Tuesday, August 14, 2012

ऐ दोस्त गले मिल !


[ 14 अगस्त वह दिन है जिस दिन सन 1947 में भारत का विभाजन कर पाकिस्तान  नाम के देश  का निर्माण किया गया. इस एक फैसले ने इतनी कड़वाहटों को जन्म दिया है जो मिटाये से नहीं मिट रही हैं बल्कि दिन पर दिन तेज हो रही है और उसकी तपिश में दोनों देशों के बेक़सूर लोग जल रहें हैं. भारत के लोगों ने पाकिस्तान के वजूद को मजबूरी में स्वीकार किया है उसे ह्रदय से मान्यता नहीं दी है पाकिस्तान में भी अधिकाँश लोगों ने इस विभाजन को पूर्ण नहीं माना है .लेकिन हकीकत यही है कि इस धरती पर हमारे पडौस में पाकिस्तान नाम का देश है .
     आज उसका स्थापना दिवस है. इस अवसर पर अपने पडौसियों की खुशहाली की कामना  करते हुए  हम उस देश में मानवाधिकारों की रक्षा के लिए संघर्षरत लोगों के  साहस को नमन करते हैं जो तमाम दुश्वारियों के बावजूद अपनी शहादत देकर इन्शाननियत  की आवाज बुलंद कर रहें हैं. हमें पूरा विश्वास है कि उनकी शहादत रंग लायेगी. पाकिस्तान के बहुत से कवि और कलाकार भारत पाक एकता  के लिए काम कर रहें है उनके प्रयास भी एक दिन जरूर रंग लायेगें और भारतीय उप महाद्वीप की एकता का सपना जो कुछ लोगों की भाषा में अखंड भारत का सपना है एक दिन अवश्य साकार होगा. इस भावना को मजबूत करने के लिए श्री जय  कृष्ण राय तुषार द्वारा लिखित गजल जो उनके ब्लॉग 'छान्दुनासिक अनुगायन' से ली गयी है  और एक  एक पाकिस्तानी शायर मसूद मुनव्वर का गीत प्रस्तुत कर रहा हूँ. ]      

भारत-पाक मैत्री के लिए

हिन्दी में कहें या कहें उर्दू में ग़ज़ल हो
ऐ दोस्त गले मिल तो हरेक बात का हल हो

आंखों में मेरे देख तू लाहौर, कराची
जब ख़्वाब तू देखे तो वहां ताजमहल हो

तू फूल की खुश्बू का दीवाना है तो मैं भी
अब कौन चाहता है कि कांटों की फसल हो

हम भेज रहे हैं खत में गुलाबों की पंखुरियां
अब तेरा भी खत आये तो खुश्बू हो कंवल हो

तू ईद मना हम भी मना लेंगे दीवाली
जज़्बात का मसला है ये जज़्बात से हल हो

हम इससे आचमन करें या तू वजू करे
झेलम का साफ पानी हो या गंगा का जल हो

इस चांद को देखें चलो रंजिश को भुला दें
जो बात मोहब्बत की है उसपे तो अमल हो

ऐ दोस्त अगर सुबह का भूला है तो घर आ
कुछ आंख मेरी भीगें कुछ तेरी सजल हो

इक रोज तेरे घर पे तबीयत से मिलेंगे
ये धुंध हटे राह से कुछ राह सरल हो

[यह गजल अक्षर पर्व 'उत्सव अंक' २००८ में प्रकाशित हो चुकी है।]


'यह हिन्द और पाक है देश मेरा'

जो सीमा के इस पार बसे
जो सीमा के उस पार बसे
उन सबके लिये संदेंश मेरा
यह हिन्द और पाक है देश मेरा।

संग्राम समय की यादों से
टूटा हुआ हृदय जोडता हूँ
मैं पुत्र चनाब सरिता का
सूर सागर की लय मोडता हूँ |

मेरा दिल दिल्ली की राहों में
मेरा जॉं लाहौर की बाहों में।
मैं रंग लिखूँ रचनाओं में
मेरा दिया जले दरियाओं में।

स्वराज की रात का वह सपना
गंगा और सिन्ध की यारी है
लो युद्ध का पर्वत राख हुआ
अब प्यार ही प्यार की बारी है|
मसूद मनव्वर


