आपने पहले ईश्वर की प्रशंसा, स्तुति और गुणगान किया, मन-मस्तिष्क की बुरी उकसाहटों और बुरे कामों से अल्लाह की शरण चाही; इस्लाम के मूलाधार ‘विशुद्ध एकेश्वरवाद’ की गवाही दी और फ़रमाया :
● ऐ लोगो! अल्लाह के सिवा कोई पूज्य नहीं है, वह एक ही है, कोई उसका साझी नहीं है। अल्लाह ने अपना वचन पूरा किया, उसने अपने बन्दे (रसूल) की सहायता की और अकेला ही अधर्म की सारी शक्ति को
पराजित किया।
● लोगो मेरी बात सुनो, मैं नहीं समझता कि अब कभी हम इस तरह एकत्र हो सकेंगें और संभवतः इस वर्ष के बाद मैं हज न कर सकूँगा।
● लोगो, अल्लाह फ़रमाता है कि, इन्सानो, हम ने तुम सब को एक ही पुरुष व स्त्री से पैदा किया है और तुम्हें गिरोहों
और क़बीलों में बाँट दिया गया कि तुम अलग-अलग पहचाने जा सको। अल्लाह की दृष्टि में
तुम में सबसे अच्छा और आदर वाला वह है जो अल्लाह से ज़्यादा डरने वाला है। किसी
अरबी को किसी ग़ैर-अरबी पर, किसी ग़ैर-अरबी को किसी अरबी पर
कोई प्रतिष्ठा हासिल नहीं है। न काला गोरे से उत्तम है न गोरा काले से। हाँ आदर और
प्रतिष्ठा का कोई मापदंड है तो वह ईशपरायणता है।
● सारे मनुष्य आदम की संतान हैं और आदम मिट्टी से बनाए गए। अब
प्रतिष्ठा एवं उत्तमता के सारे दावे, ख़ून एवं माल की सारी मांगें और शत्रुता के सारे बदले
मेरे पाँव तले रौंदे जा चुके हैं। बस, काबा का प्रबंध और
हाजियों को पानी पिलाने की सेवा का क्रम जारी रहेगा। कु़रैश के लोगो! ऐसा न हो कि
अल्लाह के समक्ष तुम इस तरह आओ कि तुम्हारी गरदनों पर तो दुनिया का बोझ हो और
दूसरे लोग परलोक का सामन लेकर आएँ, और अगर ऐसा हुआ तो मैं
अल्लाह के सामने तुम्हारे कुछ काम न आ सकूंगा।
● कु़रैश के लोगो, अल्लाह ने तुम्हारे झूठे घमंड को ख़त्म कर डाला, और
बाप-दादा के कारनामों पर तुम्हारे गर्व की कोई गुंजाइश नहीं। लोगो, तुम्हारे ख़ून, माल व इज़्ज़त एक-दूसरे पर हराम कर दी
गईं हमेशा के लिए। इन चीज़ों का महत्व ऐसा ही है जैसा तुम्हारे इस दिन का और इस
मुबारक महीने का, विशेषतः इस शहर में। तुम सब अल्लाह के
सामने जाओगे और वह तुम से तुम्हारे कर्मों के बारे में पूछेगा।
● देखो, कहीं मेरे बाद भटक न जाना कि आपस में एक-दूसरे का ख़ून बहाने लगो। अगर किसी
के पास धरोहर (अमानत) रखी जाए तो वह इस बात का पाबन्द है कि अमानत रखवाने वाले को
अमानत पहुँचा दे। लोगो, हर मुसलमान दूसरे मुसलमान का भाई है
और सारे मुसलमान आपस में भाई-भाई है। अपने गु़लामों का ख़्याल रखो, हां गु़लामों का ख़्याल रखो। इन्हें वही खिलाओ जो ख़ुद खाते हो, वैसा ही पहनाओ जैसा तुम पहनते हो।
● जाहिलियत (अज्ञान) का सब कुछ मैंने अपने पैरों से कुचल दिया।
जाहिलियत के समय के ख़ून के सारे बदले ख़त्म कर दिये गए। पहला बदला जिसे मैं क्षमा
करता हूं मेरे अपने परिवार का है। रबीअ़-बिन-हारिस के दूध-पीते बेटे का ख़ून जिसे
बनू-हज़ील ने मार डाला था, मैं क्षमा करता हूं। जाहिलियत के समय के ब्याज (सूद) अब कोई महत्व नहीं
रखते, पहला सूद, जिसे मैं निरस्त कराता
हूं, अब्बास-बिन-अब्दुल मुत्तलिब के परिवार का सूद है।
● लोगो, अल्लाह ने हर हक़दार को उसका हक़ दे दिया, अब कोई किसी
उत्तराधिकारी (वारिस) के हक़ में वसीयत न करे।
● बच्चा उसी के तरफ़ मन्सूब किया जाएगा जिसके बिस्तर पर पैदा हुआ। जिस
पर हरामकारी साबित हो उसकी सज़ा पत्थर है, सारे कर्मों का हिसाब-किताब अल्लाह के यहाँ होगा।
● जो कोई अपना वंश (नसब) परिवर्तन करे या कोई गु़लाम अपने मालिक के
बदले किसी और को मालिक ज़ाहिर करे उस पर ख़ुदा की फिटकार।
● क़र्ज़ अदा कर दिया जाए, माँगी हुई वस्तु वापस करनी चाहिए, उपहार का बदला देना चाहिए और जो कोई किसी की ज़मानत ले वह दंड (तावान) अदा
