सीमांचल नाम से जाना – जानेवाला बिहार का पूर्वी इलाका इन
दिनों सुर्ख़ियों में है | किशनगंज
अररिया,पूर्णिया और कटिहार जिलों में यह भू – भाग नेपाल और
बांग्लादेश की सीमाओं से सटता है और इस क्षेत्र में मुस्लिम आबादी की बहुलता है |
यौन शोषण और प्रताड़ना से तंग आकर पढ़ी – लिखी शिक्षिका रूपम पाठक के
द्वारा भाजपा विधायक की हत्या हो अथवा छह महीने के भीतर पुलिस और सशस्त्र सीमा के
बल बल के जवानों द्वारा बर्बर फारबिसगंज और बटराहा गोलीकांड या फिर एएमयू की किशनगंज शाखा खोलने का विरोध हो अथवा
बांग्लादेशी घुसपैठियों के नाम पर आम मुसलामानों को आतंकित करने का अभियान हो,
हाल के दिनों में सीमांचल को काफी उद्वलित किया है |
एक पखवारा पहले भाकपा – माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने
नेतृत्व में माले की एक उच्च स्तरीय टीम बटहारा पहुंची और गोलीकांड पीड़ित परिवारों
से मुलाकात की | उनके हालत इस बात के
पुख्ता प्रमाण दे रहे थे की मुस्लिम होने की वजह से हमें यह प्रताड़ना दी जा रही
हैं और सारे शासन – प्रशासन में हमारी सुधि लेने वाला कोई नहीं है | उन लोगों ने यह भी कहा की सशस्त्र सीमा बल के अधिकांश और स्थानीय अधिकारी
सरेआम धमकी दे रहे हैं कि अगर बात को आगे बढाओगे तो आईएसआई कहकर अथवा तस्करी में
फंसाकर सारे गांव वालों को तबाह कर देंगे | विदित हो कि 20
दिसम्बर की रात को सशस्त्र सीमा बल के दो जवानों ने अपने कैंप के बगल के घर में
घुसकर एक महिला के साथ बलात्कार किया | महिला के पति शहर से
काम करके लौटे नहीं थे | इस घटना की शिकायत दर्ज कराने जब
रात में ग्रामीण पहुचे तो तो अधिकारी ने सुबह में मामले को सुनने का आश्वासन दिया |
लोगों के पास एक जवान के घर में घुसने का एक साक्ष्य उसके वहां छूट
गए चप्पल के रूप में मौजूद था |
सुबह जब ग्रामीण पुन: पहुंचे तो जवानों ने ग्रामीणों को
खदेड़ दिया और आसपास के कैंप के जवानों को बुलाकर बटहारा गांव को घेर लिया | फिर बगल के गांव में घुसकर कैंप के बगल के
दरवाजे पर बैठी एक महिला समेत चार लोगों को गोलियों से भून दिया | महिला की ओर से बलात्कार का मुकदमा दर्ज हुआ | मृतक
परिवारों की ओर से मुकदमे हुए लेकिन पुलिस ने मामले को ठन्डे ढंग बसते में डाल
दिया | जवानों पर तो कार्यवाही नहीं हुई उल्टे सशस्त्र सीमा
बल के बड़े अधिकारी ने पूर्णिया से बयान जारी किया कि आईएसआई घुसपैठियों से बचाने
के लिए आत्मरक्षा में गोलियां चलाई गई | ध्यान देने योग्य
बात है कि नेपाल सीमा पर जगह – जगह सशस्त्र सीमा बल के कैंप लगाए गए हैं ओर इसमें
अधिकांश कैंप रिहाईशी इलाके में बिठाये गए हैं और आये दिन इस तरह की घटनाएं हो रही
हैं | लोगों को धमकाया जा रहा है कि अगर इस तरह की घटनाओं का
विरोध करोगे तो बटहारा की भांति सबक सिखाया जाएगा |
फिर भाकपा – माले की टीम फारबिसगंज के उस भजनपुर गांव
पहुंची जहां 3 जून को सात माह के बच्चे, 35 साल की महिला और 20 – 25 वर्ष के दो नौजवानों को पुलिस ने गोलियों से
