Monday, December 13, 2010

क्‍या सचमुच हालात इमर्जेंसी जैसे हो गये हैं?

Kashmiri women, relatives of missing persons, take part in a protest in Srinagar.
“कश्मीर एक बार फिर जल रहा है। युवाओं का गर्म खून पानी की तरह बहाया जा रहा है। पुलिस और सेना छोटे बच्चों को भी पीट-पीट कर मार रहे हैं। प्रशासक ऐसे देख रहे हैं मानो वे मूक, बधिर और अंधे हो गये हों।”

ये वाक्य स्नातक प्रथम वर्ष के छात्रों के लिए तैयार किये गये प्रश्नपत्र के हिस्से हैं। इन वाक्यों को ऊर्दू से अंग्रेजी में अनुवाद करना था। इस प्रश्न पत्र को तैयार किया था प्रोफेसर नूर मोहम्मद बट ने। प्रो बट श्रीनगर के गांधी मेमोरियल कॉलेज में अंग्रेजी पढ़ाते हैं। अब बीबीसी ने खबर दी है कि प्रोफेसर नूर मोहम्मद बट को भारत-विरोधी प्रश्न पत्र तैयार करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है। श्रीनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के अनुसार,प्रोफेसर नूर की गिरफ्तारी गैरकानूनी गतिविधि निरोधक एक्ट के तहत की गयी है। इसके अलावा पुलिस ने एक विशेष समिति बनायी है, जो इस बात की जांच करेगी कि विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने इस तरह का विवादित प्रश्न पत्र कैसे छाप दिया। यूनिवर्सिटी भी अपने स्तर पर जांच कर रही है।

मालूम हो कि यह प्रश्न पत्र उस वक्त तैयार किया गया था, जब पिछले दिनों कश्मीर काफी अशांत था और वहां झड़प एवं गोलीबारी की घटनाओं में 100 से ज्यादा लोग मारे गये थे।

मैंने भी चार साल दिल्ली विवि में पढ़ाया है। अर्धवार्षिक परीक्षाओं के सवाल तैयार किये थे। मुंबई हमले की रिपोर्टिंग पर बनाये थे सवाल, देशबंधु कॉलेज में। विवि के शिक्षक क्या पढ़ाएं, कैसे पढाएं, क्या सवाल पूछें – ये अब पुलिस, सेना, प्रशासन और सरकार तय करेगी क्या? मुझे तो इमरजेंसी जैसे हालात लग रहे हैं। आपको क्या लगता है?



(शशिकांत। स्वतंत्र पत्रकारिता। दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज, दयाल सिंह कॉलेज और देशबंधु कॉलेज में चार साल अध्यापन के बाद विवि से निकल कर राष्ट्रीय सहारा में उपसंपादक रहे। विभिन्न संवेदनशील सामाजिक मुद्दों पर करीब तीन सौ लेख प्रकाशित। कई किताबों की समीक्षाएं और रंग समीक्षाएं भी। इनसे shashikanthindi@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।)

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