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मानवाधिकार हनन मामलों में पिछले कई दशकों से उपर
गिने जाने वाले राज्य जम्मू-कश्मीर में पिछले महीने भर से भी अधिक समय से मानवाधिकार
आयोग निष्क्रिय है। जम्मू-क’मीर राज्य मानवाधिकार
आयोग (एसएचआरसी) में न तो कोई अध्यक्ष है और न ही जांच अधिकारी। ऐसे में न्यायिक जांच
और प्रशासकीय दोनों ही स्तर की कार्यवाहियां ठप पड़ी हुई हैं।
राज्य में यह हालात पिछले 24 अक्टूबर से है। सेवानिवृत
जज सैयद बदुरूद्दीन जम्मू-क’मीर राज्य मानवाधिकार आयोग के 24 अक्टूबर अध्यक्ष थे। अध्यक्ष
बने रहने की तीन साल तक की समयावधी पूरी होने के बाद से यह पद खाली है। सूत्रों के मुताबिक उनकी जगह पर नये अध्यक्ष के
चयन की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है।
जम्मू-कश्मीर
जैसे संवदेनशील राज्य में इतने महत्वपूर्ण
पद का लंबे समय तक खाली रहना जाहिर करता है कि सरकार को मानवाधिकारों की कितनी कम चिंता
है।
वह भी तब जबकि मानवाधिकार आयोग ने इसी वर्ष अगस्त
में तीन जिलों में 2 हजार से अधिक ऐसे संदिग्ध कब्रों का पता लगाया था, जो उनके थे जिन्हें सुरक्षा बलों
ने आतंकवादी बताकर दफना दिया था। आयोग ने यह जांच जम्मू-क’मीर से गायब लोगों के मां-बाप
के संगठन (एपीडीपी) की याचिका के आधार पर किया था।
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