अभी शादी का पहला ही साल था,
खुशी के मारे मेरा बुरा हाल था,
खुशियाँ कुच्छ यूँ उमड़ रहीं थी,
की संभाले नही संभाल रही थी ..
सुबह सुबह मेडम का चाय ले कर आना
थोड़ा शरमाते हुए हमें नींद से जगाना,
वो प्यार भरा हाथ हमारे बालों में फिराना,
मुस्कुराते हुए कहना की..
डार्लिंग चाय तो पी लो, जल्दी से रेडी हो जाओ,
आप को ऑफीस भी है जाना.
घरवाली भगवान का रूप ले कर आई थी,
दिल और दिमाग़ पर पूरी तरह छायी थी,
साँस भी लेते थे तो नाम उसी का होता था,
एक पल भी दूर जीना दुश्वार होता था..
खुशी के मारे मेरा बुरा हाल था,
खुशियाँ कुच्छ यूँ उमड़ रहीं थी,
की संभाले नही संभाल रही थी ..
सुबह सुबह मेडम का चाय ले कर आना
थोड़ा शरमाते हुए हमें नींद से जगाना,
वो प्यार भरा हाथ हमारे बालों में फिराना,
मुस्कुराते हुए कहना की..
डार्लिंग चाय तो पी लो, जल्दी से रेडी हो जाओ,
आप को ऑफीस भी है जाना.
घरवाली भगवान का रूप ले कर आई थी,
दिल और दिमाग़ पर पूरी तरह छायी थी,
साँस भी लेते थे तो नाम उसी का होता था,
एक पल भी दूर जीना दुश्वार होता था..
5 साल बाद........
सुबह सुबह मेडम का चाय ले कर आना,
टेबल पर रख कर ज़ोर से चिल्लाना,
आज ऑफीस जाओ तो मुन्ना को
स्कूल छोड़ते हुए जाना...
सुनो एक बार फिर वही आवाज़ आई,
क्या बात है अभी तक छोडी नही चारपाई,
अगर मुन्ना लेट हो गया तो देख लेना,
मुन्ना की टीचर्स को फिर खुद ही संभाल लेना....
ना जाने घरवाली कैसा रूप ले कर आई थी,
दिल और दिमाग़ पर काली घटा छायी थी,
साँस भी लेते हैं तो उन्ही का ख़याल होता है,
अब हर समय जहाँ में एक ही सवाल होता है..
क्या कभी वो दिन लौट के आएँगे,
हम एक बार फिर कुंवारे हो जाएँगे.... ...!
आज ऑफीस जाओ तो मुन्ना को
स्कूल छोड़ते हुए जाना...
सुनो एक बार फिर वही आवाज़ आई,
क्या बात है अभी तक छोडी नही चारपाई,
अगर मुन्ना लेट हो गया तो देख लेना,
मुन्ना की टीचर्स को फिर खुद ही संभाल लेना....
ना जाने घरवाली कैसा रूप ले कर आई थी,
दिल और दिमाग़ पर काली घटा छायी थी,
साँस भी लेते हैं तो उन्ही का ख़याल होता है,
अब हर समय जहाँ में एक ही सवाल होता है..
क्या कभी वो दिन लौट के आएँगे,
हम एक बार फिर कुंवारे हो जाएँगे.... ...!
correct
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