Tuesday, March 01, 2011

श्री कृष्ण जी की बुलन्द और सच्ची शान को जानने के लिये कवियों की झूठी कल्पनाओं को त्यागना ज़रूरी है


कवियों ने श्री कृष्ण जी का चरित्र लिखने में भी झूठी कल्पनाओं का सहारा लिया। श्री कृष्ण जी द्वारा गोपियों आदि के साथ रासलीला खेलने का बयान लिख दिया। यह भी कवि की कल्पना मात्र है। सच नहीं बल्कि झूठ है। 

श्रीमद्भागवत महापुराण 10, 59 में लिख दिया कि उनके रूक्मणी और सत्यभामा आदि 8 पटरानियां थीं। एक अवसर पर उन्होंने भौमासुर को मारकर सोलह हज़ार एक सौ राजकन्याओं को मुक्त कराया और उन सभी को अपनी पत्नी बनाकर साधारण गृहस्थ मनुष्य की तरह उनके साथ प्रेमालाप किया और इनके अलावा भी उन्होंने बहुत सी कन्याओं से विवाह किये। इन सभी के 10-10 पुत्र पैदा हुए। इस तरह श्री कृष्ण जी के बच्चों की गिनती 1,80,000 से ज़्यादा बैठती है।

कॉमन सेंस से काम लेने वाला हरेक आदमी कवि के झूठ को बड़ी आसानी से पकड़ लेगा। मिसाल के तौर पर 10वें स्कन्ध के अध्याय 58 में कवि कहता है कि कोसलपुरी अर्थात श्री कृष्ण जी ने अयोध्या के राजा नग्नजित की कन्या सत्या का पाणिग्रहण किया। राजा ने अपनी कन्या को जो दहेज दिया उसकी लिस्ट पर एक नज़र डाल लीजिए।

राजा नग्नजित ने दस हज़ार गौएं और तीन हज़ार ऐसी नवयुवती दासियां जो सुन्दर वस्त्र तथा गले में स्वर्णहार पहने हुए थीं, दहेज में दीं। इनके साथ ही नौ हज़ार हाथी, नौ लाख रथ, नौ करोड़ घोड़े और नौ अरब सेवक भी दहेज में दिये।। 50-51 ।। कोसलनरेश राजा नग्नजित ने कन्या और दामाद को रथ पर चढ़ाकर एक बड़ी सेना के साथ विदा किया। उस समय उनका हृदय वात्सल्य-स्नेह उद्रेक से द्रवित हो रहा था।। 52 ।।

तथ्य- क्या वाक़ई अयोध्या इतनी बड़ी है कि उसमें नौ अरब सेवक, नौ करोड़ घोड़े और नौ लाख रथ समा सकते हैं ?
जिस महल में ये सब रहते होंगे, वह कितना बड़ा होगा?
इनके अलावा एक बड़ी सेना भी थी, उसकी संख्या भी अरबों में ही होगी। यह सब कवि की कल्पना में होना तो संभव है लेकिन हक़ीक़त में ऐसा होना संभव नहीं है। इतिहास में भी भारत के किसी एक राज्य की तो क्या पूरे भारत की जनसंख्या भी कभी इतनी नहीं रही। 

कृष्ण बड़े हैं कवि नहीं। सत्य बड़ा है कल्पना नहीं। आदर प्रेम ज़रूरी है। श्री कृष्ण जी के प्रति आदर व्यक्त करने के लिए हरेक आदमी की बात को मानने से पहले यह परख लेना वाजिब है कि इसमें कितना सच है ?

श्री कृष्ण जी का आदर मुसलमान भी करते हैं बल्कि सच तो यह है कि उनका आदर सिर्फ़ मुसलमान ही करते हैं क्योंकि वे उनके बारे में न तो कोई मिथ्या बात कहते हैं और न ही मिथ्या बात सुनते हैं। उनकी शान में बट्टा लगाने वाली हरेक बात को कहना-सुनना पाप और हराम मानते हैं।

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