उड़ा दिया | लोग बियाडा की जमीन को भाजपाई विधान पार्षद को
दिये जाने और उसके द्वारा 60 वर्षों से निर्मित रास्ते को दीवार से घेरने का विरोध
कर रहे थे | पुलिस शासन ने भजनपुर के मुस्लिम समुदाय को सबक
सिखाने के उद्देश्य से ही गोलीकांड को अंजाम दिया है क्योंकि इन्हीं लोगों की
अधिकांश जमीनों को बियाडा अधिग्रहण कर रहा है और बहुतों को अभी तक मुआवजा नहीं
मिला है | लोग सरेआम बोल रहे हैं कि इस इलाके में शासन –
प्रशासन का भगवाकरण कर दिया गया है और भाजपाई चहेते अफसरों को तमाम जिलों के शीर्ष
पदों पर बिठा दिया गया है | कई मुस्लिम बुद्धिजीवीयों ने
आशंका जताई की कि भाजपाई दबाव के सामने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सीमांचल में बौने
बन गए हैं और दो बर्बर घटनाओं का जायजा लेने कि हिम्मत भर भी बे नहीं जुटा पाए |
यहां तक कि उनके तथाकथित पसंदीदा प्रतिकी नेताओं को भी फारबिसगंज
आने की हिम्मत नहीं हुई जबकि दोनों ही घटनाएं पसमांदा अंसारी समुदाय के साथ हुई
हैं |
बात इतनी ही नहीं है | विद्यार्थी परिषद् और संघ परिवार के जरिए दशकों से चलाया जा रहा घुसपैठिया
भगाओ अभियान सत्ता और प्रशासन के संरक्षक में नया आयाम ग्रहण करता जा रहा है |
इन लोगों ने उन भाटिया मुसलमानों को निशाना बनाया है जिन्होंने
सीमांचल की खेती को उन्नति के शिखर पर पहुँचाया है | इसके
बारे में कहा जाता है कि वे तब तक खाना नहीं खाते जब तक कि मवेशियों को चारा सानी
नहीं देते हैं | उनके दरवाजे पर बंधे मवेशियों की हृष्ट –
पुष्टता देख तय हो जाता है कि ये निश्चय ही भाटिया मुसलमान होंगे | जगह – जगह इन लोगों को जमीन, जल और चारागाह से
विस्थापित कराने की साजिशें रची जा रही हैं | इनके बारे में
यह ऐतिहासिक तथ्य सामने आ चुका है कि ये लोग शेरशाह सूरी के जमाने से यहां बसे हैं
और इन्होने कोशी – महानंदा की तबाही को झेलते हुए खेती – पशुपालन को आगे बढ़ने का
काम शुरू किया है |
सर्वोपरि किशनगंज में अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय की शाखा
खोलने के खिलाफ सीमांचल से लेकर पटना तक विद्यार्थी परिषद् और संघ परिवार का बढ़ता
हिंसक विरोध और सरकार की चुप्पी व टालू रवैया यह दर्शाने के लिए काफी है कि नीतीश
सरकार ने संघ – भाजपा को सीमांचल में संघी प्रयोगशाला बनाने की छूट दे रखी है | यह बात राजनीतिक बंटवारे में पहले शामिल थी
क्योंकि इस क्षेत्र के चार में से तीन सांसद भाजपा के हैं और यहां की अधिकांश
विधानसभा सीटें भी इन्हीं के कब्जे में है | इस खतरनाक खेल
के खिलाफ वाम लोकतांत्रिक – सेकुलर ताकतों को सामने आना होगा क्योंकि राजद के
तथाकथित सेकुलर सिपहसालारों ने ही भाजपाईयों को इस इलाके में बढ़ने की उर्वर भूमि
मुहैया की है और महादलित – दलित – आदिवासियों को भगवाकरण के रास्ते पर जाने को
बाध्य किया है.
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