बात सन 1964 की है दक्षिण पूर्व एशिया के एक छोटे से देश 'लाओस' ने एक ऐसा निर्णय लिया जिसकी भीषण कीमत उसे आज भी चुकानी पड़ रही है।
शीत युद्ध के दौर के सबसे भीषण सैन्य संघर्षों में से एक वियतनाम युद्ध (1नवंबर 1955-30 अप्रैल 1975) में एक तरफ जहां सोवियत संघ और अन्य साम्यवादी देशों से समर्थन प्राप्त उत्तरी वियतनाम की सेना थी तो दूसरे खेमे पर अमेरिका और मित्र देशों के साथ कंधे से कंधा मिला कर लड़ रही दक्षिण वियतनाम की सेना।
वियतनाम युद्ध के चरम पर होने और अमेरिका और मित्र देशों की सेना की भीषण मारक क्षमता को भली भांति जानते हुए भी 'लाओस' ने अपनी धरती उत्तरी वियतनाम की सेना के लिये मुहैया करा दी। इस एक निर्णय ने लाओस के भविष्य को बारूद के ढेर के नीचे हमेशा हमेशा के लिये दबा दिया।
अभी तक सिर्फ वियतनाम से ही लोहा ले रहीं अमेरिका की फ़ौज को एक पिद्दी से देश लाओस के इस निर्णय पर गुस्सा आ गया था। दरअसल लाओस में बैठी उत्तरी वियतनाम की सेना इस देश को अपने सप्लाई रूट और दक्षिण वियतनाम पर भीषण हमला करने के लिये इस्तेमाल करने लगी और यह महाशक्ति अमेरिका को मंज़ूर नहीं हुआ ...आगे जो हुआ उसका अंदाज़ा भी वियतनाम युद्ध के दिनों में दुनिया ने नहीं लगाया था....
और बन गई सबसे भीषण हवाई हमले की योजना
उत्तरी वियतनाम की सेना और पिद्दी से देश लाओस को सबक सिखाने के लिए अमेरिका सेना ने यहां अब तक की सबसे भीषण हवाई हमले की योजना बनाई। बस फिर क्या था मौके की ताक में बैठी अमेरिका की वायुसेना ने दक्षिण पूर्व एशिया के इस छोटे से देश लाओस पर इतने बम गिराए जितने आज तक अफगानिस्तान और इराक पर भी नहीं गिराए गए हैं।
हर आठ मिनट में टनों बम गिराते थे अमेरिकी विमान
लाओस में वर्ष 1964 से लेकर 1973 तक पूरे नौ साल अमेरिकी वायुसेना ने हर आठ मिनट में बम गिराए। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार नौ सालों में अमेरिका ने लगभग 260 मिलयन क्लस्टर बम वियतनाम पर दागे हैं जो कि इराक के ऊपर दागे गए कुल बमों से 210 मिलियन अधिक हैं।
आज भी निकलते हैं क्लस्टर बम
लाओस में अमेरिका ने इतने क्लस्टर बम दागे थे कि दुनिया भर में इन बमों से शिकार हुए कुल लोगों में से आधे लोग लाओस के ही हैं।
प्रति दिन होते थे 2 मिलियन डॉलर खर्च
अमेरिका द्वारा लाओस पर की गई बमबारी को लेकर हुए खुलासों के अनुसार अमेरिका ने नौ सालों तक प्रतिदिन 2 मिलियन डॉलर सिर्फ और सिर्फ लाओस पर बमबारी करने में ही खर्च किए थे।
No comments:
Post a Comment