Saturday, February 12, 2011

काहिरा छोड़ भागे मुबारक के स्विस खाते जब्‍त, चल सकता है मुकदमा

मिस्र में होस्नी मुबारक के इस्तीफे के बाद सत्ता संभालने वाली सेना ने संसद के दोनों सदनों को निलंबित और मंत्रिमंडल को बर्खास्त कर दिया है। रक्षा मंत्री मोहम्मद हुसैन तांतवी को सर्वोच्च सैन्य परिषद का प्रमुख बना दिया है। सेना ने लोगों से कहा, 'वे दिल खोलकर जश्न मनाएं और अपने-अपने घरों को चले जाएं, आपकी मुराद पूरी हो गई है।'

मिस्र के फील्ड मार्शल मोहम्मद हुसैन तांतवी सोलीमान ने लेफ्टिनेंट जनरल सामी हाफेज एनान के साथ मिलकर मिस्र की सत्ता संभाल ली है। सशस्त्र सेना की सुप्रीम काउंसिल के प्रमुख होने के नाते ७५ साल के तांतवी मिस्र के राष्ट्राध्यक्ष बन गए हैं। तांतवी मिस्र की सेना के कमांडर-इन-चीफ हैं। वहीं, सामी हाफेज एनान मिस्र की सशस्त्र सेना के प्रमुख हैं। मिस्र के ने शासक तांतवी को पिछले ही महीने उप प्रधानमंत्री बनाया गया था। उनपर मुबारक के लिए काम करने के आरोप लगते रहे हैं। मिस्र सेना के 468,000 जवानों का नेतृत्व करने वाले जनरल एनान भी मुबारक के 'आदमी' माने जाते हैं।

मिस्र की सैन्य सरकार के सामने अब देश में लोकतांत्रिक संस्थाओं के गठन की चुनौती है। मिस्र की सुप्रीम कोर्ट के जजों की मदद से देश का नया संविधान लिखा जाएगा। मिस्र की सेना ने एक बयान जारी कर कहा है कि उनका मिस्र की सत्ता में बहुत देर तक बने रहने का इरादा नहीं है। वे नई सरकार बनने तक ही सत्ता में रहेंगे।

शुक्रवार की रात 18 दिन के 'जनयुद्ध' के आगे हथियार डालते हुए अंतत: हुस्नी मुबारक ने राष्‍ट्रपति के पद से इस्‍तीफा दिया। इसके साथ ही उनके तीन दशक लंबे तानाशाही शासनकाल का अंत हो गया। लेकिन खुशी से झूम रहे मिस्र को अब भी एक लोकतांत्रिक व्यवस्था का इंतजार है, क्योंकि वहां अब भी सत्ता सेना के हाथ में है। जानकार मानते हैं कि जब तक मिस्र में चुनाव नहीं हो जाते हैं और उसके आधार पर लोकतांत्रिक सरकार का गठन नहीं हो जाता है, तब तक मिस्र के लोगों का संघर्ष खत्म नहीं होगा। मिस्र में कभी भी लोकतांत्रिक सरकार नहीं रही है। यहां पर लंबे समय से तानाशाही सरकारें रही हैं।

मिस्र में मुबारक राज के खिलाफ 18 दिन चले प्रदर्शन में 305 लोगों की जानें गईं। शुक्रवार को निर्णायक प्रदर्शन के बाद इस्‍तीफा देना ही पड़ा। लोगों का कहना है कि मुबारक का गद्दी छोड़ना लोकतंत्र बहाली की दिशा में पहला कदम है। उनका मानना है कि सही मायनों में मिस्र के लोगों की जीत तभी होगी जब मुबारक को उनके किए की सज़ा मिलेगी और देश में लोकतंत्र, आज़ादी, न्याय और समानता की स्थापना होगी।

अब क्या करेंगे मुबारक:

मुबारक काहिरा छोड़कर करीब ५०० किलोमीटर दूर बसे शहर शर्म अल शेख पहुंच गए हैं, जहां सेना की दो बटालियनें पहले से ही मौजूद हैं। शर्म अल शेख में मुबारक अपने बंगले में परिवार के साथ रहेंगे। गौरतलब है कि मिस्र में लोगों के प्रदर्शन के दौरान मुबारक ने कहा था कि वे मिस्र को छोड़कर कभी नहीं जाएंगे और मिस्र की ही जमीन पर आखिरी सांसें लेंगे। यह अंदाजा भी लगाया जा रहा है कि मुबारक इलाज कराने के लिए जर्मनी जा सकते हैं, जहां पिछले साल मार्च में वे सर्जरी के बाद तीन हफ्तों तक रहे थे। लेकिन मिस्र के उपराष्ट्रपति उमर सुलेमान ने ऐसी संभावना से इनकार किया है। वहीं, जर्मनी ने भी ऐसे किसी प्रस्ताव से इनकार किया है।

आशंका यह भी जताई जा रही है कि मानवाधिकार उल्‍लंघन के आरोपों में मुबारक पर मुकदमा भी चलाया जा सकता है। स्विस बैंक ने मुबारक की ३.६ अरब अमेरिकी डॉलर की धनराशि को जब्त कर लिया गया है। एक अनुमान के मुताबिक मुबारक और उनके परिवार के पास करीब ७० अरब अमेरिकी डॉलर की संपत्ति है, जो ब्रिटेन, अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में फैला हुआ है। अमेरिका के सबसे महंगे मैनहैटन इलाके में उनकी संपत्तियां भी बताई जाती हैं।

मुबारक ने 1981 में राष्ट्रपति पद संभाला था। 2005 में देश में चुनाव प्रणाली बदली और डमी लोकतांत्रिक प्रणली शुरू की। वह तीन बार निर्विरोध चुने गए। 30 साल के शासनकाल में उन्‍होंने अकूत संपत्ति बनाई।

No comments:

Post a Comment