Tuesday, December 28, 2010

सोशल नेटवर्किंग और दिमाग

एक नए शोध के अनुसार जिन लोगों का सामाजिक जीवन व्यस्त होता है उनके दिमाग के एक हिस्से में अधिक जगह होती है.
दिमाग
सामाजिक व्यवहार के अनुसार दिमाग में स्वतः विकास होता रहता है
नेचर न्यूरोसाइंस में छपे एक शोध के अनुसार कई लोगों के दिमाग के स्कैन से पता चला कि दिमाग का एक हिस्सा एमिगडाला सामाजिक व्यस्तताओं के साथ सामंजस्य के लिए थोड़ा बढ़ जाता है.
यह शोध 58 लोगों पर किया गया जिसमें उनकी उम्र और दिमाग की साइज़ के आँकड़े लिए गए. अमरीकी टीम ने पाया कि जिन लोगों की सोशल नेटवर्किंग अधिक है उनके दिमाग का एमिगडाला वाला हिस्सा बाकी लोगों की तुलना में अधिक बड़ा है.
दिमाग का एमिगडाला वाला हिस्सा भावनाओं और मानसिक स्थिति से जुड़ा हुआ माना जाता है.
यह शोध मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल बॉस्टन की टीमों ने डॉ लीसा फेल्डमैन बारेट के नेतृत्व में किया है.
वैज्ञानिकों ने शोध के दौरान लोगों से कहा कि वो अपने संपर्कों और सामाजिक गतिविधियों के बारे में पूरी जानकारी दें जिसके बाद उन्होंने वैज्ञानिक तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए उन लोगों के दिमाग का एक खाका तैयार किया.
नेचर न्यूरोसाइंस पत्रिका में छपे शोध में यह टीम लिखती है, ‘‘हमने पाया कि वयस्कों में एमिगडाला का आकार और संरचना का संबंध सोशल नेटवर्किंग से रहता ज़रुर है.’’
शोधकर्ताओं का कहना है कि एमिगडाला सामाजिक व्यवहार में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है.
इस शोध के अनुसार मानव का दिमाग बदलते सामाजिक जीवन के साथ अपने आपमें सुधार भी करता रहता है.

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