करे।
स किसी
के लिए यह जायज़ नहीं कि वह अपने भाई से कुछ ले, सिवा उसके जिस पर उस का भाई राज़ी हो और ख़ुशी-ख़ुशी दे।
स्वयं पर एवं दूसरों पर अत्याचार न करो।
● औरत के लिए यह जायज़ नहीं है कि वह अपने पति का माल उसकी अनुमति के
बिना किसी को दे।
● देखो, तुम्हारे ऊपर तुम्हारी पत्नियों के कुछ अधिकार हैं। इसी तरह, उन पर तुम्हारे कुछ अधिकार हैं। औरतों पर तुम्हारा यह अधिकार है कि वे
अपने पास किसी ऐसे व्यक्ति को न बुलाएँ, जिसे तुम पसन्द नहीं
करते और कोई ख़्यानत (विश्वासघात) न करें, और अगर वह ऐसा करें
तो अल्लाह की ओर से तुम्हें इसकी अनुमति है कि उन्हें हल्का शारीरिक दंड दो,
और वह बाज़ आ जाएँ तो उन्हें अच्छी तरह खिलाओ, पहनाओ।
● औरतों से सद्व्यवहार करो क्योंकि वह तुम्हारी पाबन्द हैं और स्वयं वह
अपने लिए कुछ नहीं कर सकतीं। अतः इनके बारे में अल्लाह से डरो कि तुम ने इन्हें
अल्लाह के नाम पर हासिल किया है और उसी के नाम पर वह तुम्हारे लिए हलाल हुईं। लोगो, मेरी बात समझ लो, मैंने तुम्हें अल्लाह का संदेश पहुँचा दिया।
● मैं तुम्हारे बीच एक ऐसी चीज़ छोड़ जाता हूं कि तुम कभी नहीं भटकोगे, यदि उस पर क़ायम रहे,
और वह अल्लाह की किताब (क़ुरआन) है और हाँ देखो, धर्म के (दीनी) मामलात में सीमा के आगे न बढ़ना कि तुम से पहले के लोग
इन्हीं कारणों से नष्ट कर दिए गए।
● शैतान को अब इस बात की कोई उम्मीद नहीं रह गई है कि अब उसकी इस शहर
में इबादत की जाएगी किन्तु यह संभव है कि ऐसे मामलात में जिन्हें तुम कम महत्व
देते हो, उसकी बात मान ली जाए और
वह इस पर राज़ी है, इसलिए तुम उससे अपने धर्म (दीन) व विश्वास
(ईमान) की रक्षा करना।
● लोगो, अपने रब की इबादत करो, पाँच वक़्त की नमाज़ अदा करो,
पूरे महीने के रोज़े रखो, अपने धन की ज़कात
ख़ुशदिली के साथ देते रहो। अल्लाह के घर (काबा) का हज करो और अपने सरदार का
आज्ञापालन करो तो अपने रब की जन्नत में दाख़िल हो जाओगे।
● अब अपराधी स्वयं अपने अपराध का ज़िम्मेदार होगा और अब न बाप के बदले
बेटा पकड़ा जाएगा न बेटे का बदला बाप से लिया जाएगा ।
● सुनो, जो लोग यहाँ मौजूद हैं, उन्हें चाहिए कि ये आदेश और
ये बातें उन लोगों को बताएँ जो यहाँ नहीं हैं, हो सकता है,
कि कोई अनुपस्थित व्यक्ति तुम से ज़्यादा इन बातों को समझने और
सुरक्षित रखने वाला हो। और लोगो, तुम से मेरे बारे में
अल्लाह के यहाँ पूछा जाएगा, बताओ तुम क्या जवाब दोगे?
लोगों ने जवाब दिया कि हम इस बात की गवाही देंगे कि आप (सल्ल॰) ने
अमानत (दीन का संदेश) पहुँचा दिया और रिसालत (ईशदूतत्व) का हक़ अदा कर दिया,
और हमें सत्य और भलाई का रास्ता दिखा दिया।
यह सुनकर
मुहम्मद (सल्ल॰) ने अपनी शहादत की उँगुली आसमान की ओर उठाई और लोगों की ओर इशारा
करते हुए तीन बार फ़रमाया, ऐ अल्लाह, गवाह रहना! ऐ अल्लाह, गवाह रहना! ऐ अल्लाह, गवाह रहना।
मैं तुम्हारे बीच एक ऐसी चीज़ छोड़ जाता हूं कि तुम कभी नहीं भटकोगे, यदि उस पर क़ायम रहे, और वह अल्लाह की किताब (क़ुरआन) है और हाँ देखो, धर्म के (दीनी) मामलात में सीमा के आगे न बढ़ना कि तुम से पहले के लोग इन्हीं कारणों से नष्ट कर दिए गए।
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As I know and read about the final 'khitaab' of prophet Muhammad PBUH, He has said the mentioned statement in the following way as,
"I am leaving behind TWO THINGS - you will never go astray if you hold fast to them: the Quran and MY SUNNAH." [At-Tirmithi].....
---- Here you didn't mention about "SUNNAH".. Please correct it.