"एक बार एक साहब बोले कि उनका एक मुसलमान दोस्त राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्यकर्ता है !"
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक ऐसा संगठन है जिसके सामने हमेशा एक काल्पनिक दुश्मन रहता है, बिना दुश्मन की कल्पना किये संघ अपने कार्यकर्ताओं को शिक्षण और प्रशिक्षण नहीं दे सकता। शाखा में व्यायाम खेलकूद के साथ-साथ लाठी-डण्डा भी चलाना सिखाया जाता रहा है और अब आधुनिक युग में आधुनिक हथियारों की भी जानकारी दी जाती है। सिर्फ शाखा में ही नहीं बैठकों में भी मुसलमानों के खिलाफ ज़हर उगला जाता है। मुगल शासकों से लेकर आज के साधारण मुसलमानों तक के खिलाफ वहां बुद्धि का विकास किया जाता है। हिन्दू राष्ट्र कायम करने के लिए हर प्रयास किया जाता है और हर प्रयास करने की शिक्षा दी जाती है। मुसलमानों को पाकिस्तानी कहकर उन्हें देश से निकालने की बात की जाती है और कहा जाता है कि इस देश में रहने वाले मुसलमानों का हिन्दूकरण करना आवश्यक है। संघ की राजनीतिक औलाद भाजपा अपने अलावा हर पार्टी के खिलाफ मुसलमानों के तुष्टिकरण का इल्ज़ाम लगाती है, इसकी धार्मिक और सामाजिक औलादें हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए मुसलमानों के खिलाफ विषवमन करती रहती हैं। जहां पर मुस्लिम समाज के और मुसलमानों के खिलाफ सिर्फ और सिर्फ ज़हर उगला जाए वहां पर कोई मुसलमान रह सकता है यह सोचने का विषय है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक ऐसा संगठन है जिसके सामने हमेशा एक काल्पनिक दुश्मन रहता है, बिना दुश्मन की कल्पना किये संघ अपने कार्यकर्ताओं को शिक्षण और प्रशिक्षण नहीं दे सकता। शाखा में व्यायाम खेलकूद के साथ-साथ लाठी-डण्डा भी चलाना सिखाया जाता रहा है और अब आधुनिक युग में आधुनिक हथियारों की भी जानकारी दी जाती है। सिर्फ शाखा में ही नहीं बैठकों में भी मुसलमानों के खिलाफ ज़हर उगला जाता है। मुगल शासकों से लेकर आज के साधारण मुसलमानों तक के खिलाफ वहां बुद्धि का विकास किया जाता है। हिन्दू राष्ट्र कायम करने के लिए हर प्रयास किया जाता है और हर प्रयास करने की शिक्षा दी जाती है। मुसलमानों को पाकिस्तानी कहकर उन्हें देश से निकालने की बात की जाती है और कहा जाता है कि इस देश में रहने वाले मुसलमानों का हिन्दूकरण करना आवश्यक है। संघ की राजनीतिक औलाद भाजपा अपने अलावा हर पार्टी के खिलाफ मुसलमानों के तुष्टिकरण का इल्ज़ाम लगाती है, इसकी धार्मिक और सामाजिक औलादें हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए मुसलमानों के खिलाफ विषवमन करती रहती हैं। जहां पर मुस्लिम समाज के और मुसलमानों के खिलाफ सिर्फ और सिर्फ ज़हर उगला जाए वहां पर कोई मुसलमान रह सकता है यह सोचने का विषय है।
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