गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान वे दंगाइयों से हाथ जोड़कर रहम
मांग रहे थे। वे अब गुजरात पुलिस से आग्रह कर रहे हैं,
‘प्लीज! मेरी तस्वीर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध
लगा दें।’
अहमदाबाद पुलिस कमिश्नर को कुतुबुद्दीन अंसारी ने
9
जून को पत्र लिखा। यह अब प्रकाश में आया है। इसमें
उन्होंने लिखा है, ‘आज मैं अपने परिवार के साथ शांति से रह रहा हूं। यही नहीं,
मेरे बच्चे भी अच्छे माहौल में रह रहे हैं। मुझे
दुख होता है, जब मैं हाथ जोड़े हुए अपनी तस्वीर को अखबारों,
वेबसाइटों और स्वयंसेवी संगठनों की रिपोर्टो के
कवर पर देखता हूं। इसमें मेरी लाचारी नजर आती है। मैं आग्रह करता हूं कि प्लीज,
मेरी तस्वीर के भविष्य में किसी भी तरह के इस्तेमाल
पर प्रतिबंध लगा दिया जाए। साथ ही, सभी जगहों से इसे हटा दिया जाए।’
अंसारी ने बताया,
‘दंगो के बाद मैं महाराष्ट्र के
मालेगांव चला गया। उसके बाद सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस नाम एनजीओ की मदद से कोलकाता
आ गया। यहां एक साल रहा। इसी दौरान मालूम हुआ कि मेरी तस्वीर को लोग अपने फायदे के
लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।’ उनके मुताबिक, ‘दंगा पीड़ित होने के बावजूद अब तक उचित मुआवजा नहीं मिला। अहमदाबाद कलेक्टर को
आवेदन दिया। वह खारिज हो गया। बताया गया कि आवेदन 2002
में ही दाखिल करना था।’
याद है वह घटना अंसारी ने पत्र में बताया कि जब
दंगे शुरू हुए वह शहर के नरोदा इलाके में रहते थे। इलाके में दंगाइयों ने हमला कर दिया।
वे भी फंस गए। जब वे उनसे रहम की गुजारिश कर रहे थे,
किसी फोटोग्राफर ने तस्वीर खींच ली। बाद में पुलिस
ने उन्हें बचाया।
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