.
संघ के रसोईघर में गो मॉस खाया जाता है या नहीं लेकिन यदि महाभारत
के द्रोण पर्व में जाए और पृष्ट स. ६४ पढ़े तो सब साफ़ हो जाएगा. मैं भी नहीं मानता था.
पर जब राहुल संस्क्रतायन पढी तब मैनें वो पढ़ा. ब्राह्मण स्वयं राजाओं से गो
मॉस के
लिए आग्रह करते थे. राजा रंतिदेव जो की राजा थे उन्होंने यग्य किया था वहाँ कई गाय
और बेलो का क़त्ल किया गया था. जब उनके चमड़े का पहाड़ बन गया और वो सड़ने लगा तब उससे
एक धारा निकलने लगी वो धारा आगे जाकर एक नदी के रूप में हो गई उसे चर्यन्वती नदी कहा
गया. जो की कालान्तर में चम्बल नदी कहलाई.
अब आर एस एस के लोग इस बात का खंडन करे. या वे अपना सर शातुर्मुग
की भाँती रेत में गड़ा दे. आज भी कई आर एस एस के लोग नीलगाय, पाड़ा, या हिरन का मांस
खाना पसंद करते हे. वे बस मेरी इस बात का खंडन कर दे.
No comments:
Post a Comment