Dr. Hedgevar |
आर.एस.एस के संस्थापक, डॉक्टर के.बी हेडगेवार और उनके उत्तराधिकारी, गोलवलकर ने अंग्रेज शासकों के विरुद्ध किसी भी आन्दोलन अथवा कार्यक्रम में कोई भागीदारी नहीं की। इन आन्दोलनों को वे कितना नापसंद करते थे इसका अंदाजा श्री गुरूजी के इन शब्दों से लगाया जा सकता है :
नित्यकर्म में सदैव संलग्न रहने के विचार की आवश्यकता का और भी एक कारण है। समय-समय पर इस देश में उत्पन्न परिस्तिथि के कारण मन में बहुत उथल-पुथल होती ही रहती है। सन 1942 में ऐसी उथल-पुथल हुई थी। उसके पहले सन 1930-31 में भी आन्दोलन हुआ था। उस समय कई लोग डॉक्टर जी के पास गए थे। इस 'शिष्टमंडल' ने डॉक्टर जी से अनुरोध किया कि इस आन्दोलन से स्वातंत्र्य मिल जाएगा और संघ को पीछे नहीं रहना चाहिए। उस समय एक सज्जन ने जब डॉक्टर जी से कहा कि वे जेल जाने के लिए तैयार हें, तो डॉक्टर जी ने कहा 'जरूर जाओ।' लेकिन पीछे आपके परिवार को कौन चलाएगा ? उस सज्जन ने बताया ' दो साल तक केवल परिवार चलाने के लिए ही नहीं तो आवश्यकता अनुसार जुर्माना भरने की भी पर्याप्त व्यवस्था उन्होंने कर रखी है'। तो डॉक्टर जी ने उनसे कहा - ' आपने पूरी व्यवस्था कर रखी है तो अब दो साल के लिए संघ का ही कार्य करने के लिए निकलो। घर जाने के बाद वह सज्जन न जेल गए न संघ का कार्य करने के लिए बहार निकले।'
गोलवलकर द्वारा प्रस्तुत इस ब्योरे से यह बात स्पष्ट रूप से सामने आ जाती है कि आर एस एस का मकसद आम लोगों की निराश व निरुत्साहित करना था। खासतौर से उन देशभक्त लोगों को जो अंग्रेजी शासन के खिलाफ कुछ करने की इच्छा लेकर घर से आते थे।
लोकसंघर्ष!
Agar Humare Desh Hindustan ko kisi se khatra hai to wo hai RSS ye Hindustan ke sabse bade dusman hai ,,
ReplyDeleteye suru se hi angregon ke saath mil kr apne desh ke saath gaddari ki hai ,, or aaj bhi krtey hai