اے دوست گلے مل

[14 اگست وہ دن ہے جس دن سن 1947 میں بھارت کا تقسیم کر پاکستان نام کے ملک کی تعمیر کیا گیا. اس ایک فیصلے نے اتنی كڑواهٹو کو جنم دیا ہے جو مٹايے سے نہیں مٹ رہی ہیں بلکہ دن پر دن تیز ہو رہی ہے اور اس کی تپش میں دونوں ممالک کے بے قصور لوگ جل رہے ہیں. بھارت کے لوگوں نے پاکستان کے وجود کو مجبوری میں قبول کیا ہے اسے دل سے منظوری نہیں دی ہے پاکستان میں بھی ادھكاش لوگوں نے اس تقسیم کو مکمل نہیں مانا ہے. لیکن حقیقت یہی ہے کہ اس زمین پر ہمارے پڈوس میں پاکستان نام کا ملک ہے .
آج اس کا یوم تاسیس ہے. اس موقع پر اپنے پڈوسيو کی خوشحالی کی دعا کرتے ہوئے ہم اس ملک میں انسانی حقوق کی حفاظت کے لئے سگھرشرت لوگوں کے جرات کو نمن کرتے ہیں جو تمام دشواريو کے باوجود اپنی شہادت دے کر انشاننيت کی آواز بلند کر رہے ہیں. ہمیں پورا یقین ہے کہ ان کی شہادت رنگ لايےگي. پاکستان کے بہت سے شاعر اور فنکار پاک بھارت اتحاد کے لئے کام کر رہیں ہے اس کی کوشش بھی ایک دن ضرور رنگ لايےگے اور بھارتی نائب براعظم کے اتحاد کا خواب جو کچھ لوگوں کی زبان میں اكھڈ بھارت کا خواب ہے ایک دن ضرور شرمندہ تعبیر ہوگا. اس جذبے کو مضبوط کرنے کے لئے مسٹر جے کرشن رائے تشار کی طرف سے تحریری گجل جو ان کے بلاگ 'چھاندناسك انگاين' سے لی گئی ہے اور ایک ایک پاکستانی شاعر مسعود منور کا گیت پیش کر رہا ہوں. ]

ہندی میں کہیں یا کہیں اردو میں غزل ہو
اے دوست گلے مل تو ہر بات کا حل ہو

آنکھوں میں میرے دیکھ تو لاہور، کراچی
جب خواب تو دیکھے تو وہاں تاج محل ہو

تو پھول کی كھشبو کا دیوانہ ہے تو میں بھی
اب کون چاہتا ہے کہ كاٹو کی فصل ہو

ہم بھیج رہے ہیں خط میں گلابو کی پكھريا
اب تیرا بھی خط آئے تو كھشبو ہو كول ہو

تو عید منا ہم بھی منع لیں گے دیوالی
جذبات کا مسئلہ ہے یہ جذبات سے حل ہو

ہم اس سے اچمن لوڈ، اتارنا یا تو وجو کرے
جہلم کا صاف پانی ہو یا گنگا کا پانی ہو

اس چاند کو دیکھیں چلو رنجش کو بھلا دیں
جو بات محبت کی ہے اسپے تو عمل ہو

اے دوست اگر صبح کا بھولا ہے تو گھر آ
کچھ آنکھ میری بھيگے کچھ تیری آب ہو

اک روز تیرے گھر پہ طبیعت سے ملیں گے
یہ دھدھ ہٹے راہ سے کچھ راہ آسان ہو

[یہ گجل حروف تہوار 'جشن پوائنٹس' 2008 میں شائع ہو چکی ہے.]
'یہ ہند اور پاک ہے ملک میرا'

جو سرحد کے اس پار بسے
جو سرحد کے اس پار بسے
ان سب کے لئے سدےش میرا
یہ ہند اور پاک ہے ملک میرا.

جنگ وقت کی یادوں سے
ٹوٹا ہوا دل جوڈتا ہوں
میں بیٹے چناب سرتا کا
سورہ سمندر کی لے موڈتا ہوں |

میرا دل دلی کی راہوں میں
میرا ج لاہور کی باہوں میں.
میں رنگ لکھوں تخلیقات میں
میرا دیا جلے درياو میں.

سوراج کی رات کا وہ خواب
گنگا اور سندھ کی ياري ہے
لو جنگ کا پہاڑ راکھ ہوا
اب پیار ہی پیار کی باری ہے |
- مسعود منوور

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