया पर ग़ालिब है, पहले मुझसे बात करेजो आजादी का तालिब है। 
-हफीज जालंधरी

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