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शिवपुरी
न्यूज़: भारत में एक बार फिर सतीप्रथा की सोच से प्रभावित
महिला के प्राण त्यागने का मामला प्रकाश में आया है। मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले में
राधा व्यास (42 वर्ष) नामक महिला ने अपने पति कृष्ण गोपाल व्यास की अकाल मृत्यु का
समाचार सुनते हुए मंदिर में जाकर अपने को आग के हवाले कर दिया. राधा को जिला चिकित्सालय
में भर्ती कराया गया है जहां उनकी हालत गंभीर होती गयी और बेहतर इलाज के लिए ग्वालियर ले जाते हुए रास्ते में राधा व्यास की
२७ दिसम्बर को मौत हो गयी.
शिवपुरी में राधा व्यास सतीकांड की कहानी 25 दिसम्बर
की रात उस समय शुरू हुई जब उत्तर प्रदेश के मेरठ में हुए सड़क हादसे में घायल उनके
पति कृष्णगोपाल व्यास की इलाज के लिए दिल्ली ले जाते वक्त रास्ते में मौत हो गयी. पति के मौत की खबर सुनते ही कृष्णगोपाल व्यास की पत्नि
ने राधाव्यास ने मंदिर जाकर
खुद को आग के हवाले कर दिया. आग की लपटें और
चीख की आवाज सुनकर परिजनों ने राधा को बचाने का प्रयास किया और जिला चिकित्सालय
में भर्ती कराया।
मामले की
जाँच कर रहे एक स्थानीय पुलिस अधिकारी ने बताया कि 'राधा व्यास 90 फीसदी जल चुकी थीं. मरने के बाद उन्हें और उनके
पति को एक साथ जलाया गया. उन्होंने खुद को
आग के हवाले क्यों किया, इस बारे में जाँच पूरा होने पर ही कुछ
कहा जा सकता है.' स्थानीय लोगों के मुताबिक राधाव्यास ने सती
प्रथा की मानसिकता के कारण ही अपने को आग के हवाले किया था.
गौरतलब है कि इतिहास के पन्नों में तो सतीप्रथा 1829 बंद हो गई थी, लेकिन
राजस्थान में रूपकंवर कांड से लेकर शिवपुरी में राधाव्यास कांड तक सतीप्रथा आज भी जिन्दा
है,के उदाहरण आज भी सामने आ रहे हैं.फर्क केवल इतना है कि अब
सतीप्रथा के प्रभाव में आकर प्राण त्यागने वाली महिलाओं को सरकारी कागजों में दुर्घटना
का शिकार या आत्महत्या का प्रयास बताया जा रहा है।
इस मामले ने एक बार फिर सरकार के तमाम जागरुकता
कार्यक्रमों की पोल खोलकर रख दी है और यह सिद्ध कर दिया है कि मध्यप्रदेश के छोटे शहरों
में सैंकड़ों साल पुरानी परपंराओं का पालन आज भी किया जा रहा है,जबकि जिला प्रशासन हाथ पर हाथ धरे
बैठा है। देखना यह है कि अब मध्यप्रदेश सरकार इस मामले की लीपापोती के लिए क्या कदम
उठाती है।
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