Thursday, January 13, 2011

जो इश्वर मुझे यहाँ रोटी नहीं दे सकता, वो मुझे स्वर्ग में अनंत सुख कैसे दे सकेगा

स्वामी विवेकानंद जी का सन्देश

भारत को ऊपर उठाया जाना हैं ! गरीबों की भूख मिटाई जानी हैं ! शिक्षा का प्रसार किया जाना है ! पंडे पुरोहितो और धर्म के ठेकेदारों को हटाया जाना है ! हमने पंडे पुरोहित और धर्म के ठेकेदार नहीं चाहिए ! हमें सामाजिक आतंक नहीं चाहिए !


हमें तो हरेक के लिए रोटी , हरेक के लिए काम की अधिक सुविधाएँ चाहिए !

जनता के आध्यात्मिक उत्थान की एक ही शर्त है, आर्थिक और राजनीतिक पुनर्निर्माण !

भूखे हमसे रोटी मंगाते हैं और हम उन्हें लोक परलोक में उलझा देते हैं, कहा जाता है कि इस लोक में दुःख सहोगे तो परलोक में सुख भोगोगे, उन्हें कर्म और भाग्य के एक ऐसे सिद्धांत में उलझा दिया जाता है, जिससे बाहर आने का को मार्ग ही नहीं है !

परन्तु जो इश्वर मुझे यहाँ रोटी नहीं दे सकता, वो मुझे स्वर्ग में अनंत सुख कैसे दे सकेगा


भूख से पीड़ित जनों के गले में धर्म उडेलना, उनका अपमान करना है !  भूख और मूलभूत सुविधाओं से रहित व्यक्ति को धार्मिक सिद्दांतों के घुट्टी पिलाना, उसके आत्म सम्मान पर आघात करना है !!

किसी के कह देने मात्र से अन्धों के तरह करोड़ों देवी - देवताओ पर अंध विश्वास न करो !

साहसी और आत्मविश्वासी बनों ! मजबूत बनो !! कायर और लिबलिबे न बने रहो !! 

भारत को कायरों और स्वार्थियों के जरूरत नहीं है, बहुत है यहाँ पर !

आज हमारे देश को जिस चीज की आवश्यकता है, वह है दृढ इच्छा शक्ति, इस्पात जैसी मांस-पेशियाँ और मजबूत स्नायु  - जिन्हें कोई ताकत रोक या झुका न सके, जो यदि जरूरी हो तो सागर की अतल गहराइयों में भी अपने लक्ष्य की पूर्ती के लिए मौत का मुकाबला करने को तैयार रहें ! 

ये न कहो की यहाँ संसार में कुछ करने के लिए नहीं है - कूद पडो कर्म के युद्ध में, सार्थक कर्मों की राष्ट्र की अभिलाषा को पूर्ण करों ! राष्ट्र और राष्ट्र का भविष्य तुम्हारी ओर देख रहा है ..... सत्य की  स्थापना के लिए सत्य के बल की ही आवश्यकता है ! 
बहुत रो धो चुके हैं हम, अब हमें कर्म के धर्म की आवश्यकता है, क्योंकि इसी से मानवता का कल्याण और राष्ट्र का उद्धार संभव है !!!!!


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