Friday, February 11, 2011

धर्म का मुखौटा पहनकर देश को तोड़ने वाली संघ

डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
इस समय भाजपा अपने अस्तित्व के लिये संघर्ष कर रही है। इसलिये अब हम भारतीयों को चाहिये कि धर्म का मुखौटा पहनकर देश को तोडने वाली भाजपा, संघ, विश्व हिन्दू परिषद आदि के नाटकीय बहकावे में नहीं आना है और मुसलमानों को इनके उकसावे में आकर अपना धैर्य नहीं खोना है। अन्यथा ये धर्मविरोधी संगठन इस देश के सौहार्द को बिगाडने में कोई कोर कसर नहीं छोडेंगे। विश्वास करें, इनके साथ केवल देश के 1 प्रतिशत लोग भी नहीं हैं। शेष लोगों को तो ये मूर्ख बनाकर साम्प्रदायिकता की आग में झोंकरकर अपना उल्लू सीधा करते रहते हैं! अत: हमें भाजपा को नहीं, बल्कि हर हाल में भारत को और भारतीयों को बचाना है।

जब-जब भी और जहाँ-जहाँ पर भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार सत्ता में रही हैं। उसके नेतृत्व ने देश और समाज को मूर्ख बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोडी है। केवल इतना ही नहीं, इनके गुर्गे (मन्त्री भी) जो संघ एवं विश्वहिन्दू परिषद से आदेश प्राप्त करते हैं, हिन्दुत्व के नाम पर हिन्दू समाज की पिछडी और छोटी जाति के लोगों को मुसमानों के सामने करके अपनी लडाई लडते रहते हैं, जबकि मोदी, तोगड़िया और आडवाणी जैसे तो वातानुकूलित कमरों में आराम फरमाते रहते हैं।

इस बात को तो देश-विदेश के सभी लोग जानते हैं कि गुजरात में हिन्दुओं के हाथों मुसलमानों का कत्लेआम करवाया गया, लेकिन इस बात को बहुत कम लोग जानते हैं कि जिन हिन्दुओं के हाथों मुसलमानों का कत्लेआम करवाया गया, वे कौन थे और उनकी वर्तमान दशा क्या है? गुजरात के दूर-दराज के क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी एवं पिछडी जाति के लोगों के घरों में स्वयं भगवा ब्रिगेड के लोगों द्वारा आग लगाई गयी थी। अनेकों हिन्दुओं को इस आग के हवाले कर दिया गया और बतलाया गया कि मुसलमानों ने हिन्दुओं को जला दिया है। जिससे आक्रोशित होकर इन भोले-भाले अशिक्षित हिन्दुओं ने अनेक निर्दोष मुसलमानों के घरों में आग लगा दी। अनेकों को मौत के घाट उतार दिया।

आज ये गरीब और बहकावे में आने वाले आदिवासी हिन्दू या तो जेल में बन्द हैं या जमानत मिलने के बाद कोर्ट में पेशियाँ दर पेशियाँ भुगतते फिर रहे हैं। इन्हें हिन्दुत्व के नाम पर मुसलमानों के विरुद्ध भडकाने वाले कहीं दूर-दूर तक नजर नहीं आते हैं।

हिन्दुत्व के नाम पर संघ शाखाओं में हाथियारों के संचालन का प्रशिक्षण प्रदान करके सरेआम आतंकवाद को बढावा दिया जा रहा है। तोगड़िया त्रिशूल और भाला बांट रहे हैं। संघ से जुडे अनेक लोग अनेक आतंकवादी घटनाओं में पकडे जा चुके हैं। जिन्हें बचाने के लिये संघ एवं भाजवा वाले इसे सोनिया सरकार की चाल बतला रहे हैं।

बस यात्रा के बहाने पाकिस्तान से दोस्ती का नाटक खेलने वाले पूर्व प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी की अदूरदर्शिता एवं देश विरोधी नीति के चलते हजारों सैनिकों को कारगिल में मरवा दिया। हजारों सैनिकों को हमारी ही धरती पर मारगिराने वाले पाकिस्तानियों को वापस पाकिस्तान में सुरक्षित चले जाने की लिये वाजपेयी सरकार ने वाकायदा सेना को चुप रहने एवं पाकिस्तानियों पर आक्रमण नहीं करने का आदेश दिया था। इसके बाद लम्बे समय तक आर-पास की लडाई की बात का नाटक करके हिमालय की ऊँची बर्फीली की चोटियो पर हमारे सैनिकों को तैनात करके अनेक सैनिकों को बेमौत गल-गल कर मर जाने को विवश कर दिया।

इसके बाद भी भाजपा, संघ और विहिप द्वारा बेशर्मी से प्रचारित किया गया कि वाजपेयी के नेतृत्व में भारत ने कारगिल में पाकिस्तान पर विजय प्राप्त की। इसी प्रकार से हजारों करोड डालरों से भरे बक्सों के साथ कन्धार में दुर्दान्त आतंकियों को छोडकर आने वाले वाजपेयी सरकार के विदेश मन्त्री जसवन्त सिंह को जिन्ना का गुणगान करने पर पहले तो बाहर का रास्ता दिखा दिया, लेकिन जैसे ही पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शैखावत का निधन हुआ तो राजपूत वोटों को लुभाने के लिये बिना शर्त वापस बुला लिया गया।

