उसके परिवार की उन दो महिलाओं की चीखें अगर तुम्हे विचलित नही कर रही,
तो आत्मा मर चुकी है तुम्हारी।
कुछ ऐसा ही अखलाक के साथ हुआ होगा।
कुछ ऐसी ही बेरहमी पहलू खान के साथ देखी थी हमने।
पुलिस कितनी न्यायसंगत है, इसका प्रमाण इस बात से मिलता है
कि पहलू खान और जम्मू, दोनो मामलों मे पीढ़ित के खिलाफ
भी केस दर्ज कर दिया गया। बेशर्मी देखिए जम्मू पुलिस की।
कहते हैं कि गडरियों को वन विभाग के साथ साथ
डिप्टी कमिश्नर की भी इजाज़त की ज़रूरत होती है,
बल्कि खुद अतिरिक्त डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि
अगर मवेशियो को किसी वाहन मे ले जाया जा रहा हो,
तब ही डिप्टी कमिश्नर की अनुमति की ज़रूरत पड़ती है।
सवाल ये नहीं।
तस्वीर आपके सामने है।
बेबस कौन था।
बेरहमी किसके साथ हो रही थी।
यही किया गया था पहलू खान के रिश्तेदारों के साथ।
हमलावरों के साथ साथ उनपर भी केस दर्ज कर दिया गया।
न्याय की खातिर ?
संतुलन की खातिर ?
वो तो बिगड़ चुका है।
भारत का संतुलन बिगड़ चुका है।
क्योंकि ये चीखें प्रधानमंत्री मोदी को सुनाई नही पड़ती।
हां कभी कभी, दंडवत मीडिया से अक्सर ये खबरें आ जाती हैं कि
मोदीजी इन घटनाओं से बेहद विचलित हैं
और उसमे भी प्रधानसेवकजी इस बात का खास ख़याल रखते हैं कि
आसपास कोई चुनाव तो नही है?
मैने कुछ दिनो पहले कहा था कि
जो श्मशान और कब्रिस्तान की बातें करते हैं
उनकी विरासत सिर्फ राख हो सकती है।
ग़लत कहा था मैने ?
बोलो?
दादरी, अलवर और जम्मू से होते हुए
ये तो अब दिल्ली के कालकाजी आ गए?
याद है ना?
वहां भी सही दस्तावेज़ होने के बावजूद
आशू, रिज़वान और कामिल पर केस दर्ज कर दिया गया।
जानवरों पर अत्याचार का केस।
शुक्र है पुलिस ने यही केस हमलावरों पर नही किया।
क्योंकि गौभक्ति करने वाले इन गुण्डों के लिए
कामिल, आशू और रिज़वान जानवर ही तो हैं?
क्योंकि यहां तो गाय का मामला भी नहीं था?
यहां तो भैंसें लाई जा रही थीं?
जिसके काटने पर कोई कानूनी रोक नही है।
एनडीटीवी की राधिका बोर्डिया वहां मौजूद थीं।
उनके द्वारा शूट किये गए विडियो मे वो तीन अधमरे ज़मीन पर पड़े हुए हैं
और पुलिस उनके खिलाफ केस दर्ज करती सुनाई पड़ती है।
वाह! क्या प्राथमिकता है।
कोई औरत ये भी कहती है, अरे मत मारो इन्हे।
एक और आवाज़ आती है, ये तो समाज का गुस्सा है।
मीडिया जो योगी योगी कर रहा है
क्या सहारनपुर और आगरा की तस्वीरें
कानून व्यवस्था के चरमरा जाने का प्रमाण नही है ?
कोई बताएगा, भारत के इस वीभत्स चेहरे का कौन ज़िम्मेदार है?
और ये सब करके क्या हासिल कर लोगे तुम?
दरअसल मेरे लिए ये तमाम मामले निजी हैं।
और आप सबके लिए होने चाहिए।
क्योंकि मुझे डर है कि जब मेरे बच्चे बड़े होंगे,
तो वो कैसे समाज और देश की बागडोर संभाल रहे होंगे।
किस सोच मे पल रहे हैं हमारे बच्चे।
क्या संस्कारी मां बाप उन्हे दूसरे धर्म के लोगों के लिए
नफरत और हिकारत के माहौल मे बड़ा कर रहे हैं ?
-अभिसार शर्मा
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