मध्य प्रदेश के मुख्यमन्त्री हर साल पांच सितम्बर को शिक्षकों के पैर पखारते (धोते) हैं और इस बात का नाटक करते हैं कि भाजपा के राज में गुरुओं का सर्वाधिक सम्मान होता है। जबकि सच्चाई को जानना है तो गत शिक्षक दिवस से ठीक पूर्व वेतन नहीं मिलने के चलते शिक्षक की मौत के लिये जिम्मेदार मध्य प्रदेश के मुख्यमन्त्री की असली तस्वीर को ब्लॉग लेखक श्री अजीत ठाकुर के निम्न समाचार से समझा जा सकता है।

"होशंगाबाद जिले की पिपरिया तहसील के ग्राम मटकुली में एक व्यक्ति की मौत हो गई। ये कोई साधारण मौत नहीं है, ये मौत करारा तमाचा है, हमारे शिक्षातंत्र पर और हमारी व्यवस्था की भयानकतम असंवेदनशीलता का नमूना, ये एक शिक्षक की मौत है। चार महीने से वेतन नहीं मिल पाने की वजह से बीमार सहायक अध्यापक हरिकिशन ठाकुर ने बेहतर इलाज के अभाव में दम तोड दिया। इनकी मौत के 6 दिन बाद ही इनका परिवार भूखे मरने की नौबत में है। ये उस देश में हुआ है, जहाँ गुरु को गोविन्द से बडा बताया गया है, जहाँ पर एक दिन अर्थात् 5 सितम्बर शिक्षक दिवस शिक्षको को समर्पित है। ये उस प्रदेश में हुआ जहाँ के माननीय मुख्यमंत्री जी (शिवराज सिंह चौहान) शिक्षक दिवस पर शिक्षको के पैर धोकर उनका सम्मान करते हैं। इस असंवेदनहीन व्यवस्था में हम कैसे किसी द्रोण या चाणक्य (के पैदा होने) की उम्मीद कर सकते हैं और जब द्रोण और चाणक्य नहीं होंगे तो अर्जुन और चन्द्रगुप्त की उम्मीद तो बेमानी है।"

केवल इतना ही नहीं देश के लोगों को इस बात को भी ठीक से समझ लेना चाहिये कि- कश्मीर की वर्तमान दु:खद स्थिति के लिये भी प्राथमिक तौर पर ये ही कथित हिन्दुत्ववादी आतंकी ताकतें ही हर प्रकार से जिम्मेदार हैं। तत्कालीन कश्मीर पर पाकिस्तानी हमले के लिये भी इन्हीं के विचार जिम्मेदार थे।

इन ताकतों को इस बात से बखूबी पहचाना जा सकता है कि पहले तो इन्होने भारत में कश्मीर के विलय का ही विरोध किया था और तत्कालीन कश्मीर सरकार पर नेहरू के कूटनीतिक दबाव कारण विलय सम्भव हो भी गया तो इनको विलय का तरीका ही नहीं सुहाया और कश्मीर में साम्प्रदायिकता की नफरत का बीज बोने के लिये इनके नेताओं ने तरह-तरह के नाटक किये गये। जिनके कारण कश्मीर से हजारों पण्डित बेघर हो गये और इस पर भी तुर्रा ये कि ये अपने आपको राष्ट्रवादी कहते हैं। अखण्ड भारत की बात करते हैं।

देश को तोडने के लिये कुटिल चालें चलने में माहिर ये अनीश्वरवादी हिन्दुत्व के ठेकेदार, ईश्वर के नाम पर 1947 से भारत के भोले-भाले हिन्दुओं को लगातार बहकाने और उकसाने के अपराध में संलिप्त हैं।

भाजपा की पूर्व मुख्यमन्त्री वसुन्धरा राजे ने राजस्थान में शराब, शबाब और जमीन बेचकर भ्रष्टाचार को बढावा देने में कोई कोर-कसर नहीं छोडी थी और राजस्थान को कई दशक पीछे धकेल दिया। हर राज्य में इनकी करनी और कथनी में धरती आसमान का अन्तर स्पष्ट नजर आता है। इनका एक मात्र कार्य है किसी भी प्रकार से समाज में अमन-शान्ति और भाईचारा बिगडा रहे, जिससे ये अपनी राजनीति की रोटियाँ सेकते रहें। यह है असली चेहरा-भाजपा और संघ के संस्कृति और राष्ट्रवादी चरित्र का।

आज आम लोगों को इस बात का ज्ञान ही नहीं है कि भाजपा एवं इसके समर्थक जिस हिन्दुत्व को मानते हैं, उसमें ईश्वर को ही नकारा गया है। इनके आदर्श हैं सावरकर जो ईश्वर की सत्ता में कतई भी विश्वास नहीं करते, तब ही तो इनके लिये निरीह गाँधी का वध गर्व की बात है।


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